यह ऐतिहासिक और गौरवमय क्षण है, It is a glorious proud moment

January 25, 2024 Chander Mohan 0

यह एक ऐतिहासिक और गौरवमय क्षण है। यह क्षण गणतंत्र दिवस से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों से जुड़े अध्याय में अयोध्या लौट रहे राम, सीता और लक्ष्मण का ख़ूबसूरत चित्र है।  अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण श्रद्धा से सम्पन्न हो गई। 500 वर्षों का इंतज़ार ख़त्म हुआ। देश भर में इसे लेकर जो उत्साह और ख़ुशी है उससे पता चलता है कि लोग किस तरह इस क्षण की इंतज़ार कर रहे थे। विशेष श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है जिनके नेतृत्व में यह गौरवपूर्ण क्षण के हम साक्षी हैं। जो मंदिर बना है उसकी भव्यता हमारी कलाकारी की उत्कृष्ट मिसाल है। यह अंतर नहीं पड़ता कि अभी मंदिर पूरा […]

पी.एच.डी. सब्ज़ी वाला, Phd Sabziwala

January 18, 2024 Chander Mohan 0

डा. संदीप सिंह की कहानी सबको कष्ट देने वाली है। उन्होंने लॉ में पीएचडी की हुई है। इसके इलावा वह चार विषयों में एम.ए.हैं।वह अब भी बैचलर ऑफ लाईब्रेरी ,की पढ़ाई कर रहें हैं।पर डा. संदीप सिंह जो शायद पंजाब के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति है, को गुज़ारा चलाने के लिए सब्ज़ी बेचनी पड़ रही है। वह एक दशक पंजाबी यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुकें है पर उन्हें नैकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि वेतन अपर्याप्त था, समय पर नहीं मिलता था और लगातार वेतन कटौती होती थी। उस समय उन्हें कैंट्रैक्ट पर 20000-25000 रूपए मिलते थे। तब उन्होंने फ़ैसला किया कि यूनिवर्सिटी की अनिश्चित नौकरी से बेहतर है कि वह सब्ज़ी बेचना शुरू कर दें। अब एक रेहड़ी जिस पर लिखा है […]

देश छोड़ने की होड़ क्यों हैं?, Why Indians Are Fleeing Abroad

January 11, 2024 Chander Mohan 0

वैसे तो अनादिकाल से माइग्रेशन, प्रवास, पलायन, स्थानांतरण चलता आ रहा है।  जहां लोगों को बेहतर मौक़ा नज़र आता है उस तरफ़ पलायन शुरू हो जाता है। फ़िराक़ गोरखपुरी ने लिखा था, ‘काफिले बसते गए, और हिन्दोस्तां बनता गया’। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कैनेडा, न्यूज़ीलैंड जैसे देश भी गोरों ने जा कर बसाए और स्थानीय लोगों को एक कोने में लगा दिया। आज के युग में प्रवास बहुत अलग अलग ढंग से हो रहा है। इसकी चर्चा तब होती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है। जब अपने दुर्भाग्य से भाग रहे लोगों से भरी किश्ती समुद्र में डूब जाती है, या कुछ लोग अवैध तरीक़े से जंगल से गुज़र रहे मारे जाते है, या किसी को अमेरिका ले जाने का […]

आशंका और आशा के बीच 2024, Anxiety and Hopes for 2024

January 4, 2024 Chander Mohan 0

दुनिया को किसी नास्त्रेदमस या ज्योतिषी के बताने की ज़रूरत नहीं कि 2024 तनावपूर्ण साल रहेगा। युक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा था कि हमास ने इज़राइल पर हमला कर दिया। इज़राइल का जवाब इतना खूनी है कि दुनिया स्तब्ध रह गई है। उन्हें रोकने की जगह बाइडेन का अमेरिका उन्हें लगातार और हथियार सप्लाई करता जा रहा है। दोनों बड़ी शक्तियाँ अमेरिका और रूस, दुनिया की लोकराय के कटघरे में खड़ी है। तीसरी महाशक्ति चीन अपने पड़ोसियों, भारत समेत,को दबाने की कोशिश कर रही है। इन तीनों देशों के नेतृत्व की नीतियों का बुरा प्रभाव पड़ेगा और दुनिया तनावग्रस्त और विभाजित रहेगी। हमें नए रोल मॉडल चाहिए जो इस दलदल से निकाल सकें पर बाइडेन, पुतिन या शी जिंपिंग में हमेंबौने नेता मिलें हैं। अगर हम देखें कि सबसे ताकतवार देश अमेरिका में चुनाव […]

ग़ाज़ा क़ब्रिस्तान बनता जा रहा है, Gaza Becoming A Graveyard

December 28, 2023 Chander Mohan 0

7 अक्तूबर को हमास के आतंकवादियों द्वारा इज़राइल पर हमले के बाद दुनिया भर में इज़राइल के प्रति जो हमदर्दी थी वह ग़ाज़ा पर लगातार और अंधाधुंध बमबारी के बाद अब पूरी तरह से लुप्त हो गई है। इज़राइल को अब एक क्रूर और असंवेदनशील बेसुध देश की तरह देखा जा रहा है जो बदले की भावना में इतना बह गया है कि हज़ारों बेकसूरों को मार चुका है। पूछा जा रहा है कि ग़ाज़ा के कितने हज़ार और  बच्चों का खून बहाने के बाद इज़राइल की प्यास बुझेगी? हमास ने 1200 इज़राइली मारे थे जबकि इज़राइल हमास को तबाह करने की असफल कोशिश में 20000 फ़िलिस्तीनियों को मार चुका है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। 5000 तो बच्चे […]

संसद पर हमला, अब और तब,Attack On Parliament: Now, And Then

December 21, 2023 Chander Mohan 0

यह एक इमारत ज़रूर है पर उससे भी महत्वपूर्ण  यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है, उसका प्रतीक है।  इसकी पवित्रता पर आँच नहीं आनी चाहिए क्योंकि संसद है तो लोकतंत्र है। लेकिन इसी भवन में 13 दिसम्बर को दो नौजवान दर्शक गैलरी से लोकसभा के सदन के बीच कूद पड़े और पकडे जाने से पहले अंदर धुऐं के कनस्तर से पीला धुआँ फैलाने में सफल रहे। दो और साथी बाहर पकड़े गए। यह धुआँ हानिकारक नहीं था पर अगर उनके पास इसकी जगह बारूद होता तो क्या होता? उस दिन संसद ने 22 वर्ष  पहले हुए हमले में संसद की रक्षा करते मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। और इसी दिन ही खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने […]