पंजाब: एक बार फिर?, Once Again In Punjab?

March 2, 2023 Chander Mohan 0

क्या पंजाब में फिर काले दिनों की वापिसी हो रही है? क्या फिर 1980-1990 वाले दिन आ रहें हैं ? यह सवाल अब सब पंजाबियों को परेशान कर रहा है। ख़तरनाक संकेत कुछ समय से मिल रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर ‘बंदी सिखों की रिहाई’ को लेकर प्रदर्शन कर रहे क़ौमी इंसाफ़ मोर्चे के हथियारों से लैस कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर हमला कर दिया और 40 के करीब पुलिस कर्मी घायल हो गए। एक पुलिस अधिकारी का कहना था कि “अगर हम भागते नहीं तो हमें मार दिया जाता”। लेकिन जो पिछले सप्ताह अमृतसर में अजनाला में हुआ वह तो और भी अधिक ख़तरनाक है। खालिस्तान के  समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखी अमृतपाल सिंह के […]

बिल्लियों की लड़ाई में अंग्रेजी बंदर (The Monkey in Cats Fight)

October 3, 2019 Chander Mohan 0

किसी ने सही कहा है कि भारत में तूफान खड़ा करना बहुत आसान है। ऐसा ही ये हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा हिन्दी दिवस पर की गई टिप्पणी के बाद भी हुआ जब द्रमुक के नेता स्टालिन ने कह दिया कि इससे देश की एकता पर असर पड़ेगा। कुछ और भी राजनेता बोलने लगे कि अगर देश में हिन्दी  ‘थोपी गई’  तो देश बंट जाएगा। यह भूलते हुए कि वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चैटर्जी ने भविष्यवाणी की थी कि एक दिन हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा होगी और उसकी सहायता से देश में एकता होगी, ममता बैनर्जी ने भी कह दिया कि हमें मातृभाषा भूलनी नहीं चाहिए। लेकिन अमित शाह ने इतना आपत्तिजनक कहा क्या कि यह […]

जय हो! (Jai Ho)

August 8, 2019 Chander Mohan 0

यह एक एतिहासिक क्षण है। एक प्रहार से इतिहास बदल दिया गया। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा कर उसे एक सामान्य दिल्ली जैसा राज्य बना दिया गया है। अनुच्छेद धारा 370 पूरी तरह से अस्थाई थी। अम्बेदकर तो इसके बिलकुल खिलाफ थे पर शेख अब्दुल्ला के दबाव में जवाहर लाल नेहरू इसके लिए तैयार हो गए थे। वह भी चाहते थे कि समय के साथ यह प्रभावहीन हो जाए। समझा गया था कि इसके द्वारा कश्मीर का बाकी देश में भावनात्मक विलय हो जाएगा लेकिन हुआ इसका उलट। इस अनुच्छेद ने कश्मीर और बाकी देश के बीच अलंघ्य दीवार खड़ी कर जिसके भारी दुष्परिणाम निकले, देश के लिए भी और कश्मीर के लिए भी। कश्मीर की तरक्की रुक गई क्योंकि […]

हाउ इज़ द जोश! (Hows The Josh)

May 30, 2019 Chander Mohan 0

ऐसी लहर मैंने पहली बार तब देखी थी जब 1977 में एमरजैंसी हटाए जाने के बाद लोगों ने ‘गाय और बछड़ा’ और बछड़ा जो उस समय कांग्रेस का चुनाव चिन्ह था और जिसका मतलब लोगों ने इंदिरा गांधी तथा संजय गांधी से लिया था, को पराजित किया था। यह दूसरी ऐसी लहर मैंने देखी है लेकिन इन दोनों लहरों में अंतर है। 1977 की लहर इंदिरा गांधी की ज्यादतियों के खिलाफ थी जबकि 2019 में यह जोश से भरी आशावादी लहर नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा के पक्ष में है। लोगों ने पांच वर्ष नरेन्द्र मोदी का काम देखा है। कुछ कमजोरियां रही लेकिन आम राय है कि बंदा खरा है, ईमानदार है, मेहनती है और इरादा सही है। यह भी […]

अडवाणीजी को राम राम I (Farewell To Advani Ji)

April 4, 2019 Chander Mohan 0

  भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने अपने मार्गदर्शक मंडल को बाहर का मार्ग दिखा दिया। लाल कृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार, बीसी खंडूरी, कारया मुंडा और उनसे पहले यशवंत सिन्हा सबकी हैसीयत अब दर्शक की रह गई है। इनको भी समझना चाहिए था कि इनका समय गुज़र चुका है। आखिर अडवाणीजी की आयु 91 वर्ष है। जोशीजी कुछ ही वर्ष कम है। कितनी और राजनीति करनी है? सही कहा गया कि आदमी को तब छोड़ देना चाहिए जब लोग कहें ‘क्यों?’ तब नहीं जब लोग कहें  ‘क्यों नहीं?’ है। इन महापुरुषो का  ‘क्यों नहीं’ समय आ चुका था। अफसोस इस बात का नहीं कि इन्हें एक तरफ कर दिया गया अफसोस जिस ढंग से किया गया उसका […]

जब दरिया रुख बदलता है (When River Changes Course)

June 7, 2018 Chander Mohan 0

पिछले कुछ महीने मोदी सरकार तथा भाजपा के लिए अच्छे नहीं रहे। गोरखपुर तथा फूलपुर के बाद उत्तर प्रदेश में कैराना तथा नूरपुर की सीटें भाजपा द्वारा हारना बताता है कि पार्टी तेजी से ज़मीन खो रही है और इस बात की संभावना नहीं कि 2019 में भाजपा 2014 दोहरा सकेगी। अब तक के 27 संसदीय उप चुनावों में से भाजपा केवल 5 जीत सकी है और उसने 8 खो डालें है। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तथा उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्या की भी सीटें हैं और उत्तर प्रदेश वह प्रदेश है जिसने 2014 में भाजपा को 71 सीटें दी थी। मोदी ब्रैंड जिसने देश को चकाचौंध कर दिया था अब फीका पड़ रहा है। ठीक है कैराना […]