क्या स्कूल खुलने चाहिए, Should Schools Reopen?

July 29, 2021 Chander Mohan 0

बचपन के दुख कितने अच्छे होते थे                       तब तो सिर्फ़ खिलौने टूटा करते थे समीना असलम समीना के यह शब्द आज के कोरोना काल में कितने मार्मिक लगतें हैं। आज केवल खिलौने ही नही टूटते कईयों का तो बचपन ही टूट गया है। कोरोना ने सबको प्रभावित किया है पर सबसे अधिक वह प्रभावित है जो इससे निबटने में सबसे कमजोर है, जिनकी त्रासदी है कि उन्हे मालूम ही नही कि कितनी बडी त्रासदी ने उन्हे घेर लिया है, हमारे बच्चे। जो खेलने का, उछल कूदने का, शरारत करने का समय है वह सहमा सहमा गुज़र रहा है। इस महामारी का सबसे बड़ा ज़ख़्म शायद  बच्चों को झेलना पड़े। बच्चों से बाहर के उनके दो रिश्ते, पड़ोस और स्कूल, […]

2020 बहुत बर्बाद कर गया, पर बहुत कुछ समझा भी गया 2020 Shadow on 2021

December 31, 2020 Chander Mohan 0

जब बीते साल की तरफ़ मुड़ कर देखता हूँ तो गाने की यह पंक्ति याद आजाती है, ‘जग सूना सूना लागे, जग सूना सूना लागे’। 2020 वह साल था जिसकी कोई आत्मा नहीं थी। कोई उपलब्धि नही थी, अगर थी तो यह कि हम बच गए! यह साल ज़िन्दगी की नाजुकता समझा गया। यह सबसे अशांत और विघटनकारी वर्ष था जिसमें बचे रहना ही मक़सद था। याद ही नही रहा कि कब किससे हाथ मिलाया था, या कब किसे गले लगाया था। सब कुछ वॉटसअप हो गया! ज़िन्दगी की छोटी छोटी ख़ुशियाँ दुर्लभ हो गईं। अलगाववाद न्यू नार्मल बन गया। नया अछूतीकरण शुरू हो गया। ज़िन्दगी के पुराने तौर तरीक़े टूटे फटे नज़र आ रहें हैं। क्योंकि एक दूसरे का […]

एक अकेला इस शहर में Lonely in A Crowd: Sushant’s Suicide

July 30, 2020 Chander Mohan 0

मैं फ़िल्में कम देखता हूँ। सुशांत सिंह राजपूत की पहली फ़िल्म ‘काय पो छे’ देखी थी।  फ़िल्म दिलचस्प थी और सुशांत की अदाकारी प्रभावशाली थी। समझा गया कि बालीवुड को एक और स्टार मिल गया। हैंडसम और प्रतिभाशाली। यह भी संतोष से देखा गया कि महेन्द्र सिंह धोनी की तरह एक छोटे शहर से निकला नौजवान राष्ट्रीय आकाश पर चमका है। एक रियैलिटी शो में भी उसे देखा जहाँ लगा कि उसका दिल इसमें नहीं है। शारीरिक तौर पर वह उपस्थित है पर मानसिक तौर पर कहीं और है। फिर जब घर में फंदा लगा कर उसके आत्म हत्या करने के बारे सुना तो गहरा दुख हुआ। एक सितारा टूट गया। उसके बाद बहुत असुखद विवाद खड़ा हो गया  जो […]