यह कैसा ‘भगवान’ है?
आसाराम बापू को 16 साल की लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मुश्किल से गिरफ्तार किया गया। एक कांग्रेसी विधायक के अनुसार संतों के मामले में अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। लेकिन क्या यह संत है? जो 16 साल की लड़की की आस्था तथा विश्वास से इस तरह धोखा करता है, वह संत रह गया? ऐसे लोग जो लोगों की भावना का शोषण करते हैं के खिलाफ तो और भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी फिर कहा है कि बलात्कार समाज के खिलाफ अपराध है। अफसोस है कि महापुरुषों, ऋषियों, संतों, गुरुओं के इस देश में इन नकली संतों, बाबाओं और बापुओं की बाढ़ सी आ गई लगती है। लोग भोले हैं। इन्हें गुरू समझते हैं जो सही रास्ता दिखाएंगे। उस लड़की ने भी आसाराम को भगवान का रूप समझा था पर वह तो शैतान निकला। समझा होगा कि मैं इतना शक्तिशाली हूं, मेरे लाखों भक्त हैं, मुझे कौन हाथ लगाएगा? क्योंकि सामने एक बड़ा ताकतवर धर्म गुरू है, गॉडमैन है, इसलिए इस लड़की की सुध लेने कोई नहीं पहुंचा। दिल्ली तथा मुम्बई के सामूहिक बलात्कार के बाद पीड़िता के साथ सबने सहानुभूति दिखाई लेकिन इस बेचारी नाबालिगा के लिए किसी नेता के पास सहानुभूति नहीं है। दिल्ली तथा मुम्बई की घटना तथा इस घटना में यह अंतर क्यों है? आसाराम के मामले में सब खामोश हैं। आखिर वह बड़ा संत है, बड़ा ‘भगवान’ है।
हमारे देश में ऐसे डालडा संतों की भरमार है। वास्तव में धर्म सबसे लाभदायक व्यवसाय है, राजनीति से भी अधिक लाभदायक। आपको खूब चढ़ावा चढ़ता है। अरबों रुपए की जायदाद आप अर्जित कर सकते हैं। बड़े-बड़े एयर कंडीशन आश्रम हैं। एक बापू थे गांधी जिनके पास केवल लाठी, चश्मा, घड़ी, धोती और चप्पल थी। इसके बल पर उन्होंने हमें आजादी दिलवा दी थी। एक यह बापू है आसाराम जिसके पास हिन्दोस्तान टाईम्स के मुताबिक 10,000 करोड़ रुपए का साम्राज्य है। हरियाणा के ऐसे ही एक आश्रम के एक बाबा के पास 3 करोड़ रुपए की रोलस रॉयस गाड़ी है। साईं बाबा के देहांत के बाद उनके आश्रम से मोटा माल निकाला गया। बाबा रामदेव की अरबों रुपए की संपत्ति है पर वह ‘बाबा’ ही रह गए। वह तो बड़े कारप्रेट प्रमुख से कम नहीं है, उन्हें तो भगवा छोड़ टाई-पैंट-शर्ट डालनी चाहिए। यह व्यवसाय आपको खूब पैसा तथा प्रभाव देता है क्योंकि न आयकर विभाग आपको छू सकता है, न पुलिस आप तक पहुंच सकती है। पांच वर्ष पहले आसाराम के आश्रम के पीछे दो नन्हें लड़कों के शव मिले थे। परिवार इस हत्या के लिए इन्हीं पर उंगली उठा रहे हैं। गुजरात पुलिस ने आश्रम पर छापा भी मारा पर कुछ नहीं बना। बड़े राजनीतिक संरक्षकों ने बचा लिया। यही लोग अब बचाने का प्रयास कर रहे हैं। उमा भारती के दखल का यही मतलब है। सवाल उठता है कि ऐसे आश्रमों में और कितनी लड़कियां मसली गई?
ऐसा केवल हमारे यहां ही नहीं होता कि कथित गॉडमैन खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। चर्च में समलैंगिक बलात्कार के असंख्य स्कैंडल के बाद पोप सार्वजनिक माफी मांग चुके हैं। कई लोगों ने किताबें और लेख लिखे हैं कि किस तरह उनका चर्च में अप्राकृतिक शोषण किया गया। नन अपनी शिकायतें अलग कर रही हैं। कई दशकों से ऐसा होता आ रहा है। मदरसों से भी ऐसी शिकायत मिलती रहती हैं। इन धार्मिक स्थलों की ऊंची दीवारें, बंद दरवाजे तथा रहस्यमय गतिविधियां इन्हें अवैध हरकतों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। कोई इनसे पूछताछ नहीं कर सकता। सभी ऐसे नहीं हैं। अभी भी बहुत से साधु संत ऐसे हैं जो धर्म तथा समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं लेकिन इन नकली बाबाओं के वैभव तथा शानो-शौकत तथा राजनीतिक प्रभाव ने असली धर्म गुरुओं को पीछे डाल दिया है। आर्य समाज के दीनानगर मठ के स्वामी सर्वानंद जी महाराज का स्वर्गवास 104 वर्ष की आयु में हुआ था। जब तक हिम्मत थी खुद भिक्षा मांग कर गुजारा करते थे। उन्होंने 40,000-50,000 की जनसंख्या वाले दीनानगर कस्बे में इतनी शिक्षा संस्थाएं खोल दीं कि वहां आज आसपास के 20,000 के करीब छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है पर अपने ऊपर उन्होंने एक पैसा खर्च नहीं किया।
आज ऐसे महापुरुषों की तादाद लगातार कम होती जा रही है और ये ढोंगी संत आगे आ रहे हैं जो अपने ग्लैमर तथा नाटक से लोगों को प्रभावित करने में सफल हो रहे हैं। जो आसाराम के आश्रम में हुआ वह कई आश्रमों में हो चुका है। इन लोगों के खिलाफ तो कानून और भी सख्त होना चाहिए क्योंकि ये लोगों के विश्वास तथा आस्था का शोषण करते हैं। कितने दुख की बात है कि इस बार शिकार एक मासूम बच्ची हुई है।
आसाराम की गिरफ्तारी पर अशोक सिंघल का कहना है कि यह हिन्दुत्व को बदनाम करने की साजिश है। क्या एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले 72 वर्षीय शख्स की गिरफ्तारी हिन्दुत्व की बदनामी है? ऐसी बात कह कर अशोक सिंघल हिन्दुओं की बदनामी कर रहे हैं। और किसने अशोक सिंघल तथा प्रवीण तोगड़िया को हिन्दुओं का ठेकेदार बनाया है? इन लोगों की नीतियां तो हिन्दुओं का भारी अहित कर चुकी हैं। 84 कोसी परिक्रमा भी फ्लाप शो रहा है। समय आ गया है कि विश्व हिन्दू परिषद में भी उसी तरह नेतृत्व परिवर्तन किया जाए जैसे भाजपा में किया गया है। हिन्दुओं को अपने इन कठित ठेकेदारों से मुक्ति चाहिए। उल्लेखनीय यह है कि विश्व हिन्दू परिषद तथा सपा सरकार के बीच इस टकराव में आम लोग नदारद रहे। इस यात्रा में केवल भाजपा तथा विहिप के कार्यकर्ताओं को ही कुछ रुचि थी। आम आदमी गायब था। सरयू के घाट भी खाली थे। इस वक्त इस दिखावटी टकराव की जरूरत क्या थी? भाजपा अपना हिन्दू वोट बैंक मजबूत करने का प्रयास कर रही थी तो सपा मुस्लिम। मैच किस तरह फ्रैंडली था यह इस बात से पता चलता है कि प्रवीण तोगड़िया दो दिन से अयोध्या में थे पर उन्हें पहले गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्हें टीवी कैमरों तथा कार्यकर्ताओं के सामने परिक्रमा वाले दिन गिरफ्तार किया गया नहीं तो ऐसे मामलों में रात के वक्त उठा लिया जाता है।
भाजपा गलतफहमी में हैं कि अयोध्या में ऐसी किसी परिक्रमा से उनके पक्ष में लहर शुरू हो जाएगी। भारत और उत्तर प्रदेश दोनों बदल चुके हैं। लोग देख सकते हैं कि कौन सा प्रयास शुद्ध धार्मिक है और कौन सा राजनीतिक? अशोक सिंघल का कहना है कि हिन्दुओं का दमन हो रहा है। किस बात का दमन? इस वक्त लोगों की मंदिर-मस्जिद विवाद में दिलचस्पी नहीं है। लोग अयोध्या में भव्य राम मंदिर चाहते हैं पर इन लोगों पर विश्वास नहीं कि ये बनवा भी सकते हैं तथा ध्यान दूसरे मुद्दों पर है। ध्यान इस वक्त बेहतर शासन की तरफ है। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की तरफ है। एक सशक्त नेतृत्व की तरफ है। महंगाई, गिरते रुपए, गिरती अर्थव्यवस्था पर है। जाति, धर्म आदि की राजनीति में लोगों की दिलचस्पी नहीं है।
यह कैसा ‘भगवान’ है?,
Chander Mohan Ji…… I think that you are n haste to pass our judgement, without bothering the fact that the case is pending in the court of law. It is too early to criticise Asaram. Let us wait and watch……