सपनों का सोना?

सपनों का सोना?

यह हैरान करने वाली बात है कि आज के युग में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में 19वीं शताब्दी के एक किले में देश का पुरातत्व विभाग सोने की खोज में इसलिए खुदाई कर रहा है क्योंकि एक साधु ने सपना देखा है कि वहां 1000 टन सोना दबा हुआ है। यह भी मालूम नहीं कि संत शोभन ने 1000 टन का सपना कैसे देख लिया? यह एक टन भी तो हो सकता है? बस एक सपना और वहां मेला लग गया है। पुरातत्व विभाग जब खुदाई करता है तो पहले जांच करता है। ऐसे यंत्र हैं जो बता सकते हैं कि क्या वास्तव में नीचे धातु है या नहीं? लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं किया गया। केवल संत शोभन के सपने का सहारा लेकर खुदाई शुरू हो गई है, और खुदाई भी आधुनिक यंत्रों से नहीं की जा रही। राजा राव रामबख्श 1857 की आज़ादी की पहली लड़ाई में शहीद हो गए थे। कहा जाता है कि किले में उनका खज़ाना दबा है। इतिहासकार तो यह भी मानने को तैयार नहीं कि राजा राव रामबख्श इतने बड़े राजा थे कि उनके पास 1000 टन सोना था। एक और इतिहासकार का कहना है कि काशी, अवध व रामपुर के राज घरानों के पास भी इतना खज़ाना नहीं था फिर राजा राव रामबख्श के पास कहां से आया? इतिहास में किसी भी राजघराने, मुगलों समेत के पास इतना सोना होने का प्रमाण नहीं है। जो ‘किला’ तस्वीरों में दिखाया जा रहा है वह तो गांव के नम्बरदार की हैसीयत का लगता है। लेकिन इसके बावजूद खुदाई शुरू है। वहां इतनी भीड़ है कि धारा 144 लगानी पड़ी है। मीडिया वहां पहुंच गया है। लालबत्ती वाली गाडिय़ा वहां हैं। हमें तमाशे बहुत पसंद हैं इसलिए चाय, रोटी, आईसक्रीम सबके स्टॉल वहां पहुंच गए हैं। लेकिन दुनिया दंग है। दंग ही नहीं हमारा मज़ाक उड़ाया जा रहा है कि यह कैसा देश है कि जहां एक साधु का सपना 1000 टन सोने की तलाश में खुदाई शुरू करवा देता है?

हमारे मंदिरों के पास भारी मात्रा में सोना है। दक्षिण भारत के मंदिरों में विशेष तौर पर सोना है क्योंकि वह विदेशी हमलों तथा लूटेरों से बचे रहे इसलिए उनका सोना सुरक्षित है। पिछले साल दक्षिण के एक मंदिर में सोना बरामद किया गया था लेकिन इसे ढूंढने का आधार था। दस्तावेज थे। लेकिन उन्नाव के इस किले के बारे तो कोई दस्तावेज नहीं। हां, एक सपना जरूर है। जरूर कहा गया कि सपने सच होते हैं पर यह भी तो कहा गया है कि जो सपनों में रहते हैं वे मूर्ख होते हैं। आर्य भट्ट के इस देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं।

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About Chander Mohan 736 Articles
Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.