कार्यस्थल में भेड़िए
ऐसा बार-बार हो रहा है। ताकतवार और प्रभावशाली पुरुष अपनी स्थिति का फायदा उठा अपने मातहत काम कर रही युवती के यौन उत्पीड़न का प्रयास करता है। राजनीति, प्रशासन, बिसनेस, सिनेमा यहां तक कि न्यायपालिका से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं। आसाराम का मामला भी सामने ही है। कई राजनेताओं के शर्मनाक हथकंडे चर्चा में रहे हैं। अब मामला मीडिया तक पहुंच गया है। वैसे तो किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि मीडिया सामाजिक बुराईयों से अछूता है। चाहे मीडिया समाज को दर्पण दिखाने का प्रयास करता है पर यहां भी वही चलता है जो बाकी समाज में चलता है। केवल अब समाज बदल रहा है। महिला खामोशी से यौन दुर्व्यवहार सहने को तैयार नहीं। दिल्ली में 15 दिसंबर की सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद समाज और महिलाओं में विशेष तौर पर जागृति आ गई है। दिल्ली में ही रेप से संबंधित शिकायतों में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका यह अर्थ नहीं कि बलात्कार के मामले बढ़े हैं। इसका अर्थ है कि अब महिलाएं लोकलाज की खातिर चुपचाप यौन हमले बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं। कानून भी सख्त हो गया है। विशेष तौर पर नए कानून की एक धारा कहती है कि ‘सत्ताधिकारी या विश्वास की जगह पर बैठे व्यक्ति द्वारा यौन प्रहार की सजा कम से कम 10 साल की कैद या आजीवन कारावास हो सकती है।’ इस मामले में तहलका का संपादक तरुण तेजपाल फंस गया है। गोवा में उसके खिलाफ अपनी पुत्री की आयु की लड़की जो उसके नीचे काम कर रही है, से रेप का मामला दर्ज किया गया है।
गोवा में तहलका के एक कार्यक्रम के दौरान तरुण तेजपाल ने दो बार उस लड़की के साथ जबरदस्ती करने का प्रयास किया। जब उसने शिकायत की तो पहले इसे अपनी ‘शराबी हालत’ में गलती के लिए माफ करने की गुजारिश की। जब लड़की ने कहा कि शराबी हालत में एक बार गलती हो सकती है दो बार नहीं तो उसे धमकी दी गई कि चुप रहना नौकरी बरकरार रखने का सही तरीका हो सकता है। लेकिन लड़की ने चुप रहने से इंकार कर दिया और अपनी शिकायत तहलका की मैनेजिंग डायरैक्टर शोमा चौधरी को ई-मेल के द्वारा भेज दी जिसमें उसके साथ जो कुछ हुआ है उसका विस्तृत ब्यौरा लिखा गया है। मामला दबता न देख तरुण तेजपाल ने ‘प्रायश्चित्त के तौर पर’ खुद को छ: महीने के लिए तहलका के संपादक पद से हटा लिया। उसने इस ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ ‘जो स्थिति के गलत आंकलन से पैदा हुई’ के लिए अपने सहकर्मियों से माफी भी मांगी। लड़की से भी माफी मांगी और स्वीकार किया कि वह ऐसे किसी रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी। फिर सोचा कि मामला यहां ही खत्म हो जाएगा। आखिर वह जायंट किल्लर तरुण तेजपाल है। शोमा चौधरी ने भी तरुण तेजपाल को अभयदान देते हुए कहा, ‘आप तरुणजी को रेपिस्ट नहीं कह सकते… त्यागपत्र देकर उन्होंने हाई स्टैंडर्ड स्थापित किया है।’
क्या बकवास है। एक व्यक्ति अपनी बेटी के जैसी लड़की जो उसके नीचे काम कर रही है और जिसका उसे गार्डियन अर्थात् अभिभावक और संरक्षक होना चाहिए था, का यौन उत्पीड़न करता है उसकी तारीफ केवल इसलिए की जाए क्योंकि उसने इस्तीफा दे दिया है? यह मामला तो Custodial Rape अर्थात् संरक्षणीय बलात्कार का है जो और भी गंभीर है। इसे नज़रंदाज नहीं किया जा सकता सिर्फ इसलिए कि करने वाला बड़ा आदमी है। यहां बॉस ही यौन उत्पीड़न कर रहा है। मामला कार्यस्थल में काम कर रही महिला या लड़की की सुरक्षा से संबंधित है। जिसकी जिम्मेवारी उनकी सुरक्षा करना है वह अगर यौन भक्षक बन जाएं तो लड़की को सुरक्षा कौन देगा?
‘तहलका’ वह पत्रिका है जिसने पत्रकारिता में कई तहलके मचाए हैं। नए मापदंड कायम किए। बंगारू लक्ष्मण को इन्होंने ही नोट पकड़ते दिखाया था। और भी स्टिंग आप्रेशन किए गए। तरुण तेजपाल को प्रसार भारती के तीन सदस्यों के बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। ऐसा व्यक्ति अपने को इतना ताकतवार समझ बैठता है कि वह कुछ भी कर सकता है और अगर उससे गलती हो जाए तो उसे रफा-दफा कर दिया जाना चाहिए। उससे जवाबदेही नहीं हो सकती क्योंकि उसने किए पर प्रायश्चित्त कर खुद को सज़ा दे दी है। अफसोस की बात है कि कई लोगों ने तरुण तेजपाल का बचाव करने का प्रयास भी किया जिनमें जावेद अख्तर भी हैं। अख्तर साहिब ने यह ट्विट कर ‘तरुण तेजपाल ने एक मर्द की तरह माफी मांग ली है’ उसे आधी बधाई देने का प्रयास किया। लड़की के साथ जो हुआ उसका कोई ज़िक्र नहीं है। और भी ऐसे कथित बुद्धिजीवी हैं जिन्होंने तेजपाल के बचाव का प्रयास किया लेकिन यह भूलते हैं कि समाज बदल चुका है महिलाएं जागरुक हैं और पुरुष की ज्यादती बर्दाश्त करने को तैयार नहीं। जावेद अख्तर के ट्विट के बाद इतना तूफान उठा कि उन्हें माफी मांगते हुए अपना ट्विट वापिस लेना पड़ा।
कभी तरुण तेजपाल को पत्रकारिता का आदर्श समझा गया था। आज उसके नाम से ही घृणा आती है। इससे और गंदा काम नहीं हो सकता कि आप उस लड़की का यौन उत्पीड़न करो जो आपके सरंक्षण में है। लड़की उसकी बेटी की उम्र की है और बेटी की सहेली है। लड़की का बाप तरुण का मित्र है। उसका धर्म उसकी हिफाज़त करना है पर हमारा समाज ऐसे परभक्षकों से भरा हुआ है। इसलिए जरूरी है कि अब सही सज़ा देकर सही मिसाल कायम की जाए ताकि कार्यस्थल में घूम रहे भेड़िए और भरे हुए तरुण तेजपाल किसी और लड़की से ऐसी घिनौनी हरकत करने से पहले सौ बार सोचें।
कार्यस्थल में भेड़िए,
The hypocrisy of elite socialites like Javed akhtar, Shoma, Sunjoy Roy, Kapil Sibal and Vinod Mehta has been exposed by Tarun Tejpal episode.
These people are lamely trying to defend the indefensible………..
In our country power intoxicates so many that they think they can do anything and get away with anything. Equally shameful is the behaviour of a carefully crafted and nurtured coterie that always stands up to defend the ‘corrupt mighty’….
Tarun has indulged in a heinous act & should be put behind the bars……That is right place for the degraded animals like him…..