पंजाब का छठा दरिया
पंजाब के पांच दरिया तो दोनों पंजाब में बंट गए है लेकिन अब दोनों में एक छठा दरिया भी शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत तो पाकिस्तान के पंजाब में होती है पर इसका बहाव हमारे पंजाब में भारी तबाही मचा रहा है। मेरा अभिप्राय नशे के दरिया से है जो पंजाब की जवानी को बर्बाद कर रहा है। अंतराष्ट्रीय ड्रग तस्कर तथा बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला तथा उसके साथी जगजीत सिंह चाहल, सरबजीत साबी तथा बिट्टू औलख की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में अब उंगली कई प्रभावशाली लोगों की तरफ उठ रही हैं। जगदीश भोला ने कहा है कि वह तो मामूली आदमी है ‘किंगपिन’ और ‘मास्टरमाईंड’ प्रदेश के बड़े नेता है। भोला ने राजस्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह तथा कुछ और ‘पॉवरफुल’ लोगों पर ड्रग्स रैकेट चलाने का खुला आरोप लगाया है। एक अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक सांसद तथा उसका विधायक बेटा भी जांच की लपेट में आ रहे हैं। शंका है कि उनकी गाडिय़ों तथा उनकी एस्कार्ट गाडिय़ों में ड्रग्स की तस्करी करवाई जाती रही। भोला अगली पेशी के दौरान और रहस्योद्घाटन करने की धमकी दे रहा है। दूसरी तरफ अकाली दल पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा पर भोला तथा अपराधियों के साथ एक दशक पुराने संबंधों का आरोप लगा रहा है। उनका कहना है कि बाजवा के सरंक्षण में भोला का धंधा चलता रहा है। पंजाब में ड्रग्स का रैकेट कितना बड़ा है कोई सही अंदाज़ा नहीं लगा सकता। इतना कहा जा सकता है कि इसने एक पीढ़ी के बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया। हिमाचल में बद्दी के एक फार्मास्यूटिकल कारखाने से जो 600 क्विंटल सिंथैटिक ड्रग बरामद किया गया था उसकी कीमत 700 करोड़ रुपए बताई गई है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार तस्करों तथा कुछ नेताओं के गठबंधन ने पिछले कुछ सालों में पंजाब में लगभग 5000 करोड़ रुपए का नशे का कारोबार किया है। अर्थात् यह पूरा उद्योग है। नशे के मामले में पंजाब एक बड़ा ट्रांसिंट केंद्र बनता जा रहा है। पाकिस्तान के पंजाब से लाकर यहां से कनैडा, अमेरिका तथा योरूप में ड्रग्स भेजी जाती है। बीएसएफ हर दूसरे दिन सीमा पर ड्रग्स की खपत पकड़ती है। सवाल उठता है कि कितनी ऐसी है जो पकड़ी नहीं गई या जो गिनतीं में नहीं लाई गई?
आगे लिखने से पहले मैं पटियाला पुलिस को उसकी अभी तक की कामयाबी के लिए बधाई देना चाहता हूं। मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि अगर राजनीतिक नेतृत्व से हरी झंडी न मिलती तो पुलिस यहां तक न पहुंच सकतीं। जब राहुल गांधी ने कहा था कि 70 प्रतिशत पंजाबी युवक इसकी लपेट में हैं तो पंजाब सरकार बहुत छटपटाई थी लेकिन राहुल की बात सच्चाई से बहुत दूर नहीं हैं। विशेष तौर पर शिक्षा संस्थाओं के पास बहुत ऐसी दुकानें है या ऐसे लोग फिरते हैं जो नशे का व्यापार करते हैं। अभी तक पुलिस केवल उन लोगों को पकड़ती रही है जो इसे बेचते हैं। इन्हें भी पकडऩा चाहिए पर असली जरूरत तो जड़ पर वार करने की है। यह तो साफ ही है कि ऐसा बड़ा धंधा राजनीतिक संरक्षण के बिना प्रफुल्लित नहीं हो सकता। वह कौन बड़े नेता तथा बड़े अफसर है जो इसमें संलिप्त है? रिटायर्ड डीजीपी शशिकांत इस मामले में सनसनीखेज रहस्योदघाटन कर चुकें है कि दोनों बड़ी पार्टियों के नेता इस नशीले धंधे में संलिप्त है। सुखबीर बादल का दावा है कि ड्रग बेचने वाले 25,000 लोग गिरफ्तार किए जा चुकें है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा-चढ़ा कर बताया गया लगता है क्योंकि इतनी जगह तो पंजाब के जेलों में भी नहीं हैं। फिर भी गिरफ्तारियां हुई है। लेकिन हमें केवल उन्हें नहीं पकडऩा जो बेचते हैं, पकडऩा उन्हें है जिनके संरक्षण में सब कुछ हो रहा है। हाल ही में कबड्डी मैच के दौरान पाकिस्तान पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज़ शरीफ की खूब खातिर की गई पर इसी शख्स के लोग तो उधर से तस्करी करवा रहें हैं। बेहतर होता कि शहबाज़ शरीफ की आवभगत की जगह उनसे पूछा जाता कि उनकी सरकार हमारे युवाओं को बर्बाद करने पर क्यों तुली हुई है? यह कैसी दोस्ती और कैसा भाईचारा कि हम हार डाल रहें हैं और वह उधर से ड्रग्स धकेल रहें हैं?
यह मामला राजनीति से बहुत बड़ा पंजाब के युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है। कई परिवार इसलिए तबाह हो गए है क्योंकि बच्चे को यह लत लग गई हैं। मां-बाप अब तड़पते फिर रहें है। कई बार युवा नशे को छोडऩा भी चाहते हैं लेकिन लत छोडऩा बहुत मुश्किल होता हैं। नशे के कारण अपराध भी बहुत बड़ गया है, शहरों में लूटपाट तथा चेन सनैचिंग का यह मुख्य कारण है। महिलाएं घरों से निकलने से घबरातीं है। बहुत दु:ख की बात है कि नशे ने कुछ युवकों को अपराधी बना दिया है। इसलिए इस धंधे को जड़ से नष्ट करना बहुत जरूरी है ताकि पंजाब अपने भविष्य को सुरक्षित रख सके। पाकिस्तान शरारत कर रहा है लेकिन इतने विशाल नैटवर्क के लिए आप केवल सीमा के प्रबंध में कमज़ोरी को ही जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते। असली समस्या तो आंतरिक है। बद्दी से सिंथैटिक ड्रग्स की बरामदगी से पता चलता है कि नैटवर्क पंजाब के पड़ोसी राज्यों तक फैला हुआ है। हिमाचल सरकार को इस तरफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। पर सबसे अधिक जिम्मेवारी सत्तारूढ़ पंजाब सरकार की हैं। उनका धर्म है कि पंजाब को ड्रग्स मुक्त करें। अकाली नेतृत्व की जिम्मेवारी इसलिए भी बनती है क्योंकि पहले छोटे अकाली नेताओं तथा अब बड़े अकाली नेताओं के नाम इस कुख्यात धंधे में लिए जा रहे हैं।
पंजाब का भविष्य अकाली दल या कांग्रेस पार्टी की तुच्छ राजनीति से बहुत बड़ा हैं। जो पंजाब की जवानी को तबाह करते रहे हैं उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। इसलिए अकाली नेतृत्व को बिना दखल दिए इस जांच को अंत तक लेकर जाना चाहिए और अपने उस वायदे को पूरा करना चाहिए कि वह नशे के माफिए को जड़ से उखाड़ देगी। अगर वह ऐसा करते है तो वह पंजाब की भावी पीढिय़ों को भ्रष्ट होने से बचा लेंगे। अगर कुछ बड़े लोगों को झटका भी मिलता तो इसका अस्थाई नुकसान ही होगा। पंजाब सुधर जाएगा। सुखबीर बादल का सही कहना है कि यह राष्ट्रीय समस्या है केवल पंजाब की नहीं। उनका यह भी कहना है कि बिक्रमजीत सिंह मजीठिया का इसमें कोई हाथ नहीं। उनकी बात सही हो सकती है। हो सकता है कि अपने को बचाने के लिए भोला इधर-उधर के नाम ले रहा हो इसलिए और भी जरूरी है कि ऐसी जांच हो जिससे प्रदेशवासी संतुष्ट हो। ध्यान रहे कि पंजाब में घर-घर में इसकी चर्चा हो रही है। पटियाला पुलिस ने बढिय़ा काम किया है पर क्योंकि दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं के नाम आ रहे हैं इसलिए बेहतर होगा कि जांच या किसी सेवारत जज से करवाई जाए या इसे सीबीआई को सौंप दिया जाए। लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए यह कदम उठाए जाने चाहिए। कहीं यह न हो कि यह छठा दरिया सब कुछ बहा कर ले जाए।