गाली कमज़ोर का हथियार है
चुनाव अभियान पूरे यौवन पर है इसलिए कई नेता असंतुलित हो रहे हैं, अनाप शनाप कह रहे हैं। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि सारा मीडिया बिका हुआ है। मीडिया को जेल भेजने की धमकी भी वे दे चुके हैं। नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस के वार लगातार बढ़ रहे हैं। कई साल पहले सोनिया गांधी ने उन्हे ‘मौत का सौदागर’ कहा था उसका खामियाज़ा पार्टी को अगले चुनाव में भुगतना पड़ा लेकिन इस चुनाव में फिर उसी कथा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा तथा संघ पर ‘ज़हर की खेती’ करने का दोष लगाया है। राहुल गांधी संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का दोष भी लगा चुके हैं। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद जो एक बार अरविंद केजरीवाल को धमकी दे चुके हैं कि वे उनके चुनाव क्षेत्र में आ तो सकते हैं पर लौट कर नहीं आएंगे, ने मोदी को नपुंसक कह दिया है। राहुल गांधी द्वारा मोदी को ‘हिटलर’ कहे जाने के बाद अरुण जेतली ने इंदिरा गांधी पर आरोप लगा दिया कि वे केवल एकमात्र भारतीय राजनीतिज्ञ थी जो हिटलर से प्रेरित थी क्योंकि उन्होंने नागरिक आज़ादी पर प्रतिबंध लगाया था। जेतली ने राहुल को बच्चा कहा तो नरेंद्र मोदी अभी भी उन्हें ‘शहजादा’ कहते हैं। यही कटाक्ष सोशल मीडिया में भी नज़र आ रहा है।
अमेरिकी चुनाव में ऐसा होता है। विरोधी का जम कर मज़ाक उड़ाया जाता है। अपमान से भी परहेज़ नहीं। उसकी निजी तथा पारिवारिक जिंदगी को भी माफ नहीं किया जाता। अमेरिकी राजनीति में हर बात की इज़ाज़त है आप कुछ भी कह सकते हैं लेकिन मानहानि के मुकद्दमें से बच कर रहना पड़ता है क्योंकि वर्षों हमारी तरफ मामले लटकते नहीं रहते। इंग्लैंड तथा योरूप में अवश्य अधिक शालीनता दिखाई जाती है। विंसटन चर्चिल अपने विरोधियों के प्रति दयाहीन थे लेकिन फिर भी कुछ मर्यादा थी। अपने उन साथियों के बारे उनकी टिप्पणी जो हिटलर का विरोध नहीं कर सके, जबरदस्त व्यंग्य प्रस्तुत करती है, ‘वह निर्णय के बाद भी अनिर्णय की स्थिति में है, कृतसंकल्प होकर भी दुविधा में है। डिगने को अडिग अस्थिरता के लिए स्थिर और ताकतवार होकर भी नपुंसक है!’ लेकिन हमारे यहां कई बार लोग मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार कर जाते हैं और गाली गलौच पर उतर आते हैं जबकि अपनी बात कहने के लिए असंतुलित होना या गाली गलौच करने की जरूरत नहीं है। अटल जी ने गुजरात के दंगों के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को केवल यह कहा था कि वह ‘गठबंधन धर्म निभाए’। इन तीन शब्दों में उन्होंने सब कुछ कह डाला। दूसरी तरफ कई नेता हैं जो समझते हैं कि जब तक वे घटिया बात नहीं कर लेते उनका मकसद पूरा नहीं होता। मुख्यमंत्री रहते अमरेंद्र सिंह ने कहा था कि वे प्रकाश सिंह बादल को ‘लम्मा पा देयांगा’। यह एक असभ्य टिप्पणी है। बादल उनसे आयु में बड़े हैं और मुख्यमंत्री रह चुके थे। नरेंद्र मोदी ‘हम पांच हमारे पच्चीस’ कह कर मुसलमानों का मज़ाक उड़ा चुके हैं। कई लोग शारीरिक हिंसा पर भी उतर आते हैं। आजकल जूता फैंकना या चेहरे पर स्याही लगाना आम होता जा रहा है पर इससे कोई मकसद पूरा नहीं होता केवल सस्ता प्रचार मिलता है।
गाली निकालना या शारीरिक नुकसान पहुंचाना कमजोर का हथियार है। ऐसा वह हताशा में करता है जब उसके पास अपनी बात का तर्क नहीं रहता। हमारी राजनीति में जिसे ‘हेट स्पीच’ अर्थात् नफरत की भाषा कहा जाता है, बढ़ती जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इसका नीचे तक गलत प्रभाव जाता है लेकिन फिर भी मैं मानता हूं कि जब तक ऐसी भाषा जातीय, धार्मिक या ऐसा और द्वेष नहीं फैलाती तब तक इस पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का नजरिया बहुत सही है। उसने केंद्र के कानून विशेषज्ञों से पूछा है कि वे बताएं कि ‘हेट स्पीच’ के क्या मायने हैं? अदालत का यह भी कहना है कि 128 करोड़ लोगों के 128 करोड़ विचार हो सकते हैं, और सभी विचार जनता के सामने प्रस्तुत होने चाहिए जो इनके बारे अपना मन बनाएं। अर्थात् सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देने को तैयार नहीं। भारत जैसे हज़ारों भिन्नता रखने वाले देश में यह नज़रिया बिल्कुल सही है क्योंकि दमनकारी कानूनों का अप्रिय राजनीति या टिप्पणी या आलोचना को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जैसा एमरजैंसी के दौरान किया गया था।
आखिर में फैसला जनता करेगी कि क्या सही है क्या गलत है? जनता काफी परिपक्व है और आम तौर पर अनुभव है कि जनता ऐसी टिप्पणियों तथा भाषण को पसंद नहीं करती जैसी ‘मौत के सौदागर’ वाली टिप्पणी पर गुजरात की जनता की प्रतिक्रिया से पता चलता है। बेहतर होगा कि मामला जनता के विवेक पर छोड़ दिया जाए। वह ही फैसला करें कि क्या सही है या क्या गलत? पर मेरा अपना मानना है कि शारीरिक हिंसा या गाली ताकत का नहीं कमजोरी का प्रमाण है।
अंत में: पाकिस्तान बनने के बाद जवाहरलाल नेहरू की जिन्नाह के बारे यह टिप्पणी पहले दर्जे के राजनीतिक व्यंग्य को प्रदर्शित करती है, ‘वह उस शख्स की याद दिलाता है जो मां-बाप का कत्ल कर अदालत से माफी चाहता है कि वह यतीम है!’
गाली कमज़ोर का हथियार है ,