अल कायदा और हम
अल कायदा ने भारत में जेहाद शुरू करने की घोषणा की है। मई 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अब अल कायदा के नेता अल जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में जेहाद शुरू करने तथा शरीयत लागू करने की घोषणा की है। कहना है कि 800 साल से यहां मुगलों का शासन रहा है इसलिए यहां फिर इस्लामिक राज्य स्थापित किया जाएगा। यह पहली बार नहीं कि अल कायदा ने ऐसी धमकी दी हो। 1996 में भी ओसामा बिन लादेन ने ऐसी धमकी दी थी। उस वक्त विशेषतौर पर जम्मू कश्मीर तथा असम का नाम लिया गया था। 2002 के दंगों के बाद गुजरात को जोड़ दिया गया था। भारत सरकार ने सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। इसके कई कारण नज़र आते हैं। एक, भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार है। गुजरात के दंगों के कारण अभी भी कई जेहादी संगठन बदला लेना चाहते हैं इसीलिए अल जवाहिरी के वीडियो में दोनों गुजरात तथा अहमदाबाद दोनों का नाम लिया गया है। दूसरा, भारत के मुसलमानों में कट्टरवाद बढ़ रहा है। विशेषतौर पर युवा मुसलमानों का एक वर्ग गलत रास्ते पर चल रहा है। उन्हें कट्टर तथा उग्र बनाने के लिए सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। यह भी खबर है कि इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) की तरफ से लडऩे के लिए भारत से मुस्लिम नौजवान वहां गए हैं जिनमें से एक मारा भी गया। पहले खबरों में बताया गया था कि चार लड़के वहां गए हैं पर इनकी संख्या अधिक भी हो सकती है। इस माहौल का फायदा उठा कर अल कायदा यहां भर्ती चाहता है। कई मुस्लिम युवा जिसे ‘ग्लोबल जेहाद’ कहा जाता है, की तरफ खींचे जा रहे हैं।
तीसरा, कट्टरवाद की दौड़ में अल कायदा इस्लामिक स्टेट से पिछड़ता जा रहा है। इस्लामिक स्टेट ने वहां ब्रिटेन के आकार जितने क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया है। जो जेहाद में विश्वास रखते हैं उनके लिए अल कायदा का कम और इस्लामिक स्टेट का अधिक आकर्षण है। कई इस्लामिक संगठन जो अफगानिस्तान में या पश्चिमी एशिया या अरब जगत में सक्रिय थे अपनी वफादारी अल कायदा से हटा कर इस्लामिक स्टेट की तरफ बदल रहे हैं। इसी स्थिति को बदलने के लिए अल कायदा अचानक सक्रिय हो गया है। केवल भारत को ही नहीं बल्कि बर्मा को भी निशाना बनाने की धमकी दी है जहां बौद्ध तथा रोहिंग्या मुसलमानों में हिंसक टकराव हो चुका है और बड़ी मात्रा में मुसलमानों को वहां से निकलना पड़ा है। अल कायदा शायद यह प्रभाव देना चाहता है कि भारतीय उपमहाद्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और यहां वह इस्लामिक राज्य स्थापित करेगा। इस वक्त अल कायदा अलग थलग रह गया है। एक प्रकार से अप्रासंगिक हो चुका है। आईएस ने बगदादी को अपना खलीफा नियुक्त कर दिया है और घोषणा की है कि वह सारे इस्लामिक जगत का मुखिया होगा। सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देश इसका विरोध करेंगे लेकिन दो अमेरिकी पत्रकारों का सिर कलम कर प्रचार के मामले में आईएस अल कायदा से बहुत आगे निकल गया है। अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद से अल कायदा कोई सनसनीखेज हमला नहीं कर सका। अमेरिका ने उसके नेतृत्व को तबाह कर दिया। अल कायदा फिर सुर्खियों में आना चाहता है इसीलिए यह भी कहा है कि उसने भारत के लिए आत्मघाती हमलावर तैयार कर लिए हैं।
चौथा मसला पाकिस्तान का है जहां भारत में गड़बड़ करवाने के लिए कई प्रकार के तत्व तैयार बैठे हैं। वहां तहरीक-ए-तालिबान मजबूत हो रहा है और पाकिस्तान सरकार के लिए भी गंभीर चुनौती है। अल कायदा पाकिस्तान की आईएसआई की मदद ले सकता है जो भारत में गड़बड़ फैलाने के लिए सदैव तैयार रहती है। वह नरेन्द्र मोदी को भी चुनौती देना चाहेंगे लेकिन इसके बावजूद मैं समझता हूं कि इस वीडियो पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया जरूरत से अधिक रही है। एकदम अलर्ट कर दिया गया। उच्च स्तरीय बैठक शुरू हो गई। देशभर में घबराहट फैला दी गई है कि जैसे हमला होने की वाला है जबकि अल कायदा अब इतना प्रभावी नहीं रहा। कई विशेषज्ञ तो इसे मृतप्राय: मानते हैं। अगर आईएसआई उसकी मदद नहीं करती तो वह कुछ नहीं कर सकता। हमें सतर्क अवश्य रहना चाहिए लेकिन दहशत की जरूरत नहीं। यह सही है कि यहां कुछ तत्व हैं जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं। इंडियन मुजाहिदीन तथा सिमी जैसे आतंकी संगठन हैं जिनमें भारतीय मुसलमान लड़के हिस्सा लेते हैं। चुनाव अभियान के दौरान पटना में नरेन्द्र मोदी की सभा में विस्फोट करवाने की कोशिश की गई थी। ऐसे संगठनों को हमारी एजेंसियां बहुत हद तक खत्म कर चुकी हैं लेकिन बचे खुचे लोगों पर नज़र रखने की जरूरत है। दो तीन महीने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हैं जहां भाजपा सत्ता में आना चाहती है। वहां विशेष निगरानी की जरूरत है लेकिन ऐसी स्थिति से हम पहले भी निबट चुके हैं आगे भी निबट लेंगे। केवल सतर्क रहने की जरूरत है। पांचवीं समस्या है कि मुस्लिम जगत का एक हिस्सा दुनिया से कटा हुआ है। अशिक्षित है, बेरोजगार है, पिछड़ा है। अपने अलगाव में तड़प रहा है। दुनिया का मुकाबला नहीं कर सकते इसलिए आतंक तथा जेहाद के द्वारा दुनिया को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वह पाकिस्तान को तबाह कर चुके हैं। उनके पास विस्फोट करने या आतंकी वारदात करने की क्षमता है। इससे उनको सुर्खियां तो प्राप्त होंगी लेकिन दुनिया रुक तो नहीं जाएगी। न यह न्यूयार्क-वाशिंगटन पर 9/11 के हमले के बाद रुकी, न यह मुम्बई पर 26/11 के हमले के बाद रुकी।