
पूंछ सीधी नहीं होगी
सीमा पर फायरिंग अब लगभग खत्म हो चुकी है पर दशकों के बाद उस तरफ से इतनी ज़बरदस्त फायरिंग हुई है। भारतीय सेना का कहना है कि सीमा तथा नियंत्रण रेखा पर युद्ध जैसी स्थिति थी। 2003 के युद्घ विराम समझौते का कुछ नहीं बचा। इतनी जबरदस्त फायरिंग उस वक्त हुई जब पाकिस्तान के अपने फटेहाल हैं। उनके पश्चिमी क्षेत्र में उनकी सेना जेहादियों के साथ उलझी हुई है तो देश के अंदर नवाज शरीफ की सरकार अत्यंत कमज़ोर पड़ चुकी है। सेना के समर्थन से इमरान खान तथा कादरी के आंदोलन निर्वाचित सरकार को अत्यंत कमज़ोर छोड़ गए है। सवाल है कि जब पाकिस्तान की सेना को पश्चिमी सीमा पर जबरदस्त जेहादी चुनौती मिल रही है वह भारत के साथ मोर्चा क्यों खोल रहें है? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन के सिवाय पाकिस्तान का कोई मित्र नहीं है। पाकिस्तान के कई रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि हम पागल तो नहीं है इस वक्त भारत के साथ मोर्चा खोल दे जब हम जेहादियों के साथ जीवन मरण के संघर्ष में लगे हुए है। यह बात तो सही है पर पाकिस्तान की भारत नीति कभी भी तर्क या विवेक पर आधारित नहीं रही इसीलिए उनके दो टुकड़े हो चुके हैं।
एक कारण तो हो सकता है कि वह कश्मीर का मुद्दा जीवित रखना चाहते है। संयुक्त राष्ट्र में नवाज शरीफ ने भी ‘क’ शब्द का इस्तेमाल किया था चाहे कहीं से भी समर्थन नहीं मिला। यह भी हो सकता है कि दबाव डाल कर वह बातचीत फिर शुरू करवाना चाहते हैं। लेकिन एक और कारण भी नज़र आता है। पाकिस्तान चीन के साथ मिल कर भारत को दबाव में रखना चाहता है, पाकिस्तान फायरिंग के द्वारा और चीन घुसपैंठ के द्वारा। मकसद एक ही है कि भारत सीमा पर उलझा रहे ताकि नरेंद्र मोदी की सरकार आर्थिक विकास के कदम न उठा सके तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर भारत की धाक कायम न हो सके। चीन तथा पाकिस्तान में कुछ सांझा नहीं हैं। पाकिस्तान चीन के लिए बोझ से कम नहीं। अगर दोनों मित्र हैं तो केवल इसलिए कि दोनों भारत को अपना दुश्मन/प्रतिद्वंद्वी समझते हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान चीन की सेना पीएलए ने लद्दाख में घुसपैंठ क्यों की? यह ‘रहस्यमय’ रहेगा, जैसे वायुसेना चीफ अरूप साहा ने भी माना है। उल्लेखनीय है कि इसी दौरान पाकिस्तान सेना भी बहुत उग्र हो गई है और युद्घ विराम की धज्जियां उड़ रही है। वास्तव में जब से मोदी सरकार सत्तारूढ़ हुई है चीन तथा पाकिस्तान के नापाक इरादे स्पष्ट होते जा रहे हैं। चिंता की बात यह भी है कि मध्यपूर्व का घटनाक्रम तथा वहां आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव हमारे लिए और भी खतरा पैदा कर रहा है। हमारे इर्द-गिर्द माहौल दूषित हो रहा है।
सीमा की स्थिति मोदी सरकार के लिए बड़ी सुरक्षा तथा सामरिक चुनौती बनती जा रही है। फायरिंग के द्वारा वह मिलिटैंट्स की घुसपैठ का रास्ता भी तैयार कर रहे हैं। आगे सर्दियां हैं और उससे पहले पाकिस्तान व्यापक घुसपैठ करवाना चाहेगा ताकि जम्मू कश्मीर के चुनाव में वह गड़बड़ कर सके। अनुमान है कि उधर 450 मिलिटैंट घुसपैठ के लिए तैयार हैं। पाकिस्तान की सेना अपने लोगों को भी लगातार यह संदेश देना चाहती है कि भारत ही दुश्मन है। अपने पर जो खर्चा होता है उसे न्यायोचित ठहराने के लिए भी उन्हें दुश्मन चाहिए और जिस वक्त ‘दुश्मन’ भारत के साथ टकराव चल रहा है नवाज शरीफ की सरकार कोई सार्थक पहल कर ही नहीं सकती। पाक सेना के ‘माइंड सेट’ में कोई परिवर्तन नहीं आया और न ही आएगा। इस संदर्भ में कारगिल युद्ध के शिल्पकार परवेज मुशर्रफ का यह बयान भी महत्वपूर्ण है कि भारत पाकिस्तान की सेना के धैर्य की परीक्षा न ले। मुशर्रफ साहिब कारगिल का सबक भूल गए लगते हैं लेकिन उनका यह बयान भी बताता है कि पाकिस्तान की सेना चैन से बैठने वाली नहीं है। आने वाले दिनों में उनका व्यवहार और खराब हो सकता है। भारत के खिलाफ वह अभी तक कोई युद्ध जीत नहीं सके। पाक सेना ने अगर युद्ध जीता है तो सदा अपने लोगों, अपनी सरकार, अपने लोकतंत्र तथा अपनी आजादी के खिलाफ जीता है। भारत के उभार तथा प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय छवि उन्हें परेशान कर रही है। पाकिस्तान एक विवेकी राष्ट्र नहीं है। हम तो डूबे हैं सनम पर तुमको भी ले डूबेंगे, उनकी भारत नीति प्रतीत होती है। नहीं तो कौन देश अपने पड़ोसी को नकली नोट भेजता है? और कौन दूसरा देश अंतरराष्ट्रीय खलनायक ओसामा बिन लादेन को शरण देने के लिए तैयार हो जाता? कट्टरवाद उनके विवेक पर हावी हो चुका है इसलिए वह एक आत्मघाती राज्य बन रहे हैं। उन्हें तो मलाला यूसुफजई को मिले नोबल सम्मान में भी साजिश नज़र आ रही है।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आर्थिक तरक्की का दक्षिण एशिया के देशों को फायदा होगा पर पाकिस्तान इस फायदे का हिस्सा बनने से इन्कार कर रहा है। उन्हें केवल दुश्मनी चाहिए चाहे उनका कितना भी नुकसान हो और चाहे वह इस प्रक्रिया में खुद तबाह हो जाएं। अंग्रेजी के मुहावरे TO CUT OFF NOSE TO SPITE FACE के अनुसार वह अपने चेहरे को सबक सिखाने के लिए अपनी नाक को काटने के लिए तैयार हैं! चीन पाकिस्तान को उकसाता रहता है। वह पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को सामान्य वीज़ा देता है जबकि अरुणाचल प्रदेश के साथ जम्मू कश्मीर के लोगों को स्टैपल वीज़ा दिया जाता है। पाक अधिकृत कश्मीर में चीन के 20,000 सैनिक ‘निर्माण’ के काम में लगे हैं। प्रधानमंत्री की जापान तथा अमेरिका की सफल यात्राओं के बाद यह रवैया और नकारात्मक हो सकता है। इधर से भी पहली बार पाक सेना को ठोकने की खुली इज़ाजत दी गई है। बीएसएफ के अफसर खुश हैं कि इस बार उन्हें फ्लैग मीटिंग करने के लिए नहीं कहा गया। हमें अब नई सोच तथा रणनीति की जरूरत है। अल कायद ने उनकी मिसाईल फ्रिगेट पीएनएस असलत तथा जहाज पीएनएस जुल्फीकार को हाईजैक करने का प्रयास किया था ताकि उसके द्वारा भारतीय तथा अमेरिकी नौसेना के किसी जहाज पर हमला किया जा सके। एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब पाकिस्तान एक सीरिया या एक इराक बन जाए या पूरा जेहादी राष्ट्र बन जाए। यह नामुमकिन नहीं। इस गंभीर हालात के लिए खुद को हमें तैयार रखना है यह जानते हुए कि वह समझते हैं कि उनका अस्तित्व भारत विरोध पर टिका हुआ है। वह पूंछ सीधी नहीं होगी।