मंत्रिमंडल विस्तार से संदेश
मैं कभी मनोहर पर्रिकर को नहीं मिला। देखा भी नहीं। लेकिन उनके बारे जो पढ़ा और जो सुना उससे बहुत प्रसन्न हूं कि उनके जैसे व्यक्ति को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया है। क्या आप सोच सकते हैं कि आजकल के वाईआईपी युग में एक मुख्यमंत्री अपनी कार चला कर बाजार जाएं, गाड़ी पार्क करने की जगह खुद ढूंढें और अपना काम कर वापिस लौट आएं? या कोई मुख्यमंत्री खुद सामान उठाए हुए हवाई अड्डे में लाईन में खड़ा हो? सबके साथ सुरक्षा जांच करवाएं और बाकी यात्रियों के साथ बस में हवाई अड्डे की बिलडिंग से हवाई जहाज तक चुपचाप खड़े हो कर जाएं? जिस देश में मायावती ने हवाई जहाज तक अपनी कार ले जाने की जिद्द की और उसे मनवाया, और जिस देश में राबर्ट वाड्रा जैसे नटवरलाल को हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच से गुजरना नहीं पड़ता वहां मनोहर पर्रिकर आम रह कर ही संतुष्ट हैं। हरियाणा के नए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी केवल एक सूटकेस के साथ सीएम हाऊस में प्रवेश किया है। आजकल की वीआईपी संस्कृति में यह लोग अपवाद हैं। हमें ऐसे और लोग चाहिए। शिवसेना की नाराज़गी की परवाह किए बिना सुरेश प्रभु को रेल मंत्री बनाया गया क्योंकि सदानंद गौड़ा उस स्पीड से काम नहीं कर रहे थे जिस तेजी से केवल 3-4 घंटे ही सोने वाले प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं। देश के तेज विकास के लिए रेल का सुधार बहुत जरूरी है। सब मंत्रियों को संदेश है कि उन्हें खुद को प्रधानमंत्री की जरूरत तथा विकास के लिए अधीरता के अनुसार ढालना होगा।
जगत प्रकाश नड्ढा नए स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री बन गए हैं। नड्ढा को जो उच्च जगह मिली है उससे खुशी होती है कि प्रतिभा और ईमानदारी की कद्र हो रही है। अरविंद केजरीवाल जरूर आरोप लगा रहे हैं। पगड़ी उछालना उनकी पुरानी आदत है। जिन लोगों पर उन्होंने पहले आरोप लगाए थे, उनका क्या बना? उनके बारे अब केजरीवाल खामोश क्यों हैं? उन्हें यह घटिया ‘हिट एंड रन’ राजनीति बंद करनी चाहिए। बिहार, उत्तर प्रदेश को प्राथमिकता दी गई ताकि वहां भाजपा का और प्रसार हो सके। हरियाणा से जाट नेता बीरेन्द्र सिंह ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए हैं। गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाने के बाद संतुलन कायम करने के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया है। बीरेन्द्र सिंह की भी आखिर किस्मत खुल गई है नहीं तो कांग्रेस में तो वह बेचारे सदा बाराती ही रहे, दुल्हा नहीं बन सके। पंजाब से पहली बार विजयी रहे विजय सांपला को मंत्री बना कर पंजाब में दलित कार्ड खेला गया है। पंजाब में दलित कुल जनसंख्या के 30 प्रतिशत हैं सांपला को मंत्री बना कर जहां दलितों को यह संदेश भेजा जा रहा है कि उनके हित भाजपा में सुरक्षित हैं वहां बादल परिवार को भी बताया जा रहा है कि अगर वह सही नहीं चलते तो भाजपा अपना अलग रास्ता अपना लेगी तथा 2017 में अकाली दल के साथ मिल कर चुनाव लडऩे की उनकी मजबूरी नहीं है। कि यह बात चुभने लगी है यह प्रकाश सिंह बादल के हाल के बयान से पता चलता है कि अगर यह गठबंधन टूट जाता है तो पंजाब में साम्प्रदायिक सद्भाव प्रभावित हो सकता है। इसे बयान ही नहीं, इसे धमकी भी समझा जाना चाहिए कि बादल साहिब बता रहें हैं कि अगर उन्हें सत्ता से अलग करने का प्रयास किया तो यह प्रदेश के लिए महंगा साबित होगा। अकाली दल की शरारत करने की क्षमता के बारे मैं पहले ही लिख चुका हूं।
यह विस्तार बताता है कि प्रधानमंत्री मोदी का अब सरकार, पार्टी तथा सहयोगियों पर पूर्ण नियंत्रण है। उद्धव ठाकरे चाहे कितने भी कोप भवन में हो, उन्हें भी बता दिया गया है कि वही होगा जो मोदी चाहेंगे। 25 वर्षों से गठबंधन या कमजोर सरकारों के बाद प्रधानमंत्री के पद की श्रेष्ठता कायम हो रही है। अब कोई ए. राजा प्रधानमंत्री की इच्छा के विरुद्ध कदम उठाने की जुर्रत नहीं करेगा। लोगों ने नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट दिया था क्योंकि वह लिजलिज सरकार नहीं चाहते। प्रधानमंत्री को इसका एहसास है इसलिए काबलियत को महत्व दिया गया है। नरेन्द्र मोदी, अरुण जेतली, मनोहर पर्रिकर, जगत प्रकाश नड्ढा, मनोहर लाल खट्टर, देवेन्द्र फडनवीस से लेकर विजय सांपला तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संगठन से देश का नया नेतृत्व उभर रहा है जो देश की जड़ों से तो जुड़ा ही हुआ है पर साथ ही आधुनिक समय की जरूरत को समझता है तथा देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता है। संघ के इस योगदान को कम नहीं आंकना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वायदा किया है कि वह विदेशों से काले धन को देश में वापिस लाएंगे। लोगों में इस मामले में सरकार की कार्रवाई के प्रति अभी तक अविश्वास था। आखिर सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि अगर सरकार इसी तरह चलती रही तो उनके जीवन में यह पैसा वापिस नहीं आएगा। मामला इसलिए भी बिगड़ा क्योंकि चुनाव अभियान के दौरान भाजपा का यह मुख्य वायदा था कि बाहर से अवैध पैसा वापिस लाया जाएगा। सज्जनों ने तो 100 दिन की समय सीमा भी तय कर दी थी। उस वक्त भाजपा का अपना आंकड़ा 78 लाख करोड़ रुपए का था जिसके आधार पर कहा गया कि हर गरीब की जेब में हम 15-20 लाख रुपए डालेंगे। यह सब्ज़बाग अब पार्टी को परेशान कर रहा है। इससे हर राजनीतिक दल को सबक लेना चाहिए कि वही वायदा किया जाए जो व्यवहारिक हो नहीं तो बाद में वह तड़पाएगा।
याद रखिए कि कानूनी तरीके से फिलीपींस के पूर्व तानाशाह फरडीनेंड मार्कोस तथा कई अफ्रीकन तानाशाहों की ब्लैकमनी वापिस लाई जा चुकी है। ऐसा भारतीयों के अवैध खातों के बारे में भी होना चाहिए क्योंकि यह मात्र कर चोरी का मामला नहीं यह देश के आर्थिक संसाधन बाहर भेजने का मामला है जो देशद्रोह से कम नहीं। स्विस गोपनीय कानून केवल कमजोर के लिए है। अमेरिका, जर्मनी तथा ब्रिटेन के मामले में वे समर्पण कर चुके हैं। हमारे देश में प्रभाव फैल रहा है कि (1) शासक वर्ग एक दूसरे का ध्यान रखता है। नई दिल्ली में विशिष्ट लोगों का एक क्लब है जिसके सदस्य बाहर से कुछ भी कहें अंदर से मिले हुए हैं तथा (2) कार्रवाई इसलिए नहीं हो रही क्योंकि विदेशों में ब्लैकमनी के मामले में वह लोग भी संलिप्त हैं जो सभी राजनीतिक दलों, भाजपा समेत, को चंदा देते हैं। पर अब कुछ आशा जगी है। प्रधानमंत्री ने देश से वायदा किया है। आशा है कि कानूनी तर्कों में उलझाने की जगह सरकार अब गंभीरता से इस वायदे को पूरा करने में लग जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहे पर भरोसा है।