यह है असली इंटौलरैंस
इस देश में सहिष्णुता/असहिष्णुता को लेकर बड़ी बहस हो चुकी है लेकिन नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर संसद को ठप्प कर कांग्रेस बता रही है कि संसदीय परम्परा के प्रति वह इंटौलरेंट है। जिस तरह नेशनल हेराल्ड की हजारों करोड़ रुपए की जायदाद ‘यंग इंडिया’ कम्पनी के नियंत्रण में लाई गई जिसको चार लोग चला रहे हैं जिनमें सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी भी हैं, गंभीर सवाल खड़े करती है और गांधी परिवार की निस्वार्थ देश की सेवा की बड़ी मेहनत से बनाई छवि कलंकित हो गई है। सारा प्रयास सोनिया-राहुल ने, सोनिया-राहुल के द्वारा, सोनिया-राहुल के लिए किया गया प्रतीत होता है। यह कांग्रेस पार्टी के लिए 2014 के आम चुनाव की हार से बड़ा संकट है क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों की दलदल में उसका प्रथम परिवार फंस रहा है। विपक्ष के हमले से कहीं अधिक नुकसान अदालती टिप्पणी तथा फटकार पहुंचा गए हैं। विशेष तौर पर सोनिया गांधी का बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि मई 2004 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना कर त्यागमूर्ति की जो छवि बनी थी वह तार-तार हो गई है और वह एक सामान्य चालाक राजनीतिज्ञ नज़र आती हैं।
राहुल गांधी का आरोप है कि कानूनी प्रक्रिया पीएमओ द्वारा संचालित है। इस प्रकार कह कर वह अदालत की अवमानना कर रहे हैं। उन्हें सम्मन अदालत ने जारी किये हैं प्रधानमंत्री के कार्यालय ने नहीं। पेशी में व्यक्तिगत छूट की अर्जी भी हाईकोर्ट ने ठुकराई, पीएमओ ने नहीं। शुद्ध अदालती मामले को राजनीतिक रंगत दी जा रही है। हाईकोर्ट का कहना है कि नेशनल हेराल्ड के मामले में ‘आपराधिक बू आती है।’ और यह सारा घपला धोखेबाजी, फ्रॉड, अमानत में खयानत तथा गबन के आरोपों को आकर्षित करता है पर राहुल गांधी का कहना है कि उन्हें 100 प्रतिशत यकीन है कि पीएमओ सियासी बदले की भावना से यह सब कर रहा है। सवाल है कि पीएमओ क्या कर रहा है? क्या कांग्रेस के युवराज का मानना है कि प्रधानमंत्री का कार्यालय पर्दे के पीछे से अदालत को नचा रहा है? जो खिंचाई हुई है वह अदालत कर रही है न मोदी सरकार, न दिल्ली पुलिस और न ही सीबीआई जैसी कोई संस्था इसमें संलिप्त है। यह सही है कि मामला सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उठाया था जो भाजपा से सम्बन्धित हैं लेकिन यह उन्होंने निजी हैसियत से उठाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में व्यक्तिगत दखल को रोका नहीं जा सकता। अर्थात् अदालत भी समझती है कि प्रथम दृष्ट्या यह भ्रष्टाचार का मामला है।
गांधी परिवार तथा कांग्रेस के लिए सबसे स्वभाविक रास्ता था कि वह सुप्रीम कोर्ट में जाते पर ऐसा नहीं किया गया। क्या घबराहट थी कि कहीं बड़ी अदालत से हाईकोर्ट से भी बड़ी फटकार न पड़ जाए? अब कहा जा रहा है कि सारे सौदे में किसी का फायदा/नुकसान नहीं हुआ। ‘नो लॉस!’ यही बात 2जी घोटाले के बाद कपिल सिब्बल द्वारा कही गई थी जबकि 1.76 लाख करोड़ का घोटाला हुआ। यही बात कोयला ब्लाक आबंटन के बाद पी. चिदम्बरम द्वारा कही गई जबकि 11 ब्लाक नीलाम करने के बाद 80,000 करोड़ रुपए अर्जित किए गए। राबर्ट वाड्रा के जमीनी सौदों के बारे भी यही कहा गया कि सब कुछ सामान्य है, कुछ गड़बड़ नहीं जबकि जनवरी में उन्हें भी ढींगरा आयोग के सामने पेश होना है। एक बार देवकांत बरुआ ने कहा था कि ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा।’ आज के कांग्रेसी कह रहे हैं कि ‘कांग्रेस इज सोनिया-राहुल, सोनिया-राहुल आर कांग्रेस।’ अब इस परिवार की कानूनी लड़ाई लडऩे तथा संदिग्ध रियल एस्टेट सौदों से ध्यान हटाने के लिए संसद को ही ठप्प कर दिया गया है पर जिसे अजय माकन जैसे मातहत ‘निस्वार्थ गरिमामय नेतृत्व’ कहते हैं, वह तो अवैध तौर पर जायदाद इकट्ठा करता पकड़ा गया। संसद में जीएसटी को रोक कर कांग्रेस बैठ गई है। सरकार को इस मामले में कोई समझौता नहीं करना चाहिए, किसी ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकना चाहिए। जीएसटी से कितना फायदा होगा मैं नहीं कह सकता। हो सकता है शुरू में कीमतें बढ़ जाएं लेकिन एक पार्टी जिसे लोग चुनाव में बुरी तरह से रद्द कर चुके हैं उसे यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि अपनी अदालती मजबूरी के लिए वह सरकार के कामकाज को रोक कर बैठ जाए। अफसोस, देश के विकास को कांग्रेस के प्रथम परिवार की राजनीति का बंधक बनाया जा रहा है। इसीलिए लोकराय इस कथित निस्वार्थ गरिमामय नेतृत्व के खिलाफ हो गई है।
नेशनल हेराल्ड के पास नई दिल्ली, मुम्बई, भोपाल, पटना, लखनऊ, इंदौर और पंचकूला में जायदाद है। कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक नई कम्पनी ‘यंग इंडिया’ ने इसे केवल 50 लाख रुपए में खरीद लिया। तीनों, कांग्रेस पार्टी, एसोसिएटेड जरनलस तथा यंग इंडिया पर एक ही गुट का कब्जा है। दिल्ली के मैट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट ने टिप्पणी की है, ‘अभी तक मिले सबूतों के अनुसार यह नज़र आता है कि धोखा देने के लिए तथा सार्वजनिक पैसे को निजी इस्तेमाल में बदलने के लिए यंग इंडिया का इस्तेमाल किया गया ताकि एसोसिएटेड जरनलस की 2000 करोड़ की जायदाद पर कब्जा किया जा सके।’
निचली अदालत की यह टिप्पणियां मामूली नहीं लेकिन हाईकोर्ट तो और भी सख्त था। माननीय अदालत ने कहा कि ‘सबूत अपराधिता के हैं।’ अदालत ने यह भी कहा कि ‘अपराधियों का आचरण सवाल खड़े करने वाला है’ और ‘उनके इरादे आपराधिक थे।’ इसके बाद राहुल गांधी कहते हैं कि बदले की कार्रवाई हो रही है।
सोनिया गांधी ने कहा है कि ‘मैं इंदिरा गांधी की बहू हूं किसी से नहीं डरती।’ पर अदालत को यह फर्क नहीं पड़ता कि आप किस की बहू, बेटी, पुत्र या दामाद हो। और न ही सोनिया दूसरी इंदिरा गांधी हैं। इंदिरा गांधी के खिलाफ मामला सत्ता के दुरुपयोग का था 2000 करोड़ रुपए की जायदाद हड़पने का नहीं। क्या ऐसा कह सोनिया गांधी अदालत को धमका रही हैं कि अदालत की ऐसी हिमाकत कैसे हो गई कि मुझे यानि इंदिरा गांधी की बहू को सम्मन जारी कर दिए? लेकिन एक बात और है। इस परिवार ने अभी तक सही मन से यह स्वीकार नहीं किया कि सरकार बदल गई है। जनादेश का आदर नहीं किया जा रहा। विशेष तौर पर नरेन्द्र मोदी के प्रति यह परिवार इंटौलरेंट है। अहंकार इतना है कि निर्वाचित सरकार को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा। न्यायपालिका को धमकाया जा रहा है और संसद की कार्रवाई को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। बिलकुल इंटौलरेंस है। लेकिन छवि पिघल रही है। सहानुभूति नहीं मिल रही। मीडिया खिलाफ हो गया है और जो विपक्षी दल साथ थे वह भी दूर हो रहे हैं।
जो समझते थे कि वह सबसे ऊपर हैं, विशिष्ट हैं, आज कानून के कटघरे में खड़े हैं। सही कहा गया कि,
हो जाता है जिन पे अंदाजे खुदाई पैदा,
हमने देखा है वह बुत तोड़ दिए जाते हैं!
हम हैं गांधी परिवार
अच्छी तरह समझे देश की जनता और मोदी सरकार
भ्रष्टाचार करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार
इसीलिए हम हैं अदालत और देश के कानून के पार
न हो सकती है हमसे कोई पूछताछ, न चल सकता है हम पर कोई केस
हमारे चमचों का गठजोड़ ही तो है कांग्रेस
देश के हित से हमारा कोई नहीं सरोकार
भले ही गांधी से हमारा कोई कभी न रहा हो रिश्ता
पर यह नाम ही तो रहा है हमारी राजनीति का हथियार
हम हैं गांधी परिवार भ्रष्टाचार हमारा जन्मसिद्ध अधिकार
हमें छेड़ा तो संसद में ताला जड़ देंगे
बिना मुद्दे के कोई भी नया मुद्दा गढ़ लेंगें।