पंजाब में ‘खतरनाक खेल’ (Dangerous Game In Punjab)

पिछले साल 27 जुलाई को दीनानगर के पुलिस थाने पर हमला और अब 2 जनवरी को पठानकोट के एयरबेस पर हमला यह बताता है कि पाकिस्तान के जेहादियों का फोकस कश्मीर से हट कर पंजाब की तरफ हो रहा है। ‘रा’ के पूर्व प्रमुख एएस दुल्लत का मानना है कि पंजाब में कुछ खतरनाक खेल चल रहा है जिसकी तह तक जाना जरूरी है। रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन का भी कहना है कि आतंकवाद के जरिए पंजाब में दोबारा मिलिटैंसी को भड़काने की कोशिश हो रही है। पंजाब की पाकिस्तान के साथ लम्बी 460 किलोमीटर सीमा है जहां कई जगह हैं जहां से अभी भी घुसपैठ हो सकती है। पर दुर्भाग्यवश हम अभी भी इस स्थिति से निपटने के लिए बेतैयार हैं जो पठानकोट की घटना से पता चलता है।
बीएसएफ ने केन्द्र को जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार उन्होंने माना है कि सीमा पर कई जगह कमजोरी है। अभी तक इस कमजोरी को खत्म क्यों नहीं किया गया? दीनागनर का हमला बता गया था कि पंजाब कमजोर कड़ी है फिर केन्द्र तथा पंजाब सरकारें सोई क्यों रहीं? पाकिस्तानी आतंकवाद अब पंजाब की सीमा के अंदर छलक रहा है। जहां बीएसएफ को अपनी कारगुजारी चुस्त करनी होगी वहां पंजाब पुलिस के ऊपर भी बहुत जिम्मेवारी आती है, आखिर घर तो हमारा है। यह भी समाचार है कि यह आतंकी हमले से दो दिन पहले दाखिल हो गए थे। यह किधर रहे? स्थानीय स्तर पर कौन लोग हैं जो उनकी मदद कर रहे हैं? स्लीपर सैल कौन से हैं? किन्होंने इन्हें आश्रय दिया? किन्होंने रास्ते दिखाए और दूसरी कार का प्रबंध करवाया? संभव नहीं कि इतने हथियारों तथा सामान के साथ उन्होंने सीमा पार की हो फिर यह कहां और किसने उपलब्ध करवाए थे? क्या आतंकियों ने तस्करी के रास्तों का इस्तेमाल किया था? पंजाब पुलिस प्रमुख सुरेश अरोड़ा का कहना है कि पुलिस लोकल मोड्यूल की तलाश कर रही है। दीनानगर की घटना के बाद यह तलाश क्यों नहीं की गई जबकि सब जानते हैं कि पंजाब की सीमा तस्करों तथा समाज विरोधी तत्वों का गढ़ है?
वर्षों से पाकिस्तान मिलिटैंसी को फिर सुलगाने की कोशिश कर रहा है। इसी साजिश के तहत पंजाब में भारी संख्या में ड्रग्स धकेले गए हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्र तथा यूथ में इनकी घुसपैठ हो सके। पुराने तस्करी के रास्ते जरूरत पडऩे पर काम आ जाते हैं। जिस आसानी से पाकिस्तानी नम्बर की काल के बाद वाहन का प्रबंध किया गया उससे पता चलता है कि ताल्लुक कितना गहरा है। ठीक है मिलिटैंसी यहां फिर जागृत नहीं की जा सकती लेकिन चुनावी साल में गड़बड़ करवाने के कई प्रयास हो सकते हैं। एएस दुल्लत के शब्द याद रखने चाहिए कि ‘पंजाब में कुछ खतरनाक खेल चल रहा है।’
बीएसएफ की जिम्मेवारी तो बनती ही है जो उसके एक कांस्टेबल अनिल कुमार की गिरफ्तारी से भी पता चलता है। बताया जाता है कि उसे सीमा पार से हथियार इधर लाने के चालीस से पच्चास हजार रुपए मिलते थे। सवाल तो यह है कि और कितने ऐसे गद्दार हैं जो पैसे लेकर देश की सुरक्षा को बेच रहे हैं? पंजाब विशेष तौर पर खतरे में है। जो नशे की तस्करी का मामला था वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। नशे की तस्करी के रास्तों का इस्तेमाल करते हुए आतंकवादी दाखिल हो गए हैं। इस मामले में बीएसएफ-पंजाब पुलिस तथा राजनीति से जुड़े कुछ लोगों के नापाक गठबंधन की भूमिका नजर आती है। यहां बैठे ऐसे लोग बेखौफ सरहद पार के साथ धंधा चला रहे हैं। पंजाब में नशे को लेकर बहुत शोर मच चुका है लेकिन मामला केवल सामाजिक ही नहीं, केवल सेहत से जुड़ा ही नहीं, पठानकोट की घटना बता गई है कि मामला देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है।
यह तो साफ ही है कि सारा मामला बहुत बड़ी सुरक्षा चूक का है। बीएसएफ जवाबदेह है कि छ: महीने के अंदर दो घुसपैठ कैसे हो गई? लेकिन पंजाब सरकार तथा पंजाब पुलिस की भूमिका भी अत्यंत कमजोर रही है। स्पष्ट₹ संकेत हैं कि आतंकवादी कश्मीर से अपना कार्यक्षेत्र पंजाब शिफ्ट कर रहे हैं लेकिन पंजाब पुलिस ने वह चुस्ती नहीं दिखाई जिसकी अपेक्षा थी। पंजाब पुलिस ने एक समय आतंकवाद का मुकाबला किया था और उसे पराजित किया था लेकिन अकाली शासन में उसके राजनीतिकरण ने इसे बहुत शिथिल छोड़ दिया। बहुत जरूरी है कि पंजाब पुलिस का पुराना रुतबा उसे लौटाया जाए। अभी भी ऐसे अनुभवी अफसर हैं जिन्होंने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया था इन्हें फिर खुला हाथ देना चाहिए ताकि वह ड्रग तथा राजनीति के घालमेल को समाप्त कर सकें। पंजाब में ‘नारको-टैरेरिज्म’ का गंभीर खतरा है।
पंजाब की बहुत बड़ी कमजोरी है कि यहां की सरकार लोगों का भरोसा खो बैठी है। ड्रग्स, भ्रष्टाचार, एक परिवार का शासन, प्रशासनिक लापरवाही तथा श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी जैसी घटनाओं के कारण लोगों तथा सरकार तथा सत्तारूढ़ अकाली दल के बीच दरार और चौड़ी हो गई है। हर लिहाज से अकाली-भाजपा सरकार पंजाब को कमजोर कर गई है। आम धारणा है कि बादल परिवार के बिजनेस हितों के लिए प्रशासन कमजोर कर दिया गया है। जिस तरह एक अकाली नेता के फार्महाउस पर एक दलित युवक के हाथ-पैर काट दिए गए तथा जिस तरह अकाली नेताओं की बसें दुर्घटनाएं कर रही हैं उससे पता चलता है कि उनका एक वर्ग बेधड़क हो गया है। अपनी बेटी की शादी से दो घंटे पहले सामाना के एक किसान द्वारा आत्महत्या भी बताती है कि ग्रामीण क्षेत्र में किस तरह हताशा है? एक समय देश का सबसे गतिशील प्रदेश पंजाब परिवारवाद, आर्थिक कुव्यवस्था और राजनीतिक भ्रष्टाचार के कारण अपनी परछाई रह गया है। भ्रष्टाचार, तस्करी तथा अनावश्यक राजनीतिक दखल से प्रशासन का मनोबल गिरता है और वह अपनी जिम्मेवारी सही तरीके से नहीं निभा सकता जिसकी मिसाल हम पठानकोट में देख कर हटे हैं। अमेरिका के प्रसिद्ध स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ टंकू वर्दराजन ने लिखा है, ‘पंजाब भ्रष्टाचार तथा ड्रग तस्करी का मलकुण्ड बन चुका है जिस पर एक अलोकप्रिय परिवार तथा पार्टी का शासन है जिसने देश के सबसे डायनामिक प्रदेश को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है…भारत अपनी पश्चिमी सीमा को इस तरह गली सड़ी नहीं रख सकता।’
अब मामला केन्द्र के सामने है। अगर पंजाब को फिर से अपने पांव पर खड़ा करना है तो जरूरी है कि तस्करों, अधिकारियों तथा राजनेताओं के नापाक गठजोड़ को तोड़ा जाए। एक बात और। पंजाब की जो हालत बन गई है इसमें भाजपा बराबर जिम्मेवार है इसलिए भी केन्द्र की जिम्मेवारी अधिक बन जाती है कि इस सीमावर्ती प्रदेश को सही करने के लिए सार्थक प्रयास करे क्योंकि यहां जनता भाजपा के नेताओं से भी कह रही है,
होता है जिस जगह मेरी बरबादियों का जिक्र,
तेरा भी नाम लेती है दुनिया कभी-कभी!

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.