
लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ब्लूचिस्तान, गिलगिट तथा पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों का जिक्र करने को वाशिंगटन स्थित ब्लूच बुद्धिजीवी मलिक सिराज अकबर ने ‘एक गेम चेंजर’ कहा है अर्थात् खेल बदलने वाला। उनका कहना है कि ब्लूचिस्तान पाकिस्तान के प्रतिद्वंद्वियों के लिए तैयार है जो इस्लामाबाद की फजीहत करना चाहते हैं और उसका खून बहाना चाहते हैं।
यह सज्जन बहुत आगे बढ़ गए लगते हैं। यह तो सही है कि प्रधानमंत्री के कथन से खेल बदल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री के कथन का यह मतलब नहीं कि भारत वहां दखल देने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी यह संदेश अवश्य दे रहें हैं कि पाकिस्तान के बारे वह लगभग वहां तक जाने को तैयार हैं जहां इंदिरा गांधी के सिवाय और कोई प्रधानमंत्री नहीं गया। अगर आप हमें कश्मीर में परेशान करोगे तो हम इसका जवाब ब्लूचिस्तान, गिलगिट तथा पाक अधिकृत कश्मीर में देंगे।
कश्मीर के बारे अभी तक भारत का रवैया सुरक्षात्मक और आत्मसंशय वाला रहा है। पर अब उग्रवादी कश्मीरियों को तथा बाहर से उन्हें समर्थन देने वाली ताकतों को संदेश दिया जा रहा है कि यह अलग किस्म की भारत सरकार है और अलग किस्म के प्रधानमंत्री हैं। यह जूते और प्याज दोनों नहीं खाएंगे। कश्मीरियों को भी बता दिया गया है कि आप की भी कुछ जिम्मेवारी है। अगर आप बुरहान वानी जैसे आतंकी को लेकर उत्पात मचाओगे तो उसका सख्त विरोध किया जाएगा। पाकिस्तान को संदेश दिया जा रहा है कि हम भी तुम्हारी दुखती रग पर हाथ रख सकते हैं।
पाकिस्तान का आधा क्षेत्रफल ब्लूचिस्तान में है और यह प्रदेश अत्यंत गरीब है पर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। ब्लूचिस्तान कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा था। उसे 1948 में सेना भेज कर हथिया लिया गया। तब से ही वहां राष्ट्रवादी आंदोलन चल रहा है और पाकिस्तान की सेना उन्हें कुचल रही है। अब लाल किले से पाकिस्तान को यह संदेश दिया गया है कि जिस तरह तुम भारत की एकता तथा अखंडता पर प्रहार करते रहे हो उसी तरह भारत भी तुम्हारी एकता तथा अखंडता पर प्रहार कर सकता है। अर्थात् मामला मात्र तू-तू मैं-मैं का ही नहीं रहा। खेल बदल रहा है और खतरनाक हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद से जवाब दे सकता है लेकिन भारत सरकार ने अपना आंकलन कर लिया लगता है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे। पाकिस्तान की पूंछ सीधी नहीं होगी। आतंकवाद तथा उग्रवाद जिस देश की सरकारी नीति का हिस्सा है, उसे चेतावनी दी जा रही है जिससे इकबाल के शब्द याद आते हैं, मुद्दत से आरजू थी कि सीधा करे कोई!
नरेन्द्र मोदी अपना जवाब दे रहे हैं कि अगर आप कहते हो कि कश्मीर विभाजन की अनसुलझी विरासत है तो ब्लूचिस्तान भी विभाजन की अनसुलझी विरासत है। पाकिस्तान, जिसे नाएला कादिर ब्लूच ने ब्रिटिश द्वारा बनाया गया टैस्ट ट्यूब राष्ट्र कहा है, के बनने से कई सौ साल पहले ब्लूच आजाद राष्ट्र था जिसे उसके प्राकृतिक संसाधनों के लिए पाकिस्तान की सेना ने हथिया लिया। कश्मीर कभी अलग देश नहीं था। महाराजा के अधीन यह सदैव भारत का हिस्सा रहा था।
विभाजन के समय ब्लूचिस्तान के शासक कलात के खान ने पाकिस्तान के साथ अपने देश के विलय से इन्कार कर दिया था। तब से लेकर अब तक पाकिस्तान की सेना ब्लूच लोगों के नरसंहार में लगी हुई है। कई प्रमुख ब्लूच नेता पाकिस्तान के कब्जे का विरोध करते हुए मारे गए हैं इनमें नवाब अख्तर बगुती भी शामिल हैं जो ब्लूचिस्तान के सबसे बड़े कबीले के सरदार थे। अनुमान है कि अब तक 20,000 ब्लूच नागरिक मारे जा चुके हैं। 15,000 लापता हैं जिसका मतलब है कि ठिकाने लगा दिया गया है।
अब पाकिस्तान तड़प रहा है कि भारत ‘लाल रेखा’ पार कर रहा है लेकिन खुद भी तो 70 वर्ष से पाकिस्तान यही करता रहा है। अफगान भी दुरंद रेखा को भी नहीं मान रहे और भारत से अधिक सैन्य सहायता मांग रहें हैं। पाक-अफगान सीमा सील कर दी गई है। हाल ही में पाक अधिकृत कश्मीर में चुनाव में जो धांधली हुई है उससे वहां बहुत असंतोष है। भारत संदेश दे रहा है कि गिलगिट, बाल्टीस्तान तथा पाक अधिकृत कश्मीर में वह भी असंतोष को हवा दे सकता है।
जैसे इंसान की जिंदगी में कई लम्हे आते हैं जब थोड़ी असावधानी की जरूरत होती है वैसे ही राष्ट्रों के समक्ष भी ऐसे मौके आते हैं कि बहुत सावधानी छोड़नी पड़ती है। कुछ बेधड़क होना पड़ता है। नरेन्द्र मोदी ने यह संदेश दे दिया है कि वह समझते हैं कि ऐसा मौका आ रहा है। नरेन्द्र मोदी ने इस क्षेत्र के बारे चर्चा को कठोरता से बदल दिया है। लेकिन इशारा केवल पाकिस्तान को ही नहीं चीन को भी है जिसने एक प्रकार से पाकिस्तान को खरीद लिया है। चीन ने आर्थिक गलियारे पर बहुत निवेश किया है जो गिलगिट से होकर ब्लूचिस्तान की ग्वाडर बंदरगाह तक जाएगा। ब्लूच लोग चीन की उपस्थिति और निवेश नहीं चाहते। इस गलियारे पर चीन 46 अरब डालर खर्च करने जा रहा है लेकिन अगर वहां बगावत जैसी स्थिति बन गई तो यह गलियारा लटक जाएगा। चीन के साथ भी मोदी का प्रयास सफल नहीं रहा। चीन ने हर हालत में पाकिस्तान की मदद करने का बीड़ा उठा लिया है जो संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के आतंकियों की मदद से पता चलता है। पहली बार एनएसजी में भारत को रोकने के लिए स्पष्टता से चीन का नाम लिया गया। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह चीन तथा पाकिस्तान इकट्ठे हो जाएंगे और भारत को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा पर अब नई दिल्ली यह संकेत दे रही है कि उसने इस हकीकत का सामना कर लिया है कि चीन तथा पाकिस्तान दोनों मिल कर भारत का विरोध करेंगे ही।
भारत की नीति में आए बदलाव के जो संकेत मिल रहे हैं उससे ब्लूच लोग रोमांचित हैं। एक लड़की करीम ब्लोच ने तो रक्षाबंधन पर मोदी को विशेष संदेश भेजा है। उसका कहना है कि लड़ाई हम खुद लड़ लेंगे आप केवल हमारी आवाज बनो। लेकिन जिसे नरेन्द्र मोदी की ‘मांसल नीति’ कहा जाता है वह सफल भी होगी? एक, ब्लूचिस्तान पूर्वी पाकिस्तान नहीं जो तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ था। दूसरा, उस वक्त भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन बहुत मिला था। तीसरा, पाकिस्तान अब एटमी ताकत है और उसके पास मजबूत सेना है। चौथा, उसे चीन का पूरा समर्थन है जो पाकिस्तान के और टुकड़े नहीं होने देगा। पांचवां, न ही इस बात की संभावना है कि भारत ब्लूचिस्तान में सीधी दखल देगा। लेकिन अगर वह बाज़ नहीं आते तो भारत वहां पाकिस्तान की नाक में दम जरूर कर सकता है। लाल किले से भारत के प्रधानमंत्री ने चेतावनी दे दी है। क्या यह गेम चेंजर रहेगा? पर बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस रास्ते पर चलने का कितना दम भारत सरकार में है?