भारत के संयम का बांध आखिर टूट गया। अगर जवाब नहीं दिया जाता तो सरकार तथा सेना दोनों की विश्वसनीयता पर चोट पहुंचती। 28-29 सितम्बर 2016 निर्णायक दिन रहेंगे। नियंत्रण रेखा पार कर तथा पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर जाकर उन्हें ठोंकने की कार्रवाई बताती है कि देश, सरकार तथा सेना की बर्दाश्त खत्म हो रही है। पाकिस्तान समझता रहा कि भारत एक बनिया-ब्राह्मण सॉफ्ट स्टेट है, कुछ देर गर्जेगा फिर शांत हो जाएगा। उन्हें मालूम नहीं था कि यह नया आश्वस्त भारत है और यह सरकार वहां तक जाने की इज़ाजत देगी जहां 1971 के बाद किसी भारतीय सरकार ने जाने की इज़ाजत नहीं दी। 1999 में कारगिल युद्ध के समय भी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेना को नियंत्रण रेखा पार करने की इज़ाजत नहीं दी थी। आतंकवादियों के घर के अंदर घुस कर उन्हें मारने की इज़ाजत देकर नरेन्द्र मोदी ने नेतृत्व का प्रमाण दिया है। ‘सामरिक संयम’ की नीति हमने त्याग दी है।
पाकिस्तान की व्यवस्था के अंदर भारी घबराहट और हड़बड़ाहट है कि जैसे समझ नहीं आ रहा कि अपने लोगों को क्या बताएं? नवाज शरीफ से भी बुरी हालत सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ की बन रही है जिसकी छवि एक सुपरमैन की बना दी गई थी। राहिल ने तो अपने वजीर-ए-आजम को मुंडू बना रखा है। वह नवम्बर में रिटायर हो रहा है। इस हालात में उसकी रिटायरमैंट बदनामी तथा बेइज्जती में होगी। अब राहिल शरीफ की नाक के ठीक नीचे भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। फेयरवैल गिफ्ट दे दिया! वह जवाब देना चाहेगा लेकिन पाकिस्तान एक कमजोर स्टेट है और सेना का बड़ा हिस्सा पश्चिमी सीमा पर बंधा हुआ है। वह युद्ध नहीं चाहेगा लेकिन युद्ध जैसी स्थिति जरूर बनाएगा जिसके लिए भारत की सेना तैयार है। बारामूला जैसी और घटनाएं हो सकती हैं। स्लीपर सैल को सक्रिय कर दिया जाएगा। हमारे देश के अंदर आतंकी हमले हो सकते हैं लेकिन अब हर ऐसी कार्रवाई की सजा दी जाएगी।
पाकिस्तान की शरारतों से निबटने के लिए भारत सरकार ने कूटनीति, आर्थिक तथा सैनिक तीनों हथियारों का इस्तेमाल किया। अमेरिका ने उन्हें आतंकी कैम्प बंद करने के लिए कहा है। बलूचिस्तान, पीओके, गिलगित-बालटीस्तान, पखतूनखवा में आंतरिक असंतोष को उछाल कर पाकिस्तान को रक्षात्मक बना दिया। सार्क में पाकिस्तान को अलग-थलग किया गया। इसी के साथ सिंधु पानी का मसला तथा एमएफएन के दर्जे की बात उठाई गई। यह कदम आखिर में शायद नहीं उठाए जाएंगे पर पाकिस्तान को रक्षात्मक तो बना दिया गया। लगातार दबाव रखा।
70 साल दुनिया पाकिस्तान के दुराचार को बर्दाश्त करती रही। धमकी थी कि अगर हमें बचाया नहीं गया तो हम बर्बाद हो जाएंगे और देश पर जेहादी हावी हो जाएंगे। अब दुनिया ने इस भावनात्मक ब्लैकमेल में फंसने से इन्कार कर दिया। दुनिया उनसे तंग आ चुकी है। भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक भी देश, और मैं यह दोहराता हूं कि एक भी देश, पाकिस्तान के समर्थन में नहीं आया। यहां तक कि चीन जिसकी दोस्ती ‘पहाड़ों से ऊंची, सागर से गहरी और शहद से मीठी है’ ने इस मामले में पाकिस्तान का समर्थन करने से इन्कार कर दिया।
इस नाज़ुक समय में पाकिस्तान के कई नेताओं ने बेवकूफी भी बहुत की। तीन दिनों में तीन बार पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने परमाणु अस्त्र इस्तेमाल करने की भारत को धमकी दी। यहां तक कह दिया कि ‘हमने ऐसे बम बना दिए हैं जो भारत को नष्ट कर देंगे और उसकी आने वाली नसलें याद करती रहेंगी।’ पागलपन के खुले प्रदर्शन से पाकिस्तान की छवि एक गैर जिम्मेवार देश की पक्की होती है।
परमाणु हथियार कोई मामूली खिलौने नहीं हैं जिनका आप हलके में इस्तेमाल कर सको। 1945 के बाद इनका इस्तेमाल नहीं किया गया। क्यूबा को लेकर अक्तूबर 1962 में अमेरिका तथा सोवियत यूनियन के बीच टकराव के समय क्रश्चेव ने इनके इस्तेमाल की धमकी दी थी लेकिन हिम्मत नहीं कर सके और तेरह दिन के बाद मिसाइलें पीछे हटा लीं। कारगिल युद्ध के समय जब पाकिस्तान की पराजय हुई तो मुशर्रफ ने एटमी हथियार के इस्तेमाल पर विचार नहीं किया था। पाकिस्तान भी जानता है कि अगर परमाणु युद्ध होगा तो भारत का नुकसान होगा पर वह मटियामेट हो जाएगा।
पाकिस्तान के सैनिक शासक बदली हुई दुनिया तथा बदली हुई परिस्थिति को भांप नहीं सके। उनके दुर्व्यवहार को अब और पुरस्कृत नहीं किया जाएगा। रिक रोसोव जो अंतरराष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञ हैं ने कहा है कि ‘इस्लामाबाद के लिए आतंकवाद के समर्थन की कीमत बढ़ गई है।’ पाकिस्तान के शासकों के मन में यह गलत धारणा जम गई थी कि अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण उन्होंने भारत का जवाब सीमित कर दिया है। सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने इस हौवे को एक तरफ फेंक दिया।
मैं नहीं समझता कि बड़ा टकराव होगा पर आतंकी हमले की संभावना बनी रहेगी। दोनों देश युद्ध नहीं चाहते। पर अपनी तथा पाक सेना की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए राहिल शरीफ कुछ सनसनीखेज करना चाहेगा। मई-जून 1999 में कारगिल में मार खाने के बाद दिसम्बर 1999 में पाकिस्तान ने इंडियन एयर लाइंस की उड़ान 814 का अपहरण करवाया था और यात्रियों के बदले हमें मसूद अजहर तथा दो और आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। लेकिन इस समय तो वह सर्जिकल स्ट्राइक को नकार रहे हैं। पर अगर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं तो पाक टीवी चैनलों से नरेन्द्र मोदी को गालियां क्यों निकाली जा रही हैं? बीटिंग आफ रिट्रीट कार्यक्रम में उधर से पत्थर क्यों आया? सबूत की बात की जा रही है। बेहतर होगा कि मामला सरकार तथा सेना पर छोड़ दिया जाए। वे ही फैसला करें कि सबूत सार्वजनिक करने हैं या नहीं, और अगर करने हैं तो कब करने हैं?
पाकिस्तान अस्थिर हो सकता है। लेकिन असली कहानी बदलते भारत की है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नया भारत उभर रहा है जो अधिक आश्वस्त और निश्चित है। विशेषज्ञ एश्ले टैलिस ने लिखा है कि ‘मोदी उरी के उल्लंघन को बिना सजा दिए नहीं छोड़ सकते थे।’ भारत अब अनिश्चित और दुविधापूर्ण देश नहीं रहा। दशकों की हिचकिचाहट अब खत्म हो रही है। हमने युद्ध नहीं शुरू किया हमने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की। पर अब घटनाक्रम को हमें संभालना भी होगा। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध तो लगातार चलता रहेगा पर दुश्मन को स्पष्ट करना है कि इसकी भारी कीमत उसे अदा करनी पड़ेगी। देश के अंदर भी सही संदेश गया है। अब 56 इंच की छाती का मजाक नहीं बनेगा!