पंजाब : कम बुराई कौन सी है? (Punjab: Which is the Lesser Evil?)

प्रधानमंत्री मोदी की प्रकाश सिंह बादल की तारीफ के बावजूद पंजाब में जो हवा चल रही है वह बादल परिवार और हुकूमत को उड़ा ले जाएगी। वोटर इस बात को लेकर बिलकुल साफ नजर आता है कि उसे क्या नहीं चाहिए। वह पांच साल और बादल सरकार और बादल परिवार नहीं चाहता। इसका असर भाजपा पर होगा जिसका अस्तित्व ही अकाली दल पर निर्भर करता है। भाजपा के हाईकमान ने पार्टी को अकालियों को आउटसोर्स कर दिया। पंजाब में भाजपा ने तो सुसाइड कर लिया लगता है और उनके बारे कहा जा सकता है कि

कुछ लोग अपनी हिम्मत से तूफां की जद से बच निकले
कुछ लोग मगर मल्लाओं की हिम्मत के भरोसे डूब गए!

कई मामलों में बादल साहिब तारीफ के हकदार भी हैं। वह पूरी तरह से सैक्युलर हैं और उनके शासनकाल में यहां साम्प्रदायिक सद्भावना रही है। देश विरोधियों को सिर उठाने नहीं दिया गया। लेकिन यह वही बादल साहिब हैं जिन्होंने अपने परिवार को पंजाब के संसाधनों से खुले खेलने का मौका दे दिया। बेटा, बहू, दामाद, बहू का भाई तथा विविध रिश्तेदारों को पंजाब की हुकूमत सौंप दी गई। हैरानी है कि बादल साहिब ने देखा नहीं कि वह कैसा शासन दे रहे हैं जहां पंजाब रोडवेज का मुकाबला ‘बादल दी बस’ के साथ हो रहा है और पंजाब रोडवेज लगातार घाटे में जा रही है क्योंकि सभी लाभदायक रूट ‘बादल दी बस’ के पास हैं। और यह तो केवल एक मिसाल है।

क्योंकि परिवार सरकार का पर्यायवाची बन गया था इसलिए हर कमजोरी, हर गलती, हर घोटाले का ठीकरा इस परिवार के सिर ही फोड़ा गया। श्री गुरू ग्रंथ साहिब की दर्जनों बेअदबी की घटनाएं हो गईं पर एक भी अपराधी पकड़ा नहीं गया। चिट्टा कितने प्रतिशत है यह महत्व नहीं रखता पर यह तो साफ है कि पंजाब में ड्रग्स की समस्या है। 70 प्रतिशत युवा ड्रग्स में नहीं हैं जैसा राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं पर विशाल समस्या तो है। इस मामले में बड़े अकाली मंत्रियों के नाम आने से लोग और नाराज हो गए हैं। आर्थिक प्रगति में भी पंजाब नीचे लुढ़क रहा है लेकिन लोग यह बात करते सुने जा सकते हैं कि इस दौरान किस तरह सुखबीर बादल का साम्राज्य बढ़ता गया। हरसिमरत कौर बादल का कहना है कि लड़कों को काम करने का अधिकार है। यह सही है पर फिर आप सरकार मत चलाओ, धंधा करो। प्रभाव यह मिल रहा है कि यह परिवार निरंतर खुद को बढ़ाने में लगा रहता है। पंजाब में 20,000 कारखाने बंद हो गए। बेरोजगारी बढ़ी है। खेती का संकट है। इस दौरान परिवार फलता फूलता रहा। लोग अंधे नहीं हैं।

भाजपा के नेतृत्व ने गलती की कि एक पार्टी के साथ गठबंधन करने की जगह उन्होंने एक परिवार के साथ गठबंधन कर लिया। अब इस परिवार की बदनामी के छींटे भाजपा पर भी पड़ रहे हैं। अपने चम्मचों को हलका इंचार्ज का खिताब देकर थाने उनके हवाले कर दिए गए। और भ्रष्टाचार बेलगाम हो गया। अकाली दल जो कभी एक आंदोलन था एक परिवार के हितों से आकर जुड़ गया, वहां आकर सीमित हो गया। सिख स्वभाव से इंकलाबी हैं। कैसे यह समझ लिया गया कि लोग एक परिवार के शासन को सदा के लिए स्वीकार कर लेंगे? क्या गांधी परिवार का हश्र नहीं देखा?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि अगर बाहरी को पंजाब की हुकूमत सौंप दी गई तो देश खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि पाकिस्तान शरारत के लिए तैयार बैठा है। वह इशारा कर रहे हैं कि अगर आप की सरकार बनती है तो देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। यह ‘बाहरी’ वाली बात समझ नहीं आई। देश का कोई भी नागरिक कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है और मुख्यमंत्री/मंत्री/विधायक बन सकता है। अपने देश में कोई ‘बाहरी’ कैसे हो गया? अकाली तथा अमरेन्द्र सिंह यह भी कह रहे हैं कि किसी टोपीवाले को पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। अमित शाह का भी पूछना है कि आपको क्या चाहिए बाहरी सीएम या पंजाबी सरदार? यह साम्प्रदायिक टिप्पणी है और आपत्तिजनक है। एक टोपीवाला या एक गैर सिख पंजाब का मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता? कैनेडा में एक सिख रक्षामंत्री बन सकता है जिसकी पंजाब में बहुत सराहना की गई, पर पंजाब में गैर सिख मुख्यमंत्री नहीं बन सकता?

आप के हाथ में पंजाब की सत्ता आने से यह चिंता नहीं कि कोई ‘बाहरी’ या कोई ‘टोपीवाला’ मुख्यमंत्री बन जाएगा बल्कि असली चिंता यह है कि क्या इन अनाड़ी लोगों से पंजाब जैसा संवेदनशील सीमावर्ती प्रांत संंभाला भी जाएगा? इसे संभालने के लिए बहुत मजबूत और अनुभवी हाथ चाहिए जो इनके पास है नहीं। दूसरी चिंता और है। यह आप और विशेषतौर पर अरविंद केजरीवाल का रैडीकल सिखों की तरफ झुकाव और उनका आप को समर्थन है। मोगा में वह दो दिन खालिस्तान कमांडो फोर्स के पूर्व मुखी गुरविन्दर सिंह के घर में ठहरे। केजरीवाल जैसे चुस्त आदमी को कैसे यह मालूम नहीं था कि गुरविन्दर सिंह के घर रहने से उन पर सवाल उठेंगे?

लेकिन आप को समर्थन मिल रहा है विशेषतौर पर मालवा क्षेत्र में। यूथ और रैडिकल उनके साथ हैं। प्रधानमंत्री की चेतावनी से भी यह पता चलता है कि चार साल पुरानी पार्टी के उभार से पुरानी जमी हुई पार्टियां हिल रही हैं।

आप की मदद वोटर के एक बड़े वर्ग में नैराश्य तथा आशाहीनता की भावना कर रही है कि पुरानी घिसी पिटी नीतियों तथा पुराने जमे हुए चंद परिवार जो एक दूसरे के हितों की रक्षा करते हैं, से अगर छुटकारा पाना है तो नया परीक्षण करना पड़ेगा। यूथ विशेषतौर पर आप के व्यवस्था में बदलाव के वायदे से आकर्षित हैं। केजरीवाल कह रहे हैं कि इसे जेल में डाल दूंगा, उसे जेल में डाल दूंगा। लोग जानते हैं कि यहां कानून का शासन है इसलिए 15 अप्रैल तक संभव नहीं होगा लेकिन कहीं भावना है कि यह नेता और यह पार्टी हमारा बदला लेने का प्रयास कर रही है। इसीलिए समर्थन मिल रहा है।

कांग्रेस ने अमरेन्द्र सिंह को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया। पर क्या अमरेन्द्र सिंह उस परिवर्तन का चेहरा हो सकते हैं जिसकी पंजाबियों को तलाश है? वह तो घोषणा कर चुके हैं कि यह उनका अंतिम चुनाव है वह क्या बदलाव लाएंगे? अखबार में टल्ली भगवंत मान का चित्र और समाचार छपा है कि मोगा की रैली में वह पांच मिनट जनता को फ्लाइंग किस देते रहे। जनता के प्रति प्यार की भावना का प्रदर्शन तो गलत नहीं पर पांच मिनट फ्लाइंग किस देना तो कुछ अधिक ही है! उसके बाद वह बार-बार लड़खड़ाते गिरते रहे। और वह खुद को पंजाब का सीएम प्रस्तुत कर रहे हैं। सार्थक सवाल उठता है कि आप यह क्यों नहीं बताती कि अगर उनकी सरकार बनी तो सीएम कौन होगा? क्या भगवंत मान होंगे?

जैसे जैसे चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है एहसास यह है कि कोई भी बढ़िया विकल्प नहीं है। पुरानी पार्टियों से लोग ऊब गए हैं क्योंकि उन्हें एक ही थैली के चट्टे बट्टे समझा जाता है पर जो नया है उसको लेकर भी गंभीर शंकाएं हैं। पंजाब में बेबसी वाली हालत बन रही है। यह फैसला करना है कि कम बुराई कौन सी है?

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.