द आइडिया ऑफ कांग्रेस (The Idea of Congress)

June 29, 2017 Chander Mohan 0

ऐसा आभास मिलता है कि कांग्रेस का संदूक खाली है। जो कुछ है वह पुराना और बेकार है। कोई नई विचारधारा नहीं, नई सोच नहीं, नई प्रतिभा नहीं और नए लोग नहीं। वही चले हुए कारतूसों के बल पर राजनीति की जा रही है। अगर कोई नई सोच होती तो राष्ट्रपति के पद के लिए मीरा कुमार को आगे न किया जाता। मीरा कुमार उस व्यवस्था की उपज है जिसने अपने विशेषाधिकारों के बल पर देश का खूब दोहन किया है। बाबू जगजीवन राम की बेटी कोई ‘दलित’ नहीं चाहे अब वह दलितों के संघर्ष की बात कह रहीं हैं। वह पीढ़ियों से वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं करती, उलटा उस वशिष्ठ वर्ग से संबंधित है जिसने अपनी स्थिति का फायदा […]

दो पीढ़ियों के बीच हम (In Between Generation)

June 22, 2017 Chander Mohan 0

एक मित्र की पत्नी शिकायत कर रहीं थीं कि हमारी पीढ़ी वह है जिसने पहले अपने मां-बाप और सास-ससुर की सुनी और अब हम अपने बच्चों की सुन रहे हैं। ऐसा ही एक मैसेज सोशल मीडिया के द्वारा अमेरिका से मुझे भेजा गया, ‘‘हमारी पीढ़ी अनोखी पीढ़ी है क्योंकि हमारी अंतिम पीढ़ी है जिसने अपने मां-बाप की बात सुनी और पहली पीढ़ी है जो अपनी बच्चों की बातें सुन रही है।’’ यह मैसेज मैंने अपने कई मित्रों को भेजा था। सभी इस बात से सहमत हैं। तो क्या हम जो चली गई और जो आ गई है के बीच फंसी हुई पीढ़ी है? मानना होगा कि हमारे से पहले की पीढ़ी अधिक सख्त और कम अनुदार थी। यह नहीं कि […]

बेहूदा बदतमीज़ बकवास (Rubbish Nonsense)

June 15, 2017 Chander Mohan 0

इस देश में अपनी बात कहने की पूर्ण आजादी है। संविधान इसकी अनुमति देता है पर फिर भी कोई न कोई मर्यादा होनी चाहिए। जिन्हें बुद्धिजीवी माना जाता है जिस कारण समाज में उनकी प्रतिष्ठा भी है, उनका विशेष दायित्व बनता है कि वह मर्यादा और तमीज़ की लक्ष्मण रेखा पार न करें। हाल ही में लेखक और प्रोफैसर पार्था चटर्जी ने भारतीय सेना तथा जनरल बिपिन रावत के बारे जो कुछ लिखा है वह न केवल मर्यादा की लक्ष्मण रेखा को पार करता है बल्कि बेहूदा बकवास भी है। यह चाहे कोलम्बिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते हो पर वह बेदतमीज़ी की हर हद पार कर गए हैं। एक लेख में चटर्जी ने कश्मीर में सेना द्वारा मानव ढाल के इस्तेमाल […]

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वह कहां है? (Jinhe Naaz He Hind Pur Woh Kahan Hein?)

June 8, 2017 Chander Mohan 0

32 वर्ष के रवीन्द्र कुमार का कसूर क्या था? केवल यह कि उसने उत्तर दिल्ली के एक मैट्रो स्टेशन के बाहर सड़क पर दो लड़कों को पेशाब करने से रोका था। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उसने उन लड़कों को सुलभ शौचालय के इस्तेमाल के लिए 2-2 रुपए देने की भी पेशकश की थी ताकि वह जगह साफ-सुथरी रहे। कुछ बहस के बाद वह लड़के वहां से चले गए और शाम को कुछ और गुंडे साथियों के साथ लौट आए और उसे रॉड तथा तौलिए में ईंटें लपेट कर इतना पीटा कि उस गरीब ई-रिक्शा चालक की वहां ही मौत हो गई। पिछले साल मई में उसकी शादी हुई थी। पत्नी गर्भवती है। बताया जाता है कि […]

गिल साहिब, तालियां बजती रहेंगी (Gill Sahib, You Will Be Long Remembered)

June 1, 2017 Chander Mohan 0

देश के प्रति उनकी सेवा तथा भक्ति को देखते हुए यह बहुत अफसोस की बात है कि पंजाब के पूर्व डीजीपी के.पी.एस. गिल के साथ न्याय नहीं किया गया। जितना उनका योगदान था उसे देखते हुए, वह तो किसी गायक या क्रिकेटर से अधिक ‘भारत रत्न’ के अधिकारी थे। अगर वह आगे आकर खालिस्तानी आंदोलन को कुचलते नहीं तो पंजाब शायद आज भी अशांत रहता। लेकिन मानवाधिकार वालों के शोर तथा कुछ निजी कमजोरियों के कारण के.पी.एस. गिल को जिंदगी में सही तरीके से सम्मानित नहीं किया गया पर उनकी मौत के बाद जनता की तरफ से उन्हें जो श्रद्धांजलि मिली है उससे पता चलता है कि लोग जानते हैं कि यह जांबाज पुलिस जरनैल वास्तव में राष्ट्रीय हीरो हैं। […]