किस्सा फ्रांस की क्रांति से जुड़ा है। 1789 में जब यह शुरू हुई तो मैडम रोलांड तथा उनके पति क्रांतिकारियों के प्रमुख तथा प्रभावशाली सदस्य थे लेकिन बाद में एक उग्रवादी गुट हावी हो गया। हजारों को कैद कर लिया गया और हजारों को ही मौत के घाट उतार दिया गया। मैडम रोलांड को पर्याप्त क्रांतिकारी नहीं समझा गया और 8 नवम्बर 1793 को उन्हें सर काटने की मशीन गिलोटीन पर भेज दिया गया। जब मैडम रोलांड को ले जाया जा रहा था तो रास्ते में पेरिस के क्रांतिकारी चौराहे पर आजादी की मूर्ति लगी हुई थी। उसकी तरफ उदासी से देखते हुए मैडम रोलांड ने यह शब्द कहे जो आज तक याद किए जाते हैं, O LIBERTY WHAT CRIMES ARE COMMITTED IN THY NAME अर्थात, ए आजादी तेरे नाम पर क्या क्या अपराध किए जाते हैं! कुछ देर के बाद उनका सर कलम कर दिया गया।
आज के भारत को देखें तो कहने को दिल चाहता है O SECULARISM WHAT CRIMES ARE COMMITTED IN THY NAME अर्थात, ए सैक्यूलरवाद, तेरे नाम पर क्या क्या अपराध किए जा रहें हैं!
यह मैं लालू प्रसाद यादव तथा उनके कुनबे के संदर्भ में कह रहा हूं। सैक्यूलरवाद तथा सामाजिक न्याय के नाम पर इन लोगों ने कितनी धांधली मचाई है? बाप, मां, दो बेटे, बेटी सब बहती गंगा में खूब नहाते रहे। कोई उन्हें हाथ नहीं लगा सकता था क्योंकि हम तो ‘सैक्यूलर फोर्सिस’ के ध्वाजारोही हैं! परिवार के छ: सदस्यों पर अरबों रुपए की
बेनामी जायदाद इकट्ठा करने का आरोप है। रेल मंत्री रहते एक निजी कंपनी को रेल होटल चलाने का ठेका देने की एवज़ में पटना में तीन एकड़ का प्लाट ले लिया गया जहां बिहार की सबसे बड़ी मॉल बन रही है। यह तो एक मामला है।
बेनामी जायदाद, फर्जी कंपनियां, अरबों का अवैध लेन-देन। लालू यादव तथा उप मुख्यमंत्री पुत्र तेजस्वी पर तो बाकायदा भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया है। पर इनका जवाब क्या है? यह राजनीति रंजिश का नतीजा है। सीबीआई जो आरोप लगा रही है और अखबारों में जो छप रहा है उसका जवाब लालू जी यह दे रहे हैं कि ‘‘ मैं भाजपा को देश से उखाड़ दूंगा।’’
क्या भाजपा विरोध हर खून की माफी है? गरीब और पिछड़े बिहार के साधनों को यह लालची परिवार लूटता रहा। जरा भी शर्म नहीं आई। सब माफ है क्योंकि वह बड़े सैक्यूलर नेता हैं? पर आप आरोपों का जवाब तो दो?
पहले ही 900 करोड़ रुपए के चारा घोटाला के लालू प्रमुख आरोपी हैं। भ्रष्टाचार के मामले के कारण वह किसी पद पर नहीं रह सकते। इस मामले को लेकर 1997 में मुख्यमंत्री का पद भी छोड़ना पड़ा। इसके बावजूद यह कुख्यात आदमी भाजपा विरोधी ताकतों की धुरी बना हुआ है। और हिमाकत यह है कि अपने ‘दो अनमोल रत्न’ जो हाई स्कूल भी पास नहीं कर सके तेजस्वी तथा तेज प्रताप, को मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री तथा तीसरे नंबर का मंत्री बनवा दिया। सारे बिहार में इन दो अनपढ़ लड़कों के सिवाय उन्हें और युवा नहीं मिले जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता था?
लेकिन ऐसे लालू जी हैं। परिवार के बाहर कुछ नजऱ नहीं आता। जब खुद को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था तो पत्नी राबड़ी देवी को रसोई से निकाल कर मुख्यमंत्री बनवा दिया। जब उन्हें शपथ ग्रहण के लिए ले जाया जा रहा था तो वह सरल महिला पूछ रही थी कि मुझे करना क्या है? अब बेटी को सांसद बनवा दिया। क्या यह इनका ‘सामाजिक न्याय’ है?
लेकिन अब राबड़ी देवी पर सुशील मोदी का आरोप है कि उनके पास 18 फ्लैट हैं। अर्थात ढेरों बेनामी जायदाद है। बेटी मीसा तथा दामाद शैलेश ने फर्जी कंपनियों के पैसे से दिल्ली में फार्म हाऊस खरीदे हैं। सवाल यह भी है कि ‘सैक्यूलर ताकतों’ के दामादों की जायदाद में इतनी दिलचस्पी क्यों रहती है?
और दुख की बात है कि लालू प्रसाद यादव जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति की पैदायश है। 29 वर्ष की आयु में वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। वह देश के लिए ईमानदारी की मिसाल बन सकते थे। लेकिन जब मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश में गुंडा राज, जाति पर आधारित राजनीति तथा भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बढ़ावा दिया। अर्थात सक्रिय राजनीति में आते ही सारे आदर्श गुल हो गए। और यह परिवार देश में भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है। मीसा भारती तथा उनके पति शैलेश पर 8000 करोड़ रुपए का काला धन सफेद करने का आरोप है। कोई कसर नहीं छोड़ी गई। आयकर विभाग ने भी उनकी दर्जन भर जायदादें जब्त की हैं।
इस मामले में एक और सैक्यूलर नेता नीतीश कुमार धर्म संकट में हैं क्योंकि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य बर्दाश्त की बात कहते रहें हैं। नोटबंदी लागू होने के समय भी उन्होंने बेनामी सम्पत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। अब जबकि तेजस्वी पर इस मामले में केस दर्ज हो चुका है नीतीश कुमार के पास अधिक देर निष्क्रिय रहने का विकल्प नहीं रहा। देश के भावी प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा के कारण नीतीश भी भटक गए। उनके बारे तो कहा जा सकता है,
सिर्फ इक कदम उठा था गलत राह-ए-शौक में
मंजिल तमाम उम्र मुझे ढूंढती रही
जब से नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ रिश्ता तोड़ा है वह स्थिर नहीं हो सके लेकिन उस समय नीतीश नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर रहे थे इसलिए उन्होंने लालू के कुनबे से नापाक समझौता कर लिया। योग्यता को नकारते हुए उस घटिया फार्मूले को अपना लिया कि एक विशेष परिवार में जन्म ही उच्च पद के लिए पर्याप्त योग्यता है।
हर बार जब बिहार में परीक्षा में खूब धांधली होती है। लंगूरों की तरह परीक्षा भवनों के बाहर सहयोगियों के लटके हुए के चित्र छप चुके हैं। यह सुधार कैसे होगा जब आप स्कूल से भागे लड़कों को मंत्री बना दोगे? जब तक तेजस्वी तथा तेज प्रताप को मंत्री बनाया गया लालू को सजा मिल चुकी थी फिर भी नीतीश कुमार ने गलत समझौता कर लिया जिसकी कीमत आज वह भी बराबर चुका रहे हैं। उनके मंत्रिमंडल का कोई भविष्य नहीं है।
आज देश की सभी सैक्यूलर पार्टियां फंसी हुई हैं। कांग्रेस, ममता तथा देवेगोडा जैसे लोगों ने लालू का समर्थन किया है। कांगेे्रस के प्रवक्ता का कहना था कि भाजपा में जो काली भेड़े हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? पर कोई यह नहीं कह रहा कि लालू का कुनबा बेकसूर है।
इन लोगों को देश को जवाब देना चाहिए कि कथित धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, उदारवाद के नाम पर देश में कितना अपराध हुआ? कितना भ्रष्टाचार हुआ? कितना लोगों को लूटा गया? और किस तरह के अवांछनीय तत्व हम पर लाद दिए गए?