जिस देश में गंगा बहती है (Where Ganga Flows)

October 26, 2017 Chander Mohan 0

‘भात’, ‘भात’ कराहती हुई झारखंड के कारीमारी गांव की ग्यारह वर्ष की बच्ची संतोषी ने भूख से तड़प-तड़प कर जान दे दी। कारण यह बताया जाता है कि परिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से राशन मिलना बंद हो गया था क्योंकि उनका राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक नहीं था। अब विलाप करती उसकी मां कोयली देवी का कहना है कि काश उसके पास भात होता तो उसकी बच्ची बच सकती थी। कितना अनर्थ है कि आज के भारत में अभी भी लोग भूख से मर रहे हैं और उनकी भूख को आधार से लिंक किया जा रहा है। हमने खाक सुपरपावर बनना है अगर हम अपने लोगों का पेट भी नहीं भर सकते? और झारखंड तो वह प्रदेश […]

दिवाली पर बम और पटाखे (Bombs and Crackers of Diwali)

October 19, 2017 Chander Mohan 0

भारतीय जनता पार्टी के लिए दिवाली की शुरूआत अच्छी नहीं रही। जिस गुरदासपुर से 2014 में भाजपा के विनोद खन्ना 1.36 हजार से विजयी रहे थे वहां इस बार पार्टी दो लाख से हार गई। यह हार किसी बम गिरने से कम नहीं। भाजपा की पराजय के कई कारण हैं। उनके उम्मीदवार की छवि संदिग्ध है। पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह पर रेप का मामला दर्ज होने से अकाली दल उस क्षेत्र में बहुत बदनाम है। पंजाब भाजपा के पास न कोई नेता हैं और न ही किसी को उभरने ही दिया गया। दिल्ली का रवैया उपेक्षापूर्ण रहा है और पार्टी को अकालियों के पास गिरवी रख दिया गया। लेकिन असली कारण और है। लोग विशेष तौर पर कारोबारी, […]

नरेन्द्र मोदी और उनके निंदक (Narendra Modi and his critics)

October 12, 2017 Chander Mohan 0

पिछले कुछ सप्ताह इस सरकार के लिए अच्छे नहीं रहे। जैसी संभावना थी जब से विकास की दर 7.2 फीसदी से 5.7 फीसदी गिरने का समाचार बाहर निकला है सरकार सुरक्षात्मक हो गई है। यशवंत सिन्हा तथा अरुण शोरी जैसे वाजपेयी सरकार के मंत्री असुखद सवाल खड़े कर रहे हैं। राहुल गांधी के चेहरे पर चमक आ गई है। मैंने खुद 7 सितम्बर के लेख में लिखा था, “सरकार की गिरती अर्थव्यवस्था के दुष्परिणामों से निबटने के लिए तैयार रहना चाहिए।“ मोदी सरकार के लिए इस सबसे असुखद है कि संघ भी सरकार की आर्थिक नीतियों से असंतुष्ट है। विजयदशमी पर अपने भाषण में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने छोटे व्यापारियों को आ रही दिक्कतों का मामला उठाया था। उसी […]

मास्को में 50 साल बाद (In Moscow after 50 years)

October 5, 2017 Chander Mohan 0

मैं पहली बार मई 1967 में मास्को गया था। मेरी उम्र तब 21 साल की थी। मैं नई दिल्ली में यूएनआई में ट्रेनिंग ले रहा था कि उस वक्त के जनरल मैनेजर और प्रतिष्ठित पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने मुझे और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए चैकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग भेजा था। पूर्वी जर्मनी (उस वक्त)तथा सोवियत यूनियन की यात्रा हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा था। इसलिए इस जुलाई में जब वहां जाने का मौका मिला तो देखना चाहता था कि इन 50 वर्षों में क्या कुछ बदल गया? बहुत कुछ बदल गया। शीत युद्ध समाप्त हो गया, चैकोस्लोवाकिया के दो हिस्से हो चुके हैं और सोवियत यूनियन का पतन हो गया। 25 दिसम्बर, 1991 को वहां कम्युनिस्ट शासन समाप्त हो गया […]