हैरान हूं कि दुनिया क्या से क्या हो गई? (Surprised at what has become of our world)

तोते ने हमें उल्लू बना दिया! मेरा अभिप्राय सीबीआई से है जिसे कभी सुप्रीम कोर्ट ने ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा था। आरुषि हत्याकांड, 2जी, अब आदर्श सोसाईटी मामले में सीबीआई की असफलता देश को अवाक छोड़ गई है। सीबीआई अदालत के विशेष न्यायमूर्ति सैनी का कहना था कि “मैं 7 साल से हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बैठता रहा कि कभी कोई सबूत सामने आएगा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। गवाही देने कोई नहीं आया।“

इसका अर्थ क्या है? देश का सबसे कुख्यात मुकद्दमा इस तरह कैसे ढह गया? इसका अर्थ है कि जिस 2जी मामले ने मनमोहन सिंह सरकार की नींव हिला दी उसके बारे हमारी कथित  ‘प्रीमियर’ जांच एजेंसी बिल्कुल उदासीन निकली। अदालत का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे, महज़ अटकलों पर था केस।  सभी आरोपी रिहा कर दिए गए और अब सीबीआई बड़ी अदालत में जाने की बात कर रही है पर सवाल तो है कि पहले केस क्यों नहीं ठीक तरह से प्रस्तुत किया गया और क्या यकीन है कि आगे सही प्रस्तुत किया जाएगा?

याद रखने की बात है कि 2जी का मुकद्दमा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लड़ा जा रहा था किसी भी हाईकोर्ट को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं था। इसके बावजूद सीबीआई के जज का कहना है कि किसी ने सही सबूत पेश करने की ज़ेहमत नहीं उठाई। आरुषि हत्याकांड के मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी थी कि सीबीआई अपराधियों का अपराध साबित करने में बुरी तरह से असफल रही। आदर्श सोसाईटी के मामले में भी बाम्बे हाईकोर्ट का कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ केस चलाने के मामले में सीबीआई नए सबूत पेश नहीं कर सकी।

अजब देश है। बड़े अपराध होते हैं पर अपराधी कोई नहीं है। दाग-दाग उजाला पर बेदाग चेहरे! 2जी का मामला तो बहुत गंभीर था। इसके बारे सीबीआई की अगंभीरता तो दंग करने वाली है। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2008 में बांटे गए 2जी के 122 लाईसैंस मनमाने तथा असंवैधानिक ढंग से बांटे गए और पूर्व संचार मंत्री ए राजा ने एक प्रकार से प्राकृतिक संसाधन उपहार की तरह भेंट कर दिए। इस पर देश की बड़ी अदालत ने 122 लाईसैंस रद्द कर दिए और 7 लाईसैंस धारियों पर 17 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया। अब यह 22 लोग बरी हो गए हैं और ए राजा ‘सत्यमेव  जयते’ के पोस्टर के साथ तस्वीर खींचवा रहा हैं।

मैं संवैधानिक या कानून विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन मन में सवाल तो उठता है कि जब सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सही तरीके से आबंटन नहीं हुआ तो सीबीआई की अदालत कैसे कह रही है कि कुछ अपराध नहीं हुआ, कोई अपराधी नहीं? क्या सीएजी का आंकलन कि 1.76 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था गलत था? अगर गलत था तो क्या विनोद राय को देश को इसके बारे स्पष्टीकरण नहीं देना चाहिए? अगर देखा जाए कि 1.76 लाख करोड़ रुपया देश की जीडीपी का 4.41 फीसदी बनता है तो पता लगा जाएगा कि कितना बड़ा आरोप लगा था। और क्या कोयला घोटाला जो इससे भी बड़ा बताया गया का भी यही हश्र होने वाला?

इस वक्त तो कांग्रेस तथा द्रमुक बहुत प्रसन्न हैं। डॉ. मनमोहन सिंह जिन्होंने इस मामले पर 2011 में संपादकों से मुलाकात में गठबंधन धर्म की लाचारी व्यक्त की थी, अब दावा कर रहें हैं कि कुछ गड़बड़ नहीं हुई थी केवल गलत प्रचार किया गया। हमारी पुलिस-जांच एजेंसी-न्यायिक प्रणाली इतनी घटिया क्यों है कि पहले तो वर्षों लग जाते हैं और फिर दोषी बाइज्जत बरी हो जाते हैं? जो कुछ हजार की रिश्वत लेता है वह तो पकड़ा जाता है पर जो लाखों-करोड़ों के घपले करते हैं वह खुले आजाद फिरते हैं। हर राजनीतिक दल कमजोर न्यायिक जांच व्यवस्था चाहता है क्योंकि हमाम में सब नंगे हैं। नेतागिरी बड़ा धंधा बन चुका है। जितना बड़ा भ्रष्टाचार उतना बड़ा नेता। मुलायम सिंह और मायावती जैसों के मामले दशकों लटकते रहते हैं। अगर आप वीवीआईपी हो तो कानून की ऐसी की तैसी।

आम आदमी और बड़े लोगों के लिए अलग-अलग क्यों कानून है? जैन हवाला मामले में भी अदालत के मित्र ने शिकायत की थी कि जानबूझ कर कमजोर अभियोजन के कारण सजा नहीं दी जा सकी। न बोफोर्स मामले में ही किसी को सजा दी गई। चुनाव अभियान के दौरान भाजपा ने राबर्ट वाड्रा के कथित जमीनी घोटालों का बड़ा ढिंढोरा पीटा था पर साढ़े तीन सालों के बाद भी जबकि हरियाणा तथा राजस्थान दोनों में भाजपा की सरकारें हैं, वाड्रा की सेहत पर कोई असर नहीं। बड़े लोग बड़े-बड़े वकील करने की क्षमता रखते हैं जो मामला घुमाते रहते हैं। कभी-कभार ओम प्रकाश चोटाला या लालू प्रसाद यादव फंस जाते हैं पर यह अपवाद है। अधिकतर को तेज वकील और कमजोर अभियोजन बचा लेता है।

2जी घोटाले को देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया गया था। भाजपा की जीत में इस घोटाले का बड़ा हाथ था। जज सैनी ने कहा है कि सात साल मैं बैठा रहा कोई सही सबूत के साथ नहीं आया। पर इन सात सालों में से साढ़े तीन साल से तो भाजपा सत्ता में है फिर ऐसा घपला क्यों हुआ? जिन्होंने यह घोटाला उठाया था उन्हें देश को बताना चाहिए कि हुआ क्या? क्या द्रमुक के साथ नरमी बरती गई, जैसे आरोप लगाया जा रहा है? द्रमुक के नेताओं को बरी कर अब फोक्स उस वक्त के प्रधानमंत्री कार्यालय के दो वरिष्ठ अफसरों की तरफ ले जाया जाएगा?

भाजपा के नेतृत्व को समझना चाहिए कि उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। टविट्र पर किसी ने दिया है, “कालाधन नहीं आया। 2जी घोटाला नहीं हुआ। गंगा अभी भी मैली है। मेरी समझ कहती है कि मैंने अपने सिम को आधार से लिंक करने के लिए ही वोट दिया था।“

इस व्यंग्य में लोगों की हताशा झलक रही है। लोगों ने नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा के पक्ष में अधिकतर दो कारणों से वोट किया था, (1) विकास होगा तथा (2) भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ा जाएगा। दोनों मामलों में सरकार कमजोर रही है। विकास को नोटबंदी तथा जीएसटी से धक्का पहुचा और जहां तक भ्रष्टाचार खत्म करने का सवाल है, विजय माल्या लंदन में हैं और वह सुखराम जिनके पलंग के नीचे से हरे-हरे नोट निकले थे अब भाजपा के माननीय सदस्य हैं और उनके बेटे को हिमाचल में मंत्री बनाया जा रहा है। और भाजपा मे कोई भ्रष्टाचार उखाडऩे की बात नहीं करता।

राजनीतिक वार्ता का मुंह भी ट्रिपल तलाक तथा राम मंदिर की तरह मोडऩे का प्रयास हो रहा है लेकिन जैसे सुब्रहमण्यम स्वामी ने भी कहा है कि अगर भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी तो 2019 में मुश्किल होगी। लोग पूछेंगे कि क्या हुआ? क्या कारण है कि जिसे आप देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कहते थे उसके सभी अभियुक्त बरी हो गए? भाजपा के लिए यह किसी राजनीतिक धक्के से कम नहीं।

जो हुआ है और जो हो रहा है वह बहुत कष्टदायक है जिसके बारे हम अल्लामा इकबाल के साथ कह सकते हैं,

आंख जो कुछ देखती है लब पे सकता नहीं,

महव-ए-हैरत हूं कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी!

2जी मामले में फैसले से कांग्रेस संतुष्ट है पर अभी मामला उपर जाना है। सच्चाई है कि यूपीए के समय में भ्रष्टाचार की दुर्गंध चारों तरफ फैली हुई थी। गुजरात में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद उत्तर प्रदेश, बंगाल तथा अरुणाचल प्रदेश के उप चुनाव परिणाम बताते हैं कि कांग्रेस का पुनरुत्थान नहीं हो रहा। लालू प्रसाद यादव को मिली सजा से जहां राष्ट्रीय जनता दल का भविष्य संकट में पड़ गया है वहां कांग्र्रेस के एक बड़े समर्थक का सूर्यास्त हो रहा है। लेकिन तमिलनाडु के आर के नगर उप चुनाव में भाजपा को नोटा से कम वोट मिलना भी अपना संदेश देता है।

इस सारे घपले में भाजपा के लिए एक ही अच्छी खबर है, जयराम ठाकुर का हिमाचल का मुख्यमंत्री बनना। यह हमारे लोकतंत्र का जश्न है कि एक मिस्त्री का बेटा, जिसका भाई कारीगर है और बहन आंगनबाड़ी वर्कर है प्रदेश का  मुख्यमंत्री बन रहा है। राजदीप सरदेसाई जैसे कुछ पत्रकार टिप्पणी कर रहे हैं कि भाजपा ने फिर सवर्ण जाति के व्यक्ति को सीएम बना दिया। अपने दूषित चश्मे में उन्हें जयराम ठाकुर की कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि और उनके पांच बार विधायक चुने जाने के बावजूद उनकी बहन का अभी भी आंगनबाड़ी वर्कर और भाई का कारीगर होना नजर नहीं आता। अफसोस!

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.