पाकिस्तान के नज़ारे (Pakistan in Turmoil)

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तथा उनकी बेटी मरियम शरीफ जिन्हें दस और सात साल की कैद सुनाई  गई है इसे भुगतने के लिए पाकिस्तान लौट आए हैं और उन्हें गिरफ्तार कर रावलपिंडी के जेल में भेज दिया गया है। अप्रैल में उनकी सुप्रीम कोर्ट नवाज शरीफ को आजीवन चुनाव लडऩे के अयोग्य करार दे चुकी है क्योंकि वह ‘अमीन तथा सादिक’ नहीं हैं, अर्थात सच्चे और ईमानदार नहीं हैं। इस पर नवाज शरीफ ने टिप्पणी की थी कि क्या पाकिस्तान में बाकी सभी ‘अमीन और सादिक’ हैं?

पाकिस्तान का दुर्भाग्य रहा है कि किसी भी प्रधानमंत्री को अपनी अवधि पूरी करने नहीं दी गई। किसी को गोली मार दी गई तो किसी को फांसी लगा दी गई तो किसी का तख्ता सेना ने पलट दिया। नवाज शरीफ को इस बार हटाने के लिए न्यायपालिका का इस्तेमाल किया गया है। वह निश्चित करना चाहते थे कि नवाज शरीफ तथा उनकी पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज) 25 जुलाई के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाए। उन्होंने यह भी सोचा होगा कि बिसनेसमैन रहे नवाज शरीफ तथा उनकी रईस बेटी किसी हालत में पाकिस्तान की जेल में जाने के लिए वतन नहीं लौटेंगे। बेगम शरीफ की बीमारी का बहाना तो है ही। लेकिन नवाज और मरियम ने वापिस आकर उनके विरोधियों का सारा खेल बिगाड़ दिया। इससे जहां नवाज के प्रति सहानुभूति पैदा होगी वहां सेना के लिए यह शर्मिंदगी वाली बात है कि बेनजीर भट्टो की हत्या के मामले में भगौड़ा घोषित पूर्व राष्ट्रपति जो पूर्व सेनाध्यक्ष भी हैं, परवेज मुशर्रफ, कई अदालतों द्वारा बुलाए जाने के बावजूद वापिस वतन लौटने के लिए तैयार नहीं।

नवाज शरीफ तथा मरियम शरीफ ने लौट कर सेना को सीधी चुनौती दी है। इसमें कोई शक नहीं कि नवाज शरीफ तथा उनके परिवार ने विदेशों में भारी जायदाद इकट्ठी की है लेकिन प्रभाव मिलता है कि उन्हें विशेष निशाना बनाया जा रहा है, जबकि उनके जैसे बहुत लोग वहां आजाद फिरते हैं। लोग कह रहे हैं कि मुकद्दमें से पहले फैसला लिखा जा चुका था। पाकिस्तान के अमेरिका में रहे राजदूत हुसैन हक्कानी ने लिखा है, “भ्रष्टाचार पाकिस्तान की राजनीति की कष्टदायक हकीकत है लेकिन यह भी हकीकत है कि पाकिस्तान की सेना अदालती फैसलों द्वारा यह निर्णय करती है कि कौन पाकिस्तान की राजनीति में रहेगा और कौन अदालती फैसलों के द्वारा बाहर निकाला जाएगा। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘द डॉन’ ने भी टिप्पणी की है कि जवाबदेही चुन-चुन कर की जा रही है।

इस वक्त तो फैसला कर लिया गया लगता है कि नवाज शरीफ को रास्ते से हटा कर इमरान खान के हाथ सत्ता सौंपी जाएगी। इसीलिए कदम-कदम पर इमरान खान तथा उनकी पार्टी को जिसे पाकिस्तान की DEEP STATE अर्थात ‘गहरी व्यवस्था’ कहा जाता है जिसका अर्थ सेना, आईएसआई तथा अब न्यायापालिका से लिया जाता है, समर्थन दे रहे हैं। वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार मरिआना बाबर लिखतीं हैं, “आगामी सप्ताहों में पाकिस्तान की कठिन परीक्षा होगी। इस दौरान पता चलेगा कि क्या हम वास्तव में लोकतांत्रिक मुल्क हैं या इमरान खान के दोस्ताना चेहरे के पीछे से सेना और न्यायपालिका मिल कर देश को चलाएंगे।“ लेकिन इस चेहरे पर भी कालिख पोत दी गई है क्योंकि उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान ने बताया है कि इमरान की पांच अवैध संताने हैं जिनमें कुछ भारतीय हो सकती हैं।

नवाज शरीफ अपनी बिसनेस की खातिर राजनीति में आए थे और यही बिसनेस उनके लिए मुसीबतें खड़ी कर रही है लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि नवाज शरीफ तथा उनका परिवार, विशेष तौर पर उनकी घोषित उत्तराधिकारी मरियम वह बहादुरी तथा वह दृढ़ता दिखा रहे हैं जिसके बारे किसी को आशा नहीं थी। मरियम अब एक राजनीतिक ताकत बनेगी और अगर उनकी पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है तो न्यायपालिका के लिए बाप-बेटी को बहुत देर अंदर रखना आसान नहीं होगा।

पाकिस्तान के हर चुनाव में भारत एक मुद्दा रहा है, इस चुनाव को छोड़ कर। लेकिन नवाज शरीफ के साथ जो सलूक किया गया है उसका कारण भारत भी है। नवाज शरीफ बहुत समय से भारत के साथ संबंध बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए तो नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। न केवल नवाज शरीफ बल्कि अधिकतर राजनेता जो सेना तथा जेहादियों के दबाव में नहीं हैं, भारत के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं। लेकिन जिसके हाथ में सत्ता और ताकत है वह तनाव जारी रखना चाहते हैं। पत्रकार खालिद अहमद लिखते हैं, “भारत पर केन्द्रित राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था इस बात से बेखबर है कि उनकी निर्वाचित सरकारें भारत को लगातार चुनौती दिए जाने के खिलाफ हैं क्योंकि उनकी परिस्थिति इसकी इज़ाजत नहीं देती।”

व्यवस्था पर काबिज लोग समझते हैं कि चीन उनकी भारत के खिलाफ मदद करेगा लेकिन अब उन्होंने देख लिया है कि डोकलाम के बाद भारत और चीन के संबंध किस तरह सामान्य हो गए हैं। चीन पहले भी पाकिस्तान को यह सलाह दे चुका है कि कश्मीर को पीछे डालते हुए वह भारत के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करे। पाकिस्तान के लिए यह भी बड़ा झटका था कि आतंकवाद की फंडिंग के मामले में एफएटीएफ ने उन्हें ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। अर्थात चेतावनी दे दी गई कि अगर आप नहीं सुधरे तो अगली बार आपको काली सूची में डाला जाएगा। पाकिस्तान के लिए असुखद यह भी रहा है कि दोस्त चीन तथा साऊदी अरब ने इस संगठन में उनका बचाव नहीं किया।

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘अंतर्राष्ट्रीय अलगाव’ की चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इसी तरह आतंकवादियों और जेहादियों का समर्थन करते रहे तो आगे चल कर बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उपर से खजाना तेज़ी से खाली हो रहा है। पहले वह अमरीका के पास जाते थे अब कटोरा लेकर चीन के दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं। जून में चीन ने पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को और गिरने से बचाने के लिए एक अरब डॉलर का कर्जा दिया था। इससे पहले वह 6 अरब डॉलर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर ले चुके हैं। यह सब वापिस कैसे होगा? चीन बहुत उदार देश नहीं है।

पाकिस्तान के गृहमंत्री अहसान इकबाल ने दुखी होकर बताया है कि जहां पाकिस्तान का विदेशी मुद्दा भंडार 18 अरब डॉलर है वहां बांग्लादेश का 33 अरब डॉलर पहुंच गया है। वह सवाल करते हैं, “कितनी  देर हम दूसरे देशों को आगे निकलते  देखते रहेंगे?” फिर वह महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हैं,  “टैंक और मिसाईल अकेले देश को बचा नहीं सकते अगर वह आर्थिक तौर पर मज़बूत नहीं हैं।“ यह बात उन्होंने शायद सेना तथा ‘गहरी व्यवस्था’ को सुनाई है पर यह लोग तो देश की रक्षा तथा विदेशी नीति पर पूर्ण कब्ज़ा चाहते हैं। जहां एक तरफ हजारों पाकिस्तानी अच्छे अस्पतालों के अभाव के कारण भारत के वीजा के लिए लाईनों में लग रहे हैं वहां की सेना तथा व्यवस्था अपनी भारत विरोध की नीति को नरम करने के लिए तैयार नहीं है। पत्रकार जुबेदा मुस्तफा लिखती हैं, “भारत के साथ वार्ता शुरू करने का समय आ गया है। एक समय यह हमारी स्मृद्धि तथा विकास के लिए जरूरी था। आज कहा जा सकता है कि यह हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है।“

यही बात नवाज शरीफ भी मानते हैं जिसकी उन्हें सजा दी गई है। उलटा पाकिस्तान की व्यवस्था तो जेहादियों को राजनीति में उतार रही है। आतंकी हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग ने चुनाव में अपने 79 उम्मीदवार खड़े किए हैं जिसमें उसका बेटा तथा दामाद भी हैं। इन्हें राजनीतिक वैधता देने की कोशिश हो रही है पर जिन परिस्थितियों के कारण पाकिस्तान की सेना तथा उसका बदमाश टोला देश की व्यवस्था पर काबिज़ था, वह अब बदल रही है। न पश्चिम के देश और न ही अरब देश ही मदद के लिए तैयार हैं। चीन शायद पाकिस्तान का पतन न होने दे पर वह बहुत बोझ भी नहीं उठाएगा। पाकिस्तान बहुत उजाड़ भविष्य की तरफ देख रहा है। चुनाव अभियान के दौरान बम फट रहे हैं और दर्जनों लोग मारे जा रहे हैं। प्रमुख युवा पत्रकार सिरल एलमिडा ने सही चेतावनी दी है कि “आखिर में हमें वह आग तबाह कर जाती है जो हमने खुद लगाई होती है।“

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.