भारत तथा पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब गलियारा खोलने पर सहमति हो गई है। इस मुबारिक मौके पर सबको बधाई! विशेष वर्णन पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का करना चाहूंगा जिन्होंने इमरान खान के शपथ समारोह से लौटने के बाद हमें बताया था कि जप्फी डालने के बाद पाक सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा ने उनके कान में कहा था कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब गलियारा खोलने जा रहा है।
नवजोत सिंह सिद्धू का इमरान खान के बारे कहना है कि बंदा खरा है और वह भारत के साथ दोस्ती और शांति चाहते हैं लेकिन अगर सिद्धू अपना जोश कुछ नियंत्रण में रखे और मेरी गुस्ताखी माफ करें तो मैं कुछ सवाल करना चाहूंगा। अगर इमरान साहिब और उनकी सरकार वास्तव में भारत के साथ बेहतर संबंध चाहती है तो जिस दिन दोनों सरकारों ने इस गलियारे की घोषणा की थी उसी दिन पाकिस्तान स्थित पवित्र गुरुद्वारों में वहां गए सिख श्रद्धालुओं से भारतीय दूतावास के अधिकारियों को मिलने से क्यों रोका गया? वहां ‘खालिस्तान’ तथा ‘सिख रिफरैंडम 2020’ के पोस्टर और बैनर क्यों लगे थे? गुरुद्वारे तो सभी के लिए खुले हैं फिर भारतीय अधिकारियों को क्यों रोका गया? बार-बार पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों में भारतीय अधिकारियों से बदतीमीज़ी की जाती है। यह मानना मुश्किल है कि पाकिस्तान की सरकार को इसकी जानकारी नहीं या वह ऐसी गतिविधियां रोक नहीं सकती। अगर देखा जाए कि विदेशों में भी कई गुरुद्वारे जिन पर कट्टरवादियों का कब्ज़ा है में भारतीय अधिकारियों को या तो जाने नहीं दिया जाता या उनके साथ बदसलूकी की जाती है तो समझ आता है कि तार कहां से जुड़ी हुई है।
शायर ने लिखा है,
कथनी और करनी में फरक क्यों है या रब
वो जाते थे मयखाने में कसम खाने के बाद!
सिद्धू जी, पाकिस्तान का भी यही हाल है। एक तरफ वह संबंध बेहतर करने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ न केवल कश्मीर बल्कि पंजाब में फिर से गड़बड़ करवाने की कोशिश कर रहे हैं। खुफिया एजंसियां यह चेतावनियां देती आ रही हैं कि पाकिस्तान की कुख्यात एजंसी आईएसआई अपनी K-2 योजना को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रही है। कश्मीर में गड़बड़ के साथ-साथ खालिस्तान समर्थकों के सहयोग से पंजाब में फिर से अशांति पैदा करने का प्रयास हो रहा है। थल सेनाध्यक्ष जनरल रावत भी यह चेतावनी दे चुकें है कि पाकिस्तान की पंजाब में गड़बड़ करवाने की योजना है।
इसीलिए अमृतसर में फिर निरंकारी समागम पर हमला करवाया गया ताकि 1978 के निरंकारी-सिख टकराव की याद ताज़ा हो जाए जब 16 सिख मारे गए थे और पंजाब के काले अध्याय की शुरूआत हो गई थी। इससे पहले कई धार्मिक तथा समाजिक नेताओं की हत्या करवा पंजाब में बार-बार अशांति पैदा करने का प्रयास हो रहा है। यह अलग बात है कि लोग शरारत समझ गए हैं और इस बार उत्तेजित बिलकुल नहीं हुए पर सवाल तो है कि पाकिस्तान यह प्रयास कर क्यों रहा है, सिद्धूजी? निरंकारी हमले के बाद पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा का कहना है कि इस हमले के पकड़े गए दोषियों का पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तान लिबरनेशन फोर्स के सरगना से संबंध है। पंजाब पुलिस का कहना है कि फैंका गया ग्रनेड पाकिस्तानी मार्का था और हमला आईएसआई द्वारा प्रेरित था। यह लोग पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं को गुमराह कर आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित करते रहते हैं। आजकल सोशल मीडिया के द्वारा ऐसा करना आसान भी हो गया है। कैनेडा तथा इंगलैंड में बैठे देश विरोधी तत्वों की मदद से भी मामले को और गर्म करने की कोशिश हो रही है। पंजाब में पढ़ रहे कुछ कश्मीरी छात्रों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जालंधर से तीन ऐसे छात्र पकड़े जा चुके हैं।
पंजाब का यह भी दुर्भाग्य है कि हमारे नेता बहुत जिम्मेवारी नहीं दिखा रहे। निरंकारी हमले के तत्काल बाद सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह को जिम्मेवार ठहरा दिया था उनका कहना था कि क्योंकि सीएम रैडिकलज़ की सरपरस्ती करते हैं इसलिए अमृतसर हमला करवा दिया। दूसरी तरफ अमरेन्द्र सिंह की सरकार गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी तथा बरगाड़ी में गोली चलने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बादल तथा उनके पुत्र सुखबीर बादल को लपेटने की कोशिश कर रहे हैं। कड़वी सच्चाई है कि अमरेन्द्र सरकार के आने के बाद रैडिकल सिखों का दबदबा बढ़ा है। जिन्हें पंजाब रद्द कर चुका है वह बरगाड़ी मामले को लेकर फिर से प्रासंगिक बने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ अकाली नेता स्कूल की किताबों में सिख इतिहास को गलत प्रस्तुत करने के मामले को उछालने का प्रयास कर रहा है।
आप के नेता एचएस फूलका तो इतने बहक गए कि उन्होंने अमृतसर के हमले का दोष जनरल रावत पर डाल दिया। बाद में उन्होंने अपने शब्द वापिस ले लिए पर उन्हें समझना चाहिए कि सोशल मीडिया ऐसे गैर जिम्मेवार बयानों को दबोचता है और इन्हें बढ़ा-चढ़ा कर आगे पेश करता है। पंजाब में जरूरी है कि धार्मिक मामलों से ध्यान हटा कर अच्छे शासन की तरफ ले जाया जाए। पंजाब में नशे पर पहले से अधिक नियंत्रण है पर यहां से लगभग एक लाख छात्र विदेश चले गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में युवाओं द्वारा पलायन यहां की परिस्थिति के प्रति अविश्वास प्रस्ताव से कम नहीं है। इससे यहां के कालेजों की आर्थिक हालत डावांडोल हो गई लेकिन किसी ने यह देखने की कोशिश नहीं की कि यह क्यों हो रहा है? कैसे रोकना है? यहां शासन सुधार नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह को रोजगार तथा विकास बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। असंतुष्ट तथा बेरोजगार युवा बारुद से कम नहीं और वह दुश्मन के जाल में जल्दी फंसते है। पंजाब पहले यह झेल चुका है। जहां आम पंजाबी ने अपना संतुलन कायम रखा है यही बात तीनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस, अकाली दल और आप के बारे नहीं कहा जा सकता। इनके टकराव ने देश विरोधियों को खुलखेलने का मौका दे दिया है। लोगों का ध्यान सकरात्मक बातों पर ले जाने की बहुत जरूरत है। पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो ने एक लेख लिखा है कि “अगर पंजाब की शांति में विघ्न पड़ता है तो किस को फायदा होगा?” वह खुद इसका जवाब देते हैं “हमारा पड़ोसी निश्चित तौर पर खुशी मनाएगा।“ सिद्धूजी, यह लेख जरूर पढ़ें।
पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गलियारे की नींव रखने के कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने इसके दो कारण दिए हैं। एक, कि कोई दिन नहीं जाता जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिक मारे नहीं जाते और दूसरा, पाकिस्तान की आईएसआई ने पंजाब में अपनी दुष्ट गतिविधियां शुरू कर दी हैं। उनके अनुसार मार्च 2017 से लेकर अब तक सरकार ने 19 आईएसआई द्वारा लैस गैंग को बेअसर किया है। अमरेन्द्र सिंह की प्रतिक्रिया वह है जो एक चिंतित और देश भक्त नेता की होनी चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि उन्होंने यह निमंत्रण ‘दिल से स्वीकार किया है।‘
इसमें कोई शक नहीं कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति से दोनों देशों के लोगों का कल्याण होगा लेकिन अभी इस बात का कोई परिणाम नहीं कि पाकिस्तान की सेना तथा आईएसआई का गठबंधन जो उनकी भारत नीति का संचालन करता है, इस बात के लिए तैयार है। मुंबई पर 26/11 के हमले का मास्टर माईंड हाफिज सईद अभी भी खुला घूम रहा है। बाकी साजिशकर्त्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई। यह भी चिंता है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का आईएसआई गलत इस्तेमाल कर सकता है। लाहौर में ‘सिख फॉर जस्टिस’ जो रिफरैंडम 2020 के लिए अभियान चलाए हुए है को स्थाई दफ्तर खोलने की इज़ाजत दे दी गई है ताकि गुरपर्व के समय विभिन्न देशों से आए सिखों में अपना प्रचार कर सकें। इसलिए मेरी नवजोत सिंह सिद्धूजी से गुज़ारिश है कि अगर वह सचमुच दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं तो इस बार जब वह वहां जप्फी डालें तो इमरान साहिब तथा जनरल बाजवा के कान में जरूर कह दें कि वह पंजाब में बदमाशी बंद करें।
सिद्धूजी से एक गुज़ारिश (A Request To Navjot Singh Sidhu),