
जम्मू-कश्मीर के हालात पर अपने बयान पर अब राहुल गांधी ने संशोधन कर लिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इससे पहले कश्मीर पर अपनी टिप्पणी में राहुल गांधी ने कहा था कि वहां हालात बहुत खराब है और “लोग मर रहे हैं” जबकि एक भी प्रमाण नहीं कि सुरक्षा बलों की फायरिंग में कोई हताहत हुआ हो। राहुल गांधी की समस्या है कि वह समझते हैं कि राजनीति पब्लिक स्कूल की डिबेट है जहां उन्हें हर हाल में अपने मुखालिफ का विरोध करना है चाहे वह सही क्यों न हो। इस बार फिर यह उलट पड़ा क्योंकि पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र को कश्मीर बारे जो शिकायत की है उसमें राहुल गांधी की टिप्पणी का भी उल्लेख है।
पर पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र को लिखे जिस पत्र में राहुल गांधी का जिक्र है उसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा उत्तर प्रदेश से भाजपा विधायक विक्रम सैनी का भी जिक्र है जिन्होंने कश्मीरी महिलाओं पर अनावश्यक टिप्पणियां की हैं। जहां खट्टर ने कश्मीर से बहुएं लाने का जिक्र किया वहां सैनी ने “कश्मीर की गोरी महिलाओं” पर अभद्र टिप्पणी की। उस वक्त जबकि कश्मीर में स्थिति अत्यंत नाजुक बनी हुई ऐसी फिज़ूल टिप्पणियां सरकार के सामान्यता के प्रयास को और मुश्किल बनाती है। भाजपा के नेता राहुल गांधी को गैर जिम्मेवार कह रहें हैं पर मनोहर लाल खट्टर या विक्रम सैनी को भी कौन जिम्मेवार कहेगा? अफसोस है कि जैसे-जैसे भाजपा का प्रसार तथा विस्तार बढ़ रहा है हर तरह के अवसरवादी, नासमझ, बेकार तथा असामाजिक तत्व इसमें प्रवेश पा रहे हैं। इसीलिए आज मैं भाजपा में जैसे-जैसे लोग शिखर पर आ रहे हैं उनके बारे चिंता व्यक्त करना चाहता हूं।
भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कहना है कि पार्टी की सदस्यता सात करोड़ बढ़ गई है लेकिन सवाल तो है कि जो भर्ती हो रही है वह है कैसी? अमित शाह का कहना है कि पार्टी को नया खून चाहिए पर अगर यह खून दूषित हो तो? बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश द्वारा एक अधिकारी पर बैट से हमले के बाद प्रधानमंत्री को कहना पड़ा कि बेटा किसी का भी हो ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं। और जो लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए दल बदल कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं उनसे भाजपा को क्या फायदा मिलेगा? कांग्रेस की जिस संस्कृति के खिलाफ भाजपा एक समय सकारात्मक विकल्प नज़र आती थी वह भिन्नता अब कम होती जा रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री दवेन्द्र फड़णवीस का कहना है कि वह किसी का शिकार नहीं कर रहे लोग खुद भाजपा में आ रहे हैं। यह बात सही है लेकिन आप ऐसे बरसाती मेंढकों को प्रवेश क्यों दे रहे हो? भाजपा क्यों राजनीतिक धर्मशाला बनती जा रही है? जो कांग्रेस या दूसरे दल छोड़ कर अपनी चमड़ी बचाने के लिए भाजपा में शामिल हो रहे हैं उनका भाजपा के सिद्धांतों या विचारधारा से क्या लेना-देना?
अंधाधुंध दल बदल करवा भाजपा ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ नहीं रही। एक सर्वेक्षण के अनुसार भाजपा में सबसे अधिक सांसद और विधायक हैं जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। हाल ही में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद का मामला सामने आया है जिन पर एक छात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लडक़ी सुप्रीम कोर्ट में पेश हो गई है लेकिन उसका कहना था कि वह उत्तर प्रदेश में नहीं जाना चाहती। इससे पहले उन्नाव का कुख्यात मामला हो चुका है जहां भाजपा विधायक कुलदीप सैंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली लडक़ी को ही अपनी जान बचाने के लिए उत्तर प्रदेश से निकलना पड़ा।
लडक़ी को न्याय दिलवाने की जगह उसका शिकार किया गया। उसके परिवार को धमकियां दी गई कि अगर वह समझौता नहीं करते तो एक-एक कर मार दिया जाएगा। अब तक लडक़ी के पिता, मौसी, चाची सब मारे जा चुके हैं। वह खुद ट्रक भिड़ंत में मुश्किल से बची है। लडक़ी ने 25 बार शिकायत दर्ज करवाई लेकिन पुलिस के अनुसार शिकायतें झूठी पाई गईं। कुलदीप सैंगर का नाम एफआईआर में डालने में 10 महीने लगे और एक नाबालिगा से बलात्कार करने वाले विधायक को पार्टी से निकालने में भाजपा को भी एक साल लगा और यह कदम भी तब उठाया गया जब सारे देश में पार्टी की आलोचना शुरू हो गई। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और चीफ जस्टिस ने सारे देश की भावना को आवाज देते हुए सवाल किया कि ‘देश में हो क्या रहा है?’ योगी सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि चाहे चिन्मयानंद का मामला हो या कुलदीप सैंगर का, दोनों पीड़ितों को अपनी जान बचाने के लिए उत्तर प्रदेश से भागना पड़ा।
सवाल तो है कि ऐसे लोग इतने शक्तिशाली कैसे बन गए कि खुद को कानून से उपर समझने लगे सिर्फ इसलिए कि वह भाजपा से संबंधित हैं? अपराधी तो हर पार्टी में भरे हुए लेकिन भाजपा के नेतृत्व से आशा थी कि वह इस मामले में अधिक संवेदनशील होंगे लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी खामोश रही। राजनीति का हाल यह हो गया है कि पहले राजनेता अपराधियों से दूरी बनाए रखते थे पर अब सांसद साक्षी महाराज हंसते हुए जेल से कुलदीप सैंगर को मिल कर निकल रहे हैं। उन्होंने सैंगर को ‘यशस्वी’ कह दिया। लोकलाज़ की कोई चिंता नहीं? भाजपा की महिला सांसद भी इस मामले में खामोश रही।
कुलदीप सैंगर जैसे लोगों ने दशकों की मेहनत से भाजपा की जो छवि बनी थी उसे भारी क्षति पहुुंचाई है। सैंगर के मामले में यह भी उल्लेखनीय है कि वह सपा से दल बदल कर भाजपा में आया था। पार्टी चारों तरफ से दल बदल करवा रही है। मुकल राय के बारे सब जानते थे फिर भी पश्चिम बंगाल की राजनीतिक मजबूरी के कारण दल बदल करवा भाजपा में शामिल करवाया गया। वह भी इसलिए शामिल हुआ क्योंकि उसे अपना बचाव करना था पर अब नारद स्टिंग आप्रेशन के मामले में उससे सीबीआई पूछताछ कर रही है। कर्नाटक में ग्यारह, गोवा में दस तथा सिक्किम में दस विपक्षी विधायकों को दल बदल करवा भाजपा में शामिल करवाया गया। क्या जरूरत थी? अगर एकाध राज्य में भाजपा की सरकार नहीं बनती तो क्या फर्क पड़ जाएगा? और जो लोग प्रवेश कर रहे हैं वह कोई साधु संत नहीं, वह अपनी-अपनी कीमत मांगेंगे।
आभास होता है कि भाजपा का नेतृत्व देश के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझ नहीं रहा। अब देश उनके हवाले है। कांग्रेस चित है और कोई विरोध करने वाला नहीं। अब देश उधर जाएगा जहां भाजपा इसे ले जाएगी। भाजपा के पास वह मौका है जो शायद इससे पहले किसी भी सरकार को नहीं मिला उसे सही लोगों को उपर लाना चाहिए। एक तरफ चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने वाला है तो दूसरी तरफ साध्वी प्रज्ञा कह रही है विपक्ष की ‘मारक शक्ति’ के कारण भाजपा से सुषमा स्वराज तथा अरुण जेतली जैसे नेताओं का देहांत हुआ है। वह पहले भी काफी कुुछ अनाप-शनाप कह चुकी हैं। सवाल वही है कि बिना परखे ऐसे लोगों को सांसद क्यों बनाया गया? आजकल चपड़ासी रखने पर भी उसका बायोडाटा देखा जाता है पर भाजपा में जांच-परख की कमी है। सही दिशा-निर्देश नहीं दिए जा रहे और विस्तार की धुन में भाजपा के नेतृत्व ने लगाम ढीली कर दी है। राजनीतिक कचरा भरना गंदगी ही फैलाएगा।
इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘संघ परिवार’ के लोग भाजपा की दल बदल राजनीति से परेशान हैं। उनका मानना है कि अस्थाई हित के लिए व्यापक नैतिक उद्देश्यों दी कुर्बानी की जा रही है जिससे मूल्यों पर आधारित राजनीति को आघात पहुंचा है। इस रिपोर्ट से असहमत नहीं हुआ जा सकता। समय आ गया है कि इस अंधाधुंध भर्ती पर ब्रेक लगाई जाए और पूरी पृष्ठभूमि की जांच करने के बाद ही प्रवेश दिया जाए नहीं तो कहीं एक दिन ऐसा न आ जाए कि स्वच्छ भारत की तरह स्वच्छ भाजपा अभियान चलाने की जरूरत पड़ जाए।
भाजपा नेतृत्व की जिम्मेवारी (Responsibility of BJP Leadership),