वाराणसी से समाचार है कि प्रदूषण को देखते हुए वहां के तारकेश्वर महादेव मंदिर में पुजारियों ने शिवलिंग पर मास्क चढ़ा दिया है। उनका कहना है कि भोले बाबा को जहरीली हवा से बचाना है। वहां के सिगरा मंदिर में भी पुजारियों ने देवी-देवताओं को भारी प्रदूषण से बचाने के लिए मास्क पहना दिए हैं। चित्र में पुजारियों ने खुद भी मास्क डाले हुए हैं।
दिल्ली में भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बच्चों में कुछ मास्क बांटे हैं लेकिन अब तो विशेषज्ञ कह रहे हैं कि उत्तर भारत की हवा इतनी खराब है कि मास्क भी आपको बचा नहीं सकते। जो विशेषज्ञ बता रहें हैं वह भयानक है। दिल्ली में जो लोग सिगरेट नहीं पीते उनके फेफड़ों के कैंसर में तीन साल से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अनुमान है कि जो लोग दिल्ली और एनसीआर में रहते हैं वह रोजाना 30 सिगरेट के बराबर पीते हैं जबकि कोलकाता का आंकड़ा तीन है और मुंबई तथा बेंगलुरु के लोग केवल एक सिगरेट के बराबर ही पीते हैं। पिछले साल दिल्ली के लोगों को प्रदूषण के उस स्तर का सामना करना पड़ा जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुरक्षित स्तर से 11 गुना अधिक था। दुनिया के सबसे प्रदूषित 21 शहर भारत महान में हैं और इनकी सरताज हमारी भव्य राजधानी दिल्ली है जो लगातार दुनिया में सबसे प्रदूषित शहर है। भारत में हर वर्ष 12 लाख लोगों की प्रदूषण के कारण मौत हो रही है।
हालत इतनी खराब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए ने दिल्ली में हैल्थ एमरजेंसी घोषित कर दी है। दिल्ली गैस चेम्बर बन चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है कि “लोगों का दम घुट रह है पर सरकारें आरोप-प्रत्यारोप में उलझी हुई है।” लेकिन ऐसे कोई संकेत नहीं कि विभिन्न सरकारों की सेहत पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार कि लोगों की सेहत खराब हो रही है का कोई असर हुआ हो। विशेषतौर पर एक तरफ पंजाब-हरियाणा तो दूसरी तरफ दिल्ली प्रदूषण का गेंद एक-दूसरे की तरफ उछाल रहे हैं। केन्द्रीय सरकार इस मामले में हैरान-परेशान करने वाली निष्क्रियता दिखा रही है। मनीष सिसौदिया के अनुसार पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकऱ ने पराली जलाने को लेकर बुलाई तीन बैठकें रद्द की थी। यह भी अफसोसनाक समाचार है कि इस मामले में संसदीय कमेटी की बैठक में अधिकतर सांसद गायब रहे।
प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है सारा उत्तर भारत इसकी जद में है और यह आज की समस्या भी नहीं। हर वर्ष सर्दियों से पहले यह शुरू हो जाती है। पहले दिवाली को इसके लिए दोषी ठहराया जाता है, अब पराली को। दिल्ली सरकार का विशेष निशाना पंजाब तथा हरियाणा में जल रही पराली पर रहता है जबकि पराली से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है बाकी खुद दिल्ली का अपना है वाहनों से, निर्माण की धूल से तथा औद्योगिक प्रदूषण से। अब तो यह भी समाचार आया है कि दिल्ली की हवा ही नहीं पानी भी खराब है। देश के बड़े 21 शहरों के सर्वेक्षण के अनुसार मुंबई का पानी सबसे अच्छा है तो दिल्ली का सबसे खराब है। इसके लिए तो आप पंजाब के किसान को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते।
एक बार पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि पंजाब का न खाना, न पानी और न ही हवा अच्छी है और पंजाब तो कभी देश का सबसे तंदरुस्त प्रदेश समझा जाता था। आज हालत है कि मेरा शहर जालंधर भी खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो जाता है। दिल्ली तो अब ‘लॉस्ट केस’ अर्थात जिस का कोई बचाव नहीं, बनता जा रहा है। ठीक है पराली से स्थिति बदत्तर बनती है पर इसके लिए जरूरी है कि किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए ताकि वह पराली न जलाएं। शुद्ध हवा देने की जिम्मेवारी केवल किसान की नहीं होनी चाहिए और यह काम केवल प्रादेशिक सरकारें नहीं कर सकती। केन्द्र के हस्तक्षेप की जरूरत है। केन्द्रीय सरकार कई डूब रही कंपनियों को बचाने के लिए मदद देती है क्या वह देश की हवा साफ रखने के लिए अपना खजाना नहीं खोल सकती?
दिल्ली की बड़ी समस्या नया निर्माण तथा बढ़ती वाहन संख्या है। नए निर्माण पर तो दस साल के लिए रोक लग जानी चाहिए। बड़ी समस्या बढ़ती वाहन संख्या है। अगर दिल्ली ने बचना है तो वाहनों की संख्या में कठोर कटौती चाहिए। दिल्ली वालों को पैदल चलने या साईकल की सवारी करने या सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल की आदत डालनी होगी। 2006 में दिल्ली में 45 लाख वाहन थे जो संख्या अब बढ़ कर 1 करोड़ हो गई है। अब दिल्ली सरकार ने ऑड-इवन योजना लगाई है पर लाखों दो पहिए वाले वाहन जो 25 प्रतिशत वाहन प्रदूषण पैदा करते हैं को अछूता छोड़ दिया गया है।
बिगड़े हुए दिल्ली वाले अपने-अपने लाईफ स्टाईल में बदलाव को तैयार नहीं। अब तो बड़ी-बड़ी एसयूवी आ गई हैं जो और भी अधिक ईंधन का इस्तेमाल करती हैं। न्यूयार्क टाईम्स में सोमिनी सेन गुप्ता तथा नाजा पोयोविच ने बताया है कि कई बड़े वैश्विक शहर वाहनों को कम करने का प्रयास कर रहें हैं। बीजिंग बिजली से चलने वाली कारों को प्रोत्साहन दे रहा है तो लंदन बहुत पहले कारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा चुका है। एम्सटडर्म ने फैसला किया है कि 2030 से वह डीज़ल चलित कारों तथा ट्रकों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देगा लेकिन भविष्य के लिए ऐसी कोई सोच हमारे देश में गायब है। हमारे तो स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का नुस्खा है कि गाजर खाकर प्रदूषण से बचा जा सकता है! उन्हें यह नुस्खा प्रदूषण के कारण सांस की तकलीफ से अस्पतालों में भर्ती लोगों के सामने रखना चाहिए जो उन्हें गाजर का भाव अच्छी तरह समझा देंगे। नहीं प्रकाश जावेडकऱ, हर्षवर्धन, अमरेन्द्र सिंह, मनोहर लाल खट्टर, अरविंद केजरीवाल आदि से कोई आशा नहीं। यह सब अपनी-अपनी सीमित सोच और राजनीति में जकड़े हुए हैं। यह सारे उत्तर भारत के लिए सोच भी नहीं सकते इसलिए देश के नेता नरेन्द्र मोदी से अपील है कि वह इस मामले को अपने हाथ में लें और कठोरता से इसका समाधान निकाले।
हमारा सांस लेने का अधिकार ही खतरे में है। मोदी जी विदेशों में जाकर निवेश के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं लेकिन इस जहरीली हवा में कोई विदेशी यहां आना नहीं चाहेगा। सर्वेक्षण है कि 40 प्रतिशत दिल्ली वाले ही यहां से निकलना चाहते हैं। यह देश 5 ट्रिलियन अर्थ व्यवस्था नहीं बन सकता अगर हमारे पर्यावरण की यही हालत रही। हम ग्लोबल पॉवर बनने का दावा करते हैं पर अपने लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा और पीने के लिए साफ पानी भी नहीं उपलब्ध करवा सकते। विदेशी यहां से भाग रहे हैं। राजनयिक बरादरी विचलित है। अगर जीना आसाना होगा तो ही निवेश आसान होगा। प्रधानमंत्री को सभी राज्यों की बैठक बुला कर सख्ती से समस्या का समाधान निकालना चाहिए। प्रदूषण खत्म करने के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान चाहिए। संसद को भी इस पर बहस करनी चाहिए। चीन से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। यह नए तरीके का आपातकाल है जो हमने खुद पर थोपा है। यह आभास फैल रहा है कि नेतृत्व को लोगों की जिंदगियों की चिंता नहीं। एक ही व्यक्ति यह सब बदल सकता है, नरेन्द्र मोदी। उन्होंने अतीत में बहुत दिलेराना कदम उठाएं हैं अब एक और सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत है। प्रदूषण के खिलाफ युद्ध होना चाहिए। ऐसा केवल आज के लिए ही नहीं, आने वाली पीढिय़ों के लिए भी करना होगा नहीं तो एक दिन ऐसी स्थिति आ जाएगी कि बच्चे सितारों के बारे केवल किताबों में पढ़ेंगे, उन्हें सितारे देखने के लिए नहीं मिलेंगे। और धर्म स्थलों पर एयर प्योरोफायर लगाने की जरूरत बन जाएगी।
एक और सर्जिकल स्ट्राइक चाहिए (Surgical Strike Required Against Pollution) ,