शाहरुख़ खान और उनके परिवार से पूरी सहानुभूति है। किसी भी माँ बाप के लिए इससे कष्टदायक स्थिति नही हो सकती की उनकी संतान को जेल जाना पड़े और सारे देश में बदनामी हो। कई बार माँ बाप बिलकुल बेबस और अंजान होते हैं कि उनकी संतान ग़लत कामों में फँस गई है। आम प्रतिक्रिया होती है कि हमारा बच्चा ऐसा नही कर सकता। कई माँ बाप ऐसे भी होते है जो इतने व्यस्त रहतें हैं कि पता नही चलता कि बच्चा ग़लत रास्ते पर चल रहा है। परिणाम वही होता है कि सबको मिल कर भुगतना पड़ता है। आर्यन खान के बारे बालीवुड के कुछ लोग कह रहें हैं कि ‘ही इज़ ए गुड किड’ अर्थात वह अच्छा बच्चा है। पहली बात तो यह है कि 23 वर्ष का युवक बच्चा नही होता, मैरिजेबल एज है। और बालीवुड के लोग तो ख़ुद कई बार ग़लत उदाहरण प्रस्तुत करतें हैं, और कई बार शिकार उनके बच्चे हो जातें हैं।
1997 में सिमी ग्रेवाल के साथ इंटरव्यू में शाहरुख़ खान ने बहुत लापरवाही से कहा था, “मेरे बेटे को भी ड्रग्स का अनुभव करना चाहिए। उसे वह बुरे काम करने चाहिए जो मैं युवावस्था में नही कर सका… सैक्स और ड्रग्स का भी मज़ा लेना चाहिए”। शायद यह मज़ाक़ में कहा गया हो, पर कोई बाप ऐसा बकवास करे क्यों? आगे जाकर बच्चा क्या करता है, यह तो किसी को मालूम नही पर जिन्होंने बचाव करना है वह ग़लत तरफ क्यों धकेले? बालीवुड से ड्रग्स के बारे चिन्ता जनक ख़बरें मिल ही रहीं है पर जिस तरह आर्यन खान को दबोचा गया वह भी कई सवाल खड़े करता है। बताया गया कि जानकारी मिलने पर कि क्रूज़ शिप में रेव पार्टी होने वाली है एनसीबी के 22 लोग यात्री बन कर सवार हो गए। अगर देखा जाए कि एक टिकट एक लाख रूपए के क़रीब का है तो करदाता का 20 -22 लाख रूपया इस छापे पर ख़र्च किया गया। पर मिला क्या? 13 ग्राम कोकेन, 21 ग्राम चरस, एक्सटसी की 22 गोलियाँ और एमडी के 5 ग्राम। यह अलग अलग क्या हैं, मैं बताने की स्थिति में नही हूँ पर यह तो नजर आता है कि इतना हंगामा करने के बाद मामूली मात्रा में ड्रग्स पकड़े गए। यह भी सूचना है कि आर्यन खान ख़ुद से कुछ बरामद नही हुआ। ऐसा ही हंगामा सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद भी खड़ा किया गया। जिस तरह उस समय मीडिया का एक हिस्सा उत्तेजित था और रिया चक्रवर्ती का जलूस निकाल रहा था उसी तरह इस बार आर्यन खान को लेकर रोज़ वीडियो और ख़बरें निकाली जा रही हैं। पर केवल आठ लोगों को पकड़ा गया। खोदा पहाड़ निकला चूहा ? क्या सारा तमाशा इस एक लड़के को निशाना बनाने के लिए खड़ा किया गया?
हैरानी है कि जहाँ कुछ ग्राम ड्रग्स का यह मामला इतना बड़ा बना दिया गया, वहां गुजरात की मुंदरा बंदरगाह पर 3 टन ड्रग्स जिनकी कीमत 21000 करोड़ रूपए है के पकड़े जाने के बारे वह सक्रियता नही दिखाई गई। शुरू मे 4 अफ़ग़ानी, 1 उज़बेक और 3 भारतीयों को पकड़ा गया। स्पष्ट था कि इतना बड़ा काम यह लोग नही कर सकते। जब शोर मच गया कि सरकार इसलिए सुस्त है क्योंकि यह बंदरगाह अडानी की है तो सरकार सक्रिय हुई और मामला एनआईए को दे दिया गया। ड्रग्स किसी भी बंदरगाह पर उतर सकतें है पर इस मामले में इतनी पहले उदासीनता क्यों दिखाई गई? 16 सितम्बर का मामला 6 अक्तूबर तक एनआईए को क्यों नही दिया गया ? अब एनआईए छापे मार रही है पर 3 टन ड्रग्स की भारी बरामदगी से पता चलता है कि समस्या कितनी विशाल है। आर्यन खान तो मामूली है। क्या हैडलाइन बनाने के लिए कभी रिया चक्रवर्ती तो कभी आर्यन खान को निशाना बनाया जाता है जबकि बड़े मगरमच्छ खुलें घूम रहें हैं?
उपभोक्ता को पकड़ा जाता है या छोटों मोटे पैडलर को दबोचा जाता है जबकि ज़रूरत है कि जो धंधा चलाते है उन पर लगाम लगाई जाए। एमसीबी के 99% केस उपभोक्ता के ख़िलाफ़ होते हैं। सारा जोर अमल पर है जबकि रोकथाम पर होना चाहिए ताकि आसानी से मिलने वाली स्थिति बदले और नए नए युवा फँसने से बचा जैऐं। चरस और गाँजा का जो कभी कभी सेवन करतें हैं उन पर केन्द्रित होने की जगह उन पर फ़ोकस करना चाहिए जो इन तक ड्रग्स पहुँचाते हैं। पंजाब में भी सरकार असफल रही क्योंकि जो सरगना है उन्हे पकड़ा नही जाता। 3 टन ड्रग्स आयात करने वाले मामूली लोग नही हो सकते। वह कौन है? कब पता चलेगा? हर माँ बाप, हर टीचर ड्रग्स को लेकर चिन्तित है। हमारे स्कूलों में, विशेष तौर पर बड़े शहरों के स्कूलों में ड्रग्स गम्भीर समस्या बनती जा रही है। विशेष तौर पर शहरी युवा का एक वर्ग नशा करने लगे है। 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 6 में से 1 बच्चा जो 8-12 की संवेदनशील आयु में है, ड्रग्स लेता है। बड़े शहरों के फ़ार्म हाउस और कोठियों में रेव पार्टियों की आम चर्चा है। यह भी समाचार है कि युवा हवाई जहाज़ भर कर गोवा रेव पार्टी को लिए पहुँचते है। हमारी रगों में ड्रग्स घुस रहा है। हमारी भुगौलिक स्थिति भी समस्या खड़ी कर रही है। हम गोल्डन ट्राइएंगल (सुनहरा त्रिकोण) अर्थात थाईलैंड-लेऑस-म्यांमार और गोल्डन क्रैसेंट (सुनहरा अर्ध चन्द) ईरान-अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान के हेरोइन उत्पादक देशों के बीच फँसे हैं। दुनिया की अधिकतर हेरोइन यहीं से ही आती है। ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर चर्चा रही पर यह केवल पंजाब का मामला ही नही है, सारा देश ही ‘उड़’ रहा है। कोई सही आँकड़ा तो नही है पर यह 15 लाख करोड़ रूपए का धंधा बताया जा रहा है। यह नशा तो बाहर से आता है पर जिसे सिंथैटिक ड्रग्स कहा जाता है वह तो देश में ही बनता है। उस पर रोक क्यों नही लगाती सरकार ? यह सम्भव नही कि सरकार के मालूम नही कि किन कारख़ानों में सिंथैटिक ड्रग्स बनते है। हिमाचल प्रदेश का बद्दी क्षेत्र कुख्यात है।
जहाँ सरकार की बड़ी ज़िम्मेवारी है, वहां जरूरी हैं कि जो हमारे आइकॉन है वह भी अपनी ज़िम्मेवारी समझें। मैं फिर बालीवुड पर आता हूँ। लोग इन्हें सुपरस्टार समझते है और इनकी नक़ल करते है। अगर शाहरुख़ खान ने कह दिया कि इस क्रीम से आप गोरे हो सकते हो तो बहुत भारतवासी गोरे होने की तमन्ना पूरी करने लग पड़ते हैं। पंजाब में यह बड़ी समस्या है कि गानों के बोल बिगड़ रहें हैं और शराब और ड्रग्स का महिमागान किया जाता है। चिट्टे का प्रचलन नियंत्रण से बाहर हो रहा है। बालीवुड कला की आज़ादी की बात करता है पर इन्होंने ही देश में लिव-इन को प्रचलित कर दिया है। और इन्होंने ही सन्नी लियोन जैसे के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं। क्या कोई शर्म बची नही? सन्नी लियोन और पोर्न फ़िल्मे बनाने वाले राज कुन्द्रा में अधिक अंतर नही है। पैसे बनाने के लिए सब कुछ जायज़ है ? एक और बड़ी समाजिक समस्या कि हमारे कई सुपरस्टार पान मसाला के विज्ञापन कर रहें हैं। इसका विशेष तौर पर युवाओं पर बुरा असर पड़ता है जो इनकी नक़ल करते हैं।
समय समय पर अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ खान, अजय देवगन, रणवीर सिंह, ह्रितिक रोशन पान मसाला का विज्ञापन कर चुकें है। राष्ट्रीय तम्बाकू विरोधी संस्था के विरोध के बाद बच्चन ने अपना अनुबंध रद्द कर दिया है। उनका कहना है कि मालूम नही था कि इसका तम्बाकू से कोई सम्बन्ध है। हैरानी है कि अमिताभ बच्चन जैसे होशियार बंदे को, जो दुनिया भर को केबीसी द्वारा ज्ञान देता है, यह जानकारी नही थी। चलो जब जागो तब ही सवेरा! पर बाकी सितारे तो यह विज्ञापन कर रहें हैं। यह सितारे पान मसाला को इतना आकर्षित प्रस्तुत करतें हैं कि एक प्रमुख एनजीओ ने शिकायत की है कि इससे विद्यार्थियों में तम्बाकू का सेवन बढ़ रहा है। ऐसे विज्ञापन करना अवैध नही है पर जिन्हें लोग हीरो वरशिप करतें है उनकी भी कोई ज़िम्मेवारी तो बनती है। फ़ुटबॉल के प्रमुख खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो की मिसाल है। एक पत्रकार सम्मेलन मे जब उनके सामने कोका कोला की बोतल रख दी गई तो उसने इसे हटाते हुए तत्काल पानी की बोतल रख दी। संदेश साफ़ था कि फ़ुटबॉल का यह सुपरस्टार कोका कोला का समर्थन नही करता।
ऐसी हिम्मत हमारे सितारों में क्यों नही है? विशेषज्ञ कहतें हैं कि पान मसाला/गुटका में वह तत्व पाए जाते हैं जिसके अधिक सेवन से मुँह के कैंसर का खतरा है। लोग आप को अनुसरण करते है आप पर विश्वास रखतें है फिर आप ऐसी चीज़ों को प्रेरित क्यों करते हो जो दूसरों की सेहत के लिए खतरा है? क्या यह विश्वासघात नही है? टाटा मैमोरियल अस्पताल के एक अध्ययन के अनुसार पान मसाला के प्रभाव ‘किलिंग’ हो सकते हैं क्योंकि यह तम्बाकू का ही प्रतिनिधि है। इसलिए आज मैं विशेष तौर पर शाहरुख़ खान से निवेदन कर रहा हूँ। क्या ज़रूरत है? आपने कई कैंसर मरीज़ों की चुपचाप मदद की है फिर आप उस पदार्थ को प्रोत्साहित क्यों कर रहे हो जो कैंसर के लिए दरवाज़ा खोलता हो? दिल्ली सरकार आप से निवेदन कर चुकी है कि आप यह विज्ञापन बंद कर दें खेद है आपने ग़ौर नही किया। पैसे की आपको कोई कमी नही फिर युवाओं को ग़लत रास्ते पर धकेलने के प्रयास में आप मददगार क्यों बन रहे हो ? वैसे तो मेरा सभी सितारों से निवेदन है कि वह ऐसे विज्ञापन न करे जो युवाओं के लिए आगे चल कर मुसीबत बन जाऐं, पर मेरा विशेष निवेदन आर्यन खान के पिता से है। आज आप एक पिता के दर्द से गुज़र रहे हो। कम से कम आप को कुछ ऐसा नही करना चाहिए जिससे किसी और बाप का दर्द बढ़ जाऐ।