वह साल जो हमें ज़ख़्मी छोड़ गया, The Year That Left Us Wounded
उन तस्वीरों को भूलना मुश्किल है। यह वह तस्वीरें हैं जो देश की आत्मा को झुलसाने वाली थीं। कहीं चिताएँ जल रहीं थी तो कहीं अस्पतालों के आगे एमबूलैंस की क़तार खड़ी थी तो कहीं कोरोना के मरीज़ों के घरवाले डाक्टरों से गिड़गिड़ा रहे थे कि मरीज को दाख़िल कर लें। एक एक आक्सिजन के सिलैंडर के लिए लोग तड़प रहे थे। शमशानों के आगे लाईने लगी थी। एक दम लॉकडाउन के कारण कई कई दिन पैदल गाँव के लिए चलते बेरोज़गार हुए प्रवासियों के चित्र भी देखे। बेबसी और आशाहीनता की स्थिति थी। पराकाष्ठा तो तब हुई जब गंगा में शव बहते नजर आए। कम से कम मैंने अपनी ज़िन्दगी में ऐसे दृश्य कभी नही देखे। कुछ दिनों मे […]