भारत ने 15 दिसम्बर से कुछ देशों को छोड़ कर अंतराष्ट्रीय उड़ाने शुरू करने की घोषणा की थी जिसे अब वापिस से लिया गया है। इससे बहुत लोगों को राहत मिलती जिनका कामकाज बाहर है या मेरे जैसे जिनके परिवार बाहर हैं। अमेरिका तथा यूएई जैसे देशों के साथ आकाश खोल दिया गया है पर उड़ाने अभी भी नियमित नही हो पाई और वह महँगी बहुत हैं। दक्षिण अफ़्रीका में पाए जाने वाला कोरोना के नए वेरियंट ‘ओमिक्रॉन’ जिसे डब्लयूएचओ ने पहले ‘चिन्ता का मामला’ और अब ‘ऊँचा खतरा’ कहा है, के कारण अनिश्चितता पैदा हो गई है। कई देशों ने 7 अफ़्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों पर पाबन्दी लगा दी है। जापान और इसरायल ने अपनी सीमाऐं विदेशियों के लिए बंद कर दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उड़ाने शुरू करने पर दोबारा ग़ौर करने के लिए कहा है। उन्होने यात्रियों की गहन जाँच का भी आदेश दिया है।
कोरोना के इस नए अवतार के उत्पन्न होने से दुनिया को बहुत धक्का पहुँचा है क्योंकि धीरे धीरे सब सामान्य हो रहा था कि यह नई मुसीबत खड़ी हो गई है। हमारे लिए यह चिन्ता का विषय है क्योंकि हम देख कर हटें हैं कि कोरोना की दूसरी लहर यहाँ कितनी घातक थी। पर अभी यह भारत तक नही पहुँचा जैसे स्वास्थ्य मंत्री ने संसद को बताया है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि जिनको टीका नही लगा या जिन्हें दूसरी बार टीका नही लगा, उन्हे तेज़ी से टीका लगाया जाए। इसके अतिरिक्त जिन्हें साल के शुरू में टीका लगाया गया और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है को बूसटर शॉट दिया जाए। बच्चों को टीका लगाने का मामला भी है जिस पर सरकार ग़ौर कर रही है। आशा है जल्द कोई निर्णय सामने आएगा।
यह कोरोना का नया अवतार कितना ख़तरनाक है? इसको लेकर दो राय है। एक राय तो यह है कि यह पहले डेल्टा से 7 गुना तेज़ी से फैलता है इसलिए बहुत बचाव करने की ज़रूरत है। एम्स के प्रमुख डा. ग्लोरिया के अनुसार यह टीके से उत्पन्न प्रतिरोधक क्षमता को मात दे सकता है पर एक राय यह भी है कि यह इतना ख़तरनाक नही है। इंग्लैंड के वैज्ञानिक प्रो.कालुम सैम्पले जो सरकार को सलाह देतें हैं, ने कहा है कि यह तबाही नही मचाएगा क्योंकि टीका इससे बचाव करेगा। दक्षिण अफ़्रीका के जिस डाक्टर ने सबसे पहले इसके बारे जानकारी दी थी का कहना है कि उनके दर्जनों मरीज़ों को मामूली लक्षण थे और वह जल्द ठीक हो गए। प्रो.सैम्पले का कहना है कि ‘यह कहना कि यह भयानक है जैसे मेरे कुछ साथी कह रहें हैं स्थिति को बढ़ा चढ़ा कर पेश करना है’। अफ़्रीकन मैडिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार यह वेरियंट दो मास से अफ़्रीका में है पर वहां लगातार केस और मौतें घटी हैं। उलटा बताया जारहा है कि जिस योरूप ने अफ़्रीका पर ट्रैवल बैन लगाया है वहां मरीज़ 86 गुना अधिक, और मौतें 26 गुना अधिक है।
कुछ समय में पता चल जाएगा कि यह नया स्वरूप ख़तरनाक है या नही तब तक हमे पूरी एहतियात रखनी है। विदेशी उड़ानों के रास्ते से यह देश के अन्दर आसकता है। लेकिन क्या हम तैयार है? इसका जवाब ‘नही’ होगा क्योंकि जो संकल्प पहले नजर आता था वह अब ग़ायब है, लोगों में भी और सरकारों में भी। मास्क अब बहुत कम नजर आतें हैं और जो लगातें हैं वह मुंह और नाक को नही ढकते, ठुड्डी को सुरक्षित रखतें है ! और व्यवस्था किस तरह उलझी हुई वह दिल्ली सरकार के रवैये से पता चलता है। दिल्ली के लै.गवर्नर ने अस्पतालों को एमरजैंसी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि कोरोना के नए स्वरूप से प्रभावित देशों की उड़ानों पर पाबन्दी लगाई जाए पर इसी सरकार ने दिल्ली में स्कूल खोल दिए हैं। अगर एमरजैंसी स्थिति है तो बच्चों को खतरें में क्यों डाला जा रहा है? क्या सरकार का बायाँ हाथ नही जानता कि दाहिना हाथ क्या कर रहा है? सरकार हवाई अड्डों पर चौकसी की बात तो कह रही है पर लगता है कि कोरोना के मामले कम होजाने के कारण हम फिर पुराने ‘सब चलता है’ ढर्रे में लौट आए हैं। जमीन पर स्थिति क्या है, यह मैं व्यक्तिगत अनुभव से बताता हूँ।
सितम्बर के मध्य में हमने यूएई की राजधानी अबूधाबी के लिए उड़ान पकड़ी थी। वह दिन गए जब हाथ में पासपोर्ट हो जिस पर वीज़ा लगा हो और आप निश्चिंत सफ़र कर सकते हैं। कोरोना के कारण बहुत काग़ज़ी कार्रवाई करनी पड़ती है। वीज़ा उन्हे ही मिलता है जिन्हें दोनों डोज़ लगे होते हैं। आपका मोदीजी की तस्वीर वाला टीके का फ़ाइनल सर्टिफ़िकेट यूएई या जहाँ आप जा रहे हैं, के सरकारी एप्प पर अपलोड किया जाता है। उड़ान से 48 घंटे पहले आपको आरटी-पीसीआर का अपना टैस्ट करवाना पड़ता है। इसे भी अपलोड करना पड़ता है। आईसीएमआर की सूचि में जालंधर की जो दो लैब के नाम थे वह दोनों अब कोरोना के नमूने नही लेती। धन्य हमारी सरकार। यूएई के लिए उड़ान भरने से पहले हवाईअड्डे पर फिर यही टैस्ट करवाना पड़ता है जिसके लिए बताया गया कि छ: घंटे पहले अड्डे पर पहुँचना है क्योंकि उड़ान भरने से पहले आपके पास नैगेटिव रिपोर्ट चाहिए। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे में जहाँ यह लैब है वहां चाँदनी चौंक का नज़ारा था। वह खुली जगह है जिसके आसपास लोग टहल रहे थे कई उन्निद्र ज़मीन पर पड़े हुए थे। उपर जाने का एसक्लेटर बंद था। ठीक बीच में कुछ लोग कम्प्यूटरों पर बैठे हुए थे। साइड में दो सफ़ेद जिन्हें खोखा ही कहा जा सकता है, के अन्दर कर्मचारी बैठें थे जो आपका नमूना ले रहे थे। इस टैस्ट के लगभग चार हज़ार रूपए लिए गए जबकि बाहर इसके केवल चार सौ रूपएलगते हैं। मैंने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से इस बाबत शिकायत की थी पर कोई जवाब नही मिला। जिसने विदेश जाने के लिए उड़ान पकड़नी है वह तो मजबूर है। उसे दस हज़ार रूपए कहा जाएगा तो वह तो वह भी दे देगा, पर सरकार को तो देखना चाहिए कि यात्रियों का शोषण न हो।
नैगेटिव रिपोर्ट लेकर हम अन्दर आगए। सुबह के दो बजे थे और आईजीआई हवाईअड्डे खचाखच भरा हुआ था। बहुत कम मास्क में थे। जिसे सोशल डिसटेंसिंग कहा जाता है वह ग़ायब थी। लम्बी लम्बी क़तारें लगी हुई थी। यह इस बात का संकेत ज़रूर है कि देश कैसे तेज़ी से प्रगति कर रहा है पर यात्रियों के लिए चैक-इन, सुरक्षा जाँच, और इमीग्रेशन और पासपोर्ट चैक को दौरान लम्बी लाईने परेशानी का सबब हैं। आशा है कि नए जेवर हवाईअड्डे के निर्माण के बाद आईजीआई अड्डे पर दबाव कम हो जाएगी। लंडन के छ: हवाई अड्डे हैं, न्यूयार्क के तीन और बीजिंग के दो हैं। हवाई जहाज़ के अन्दर भी नज़ारा बदला हुआ था। हवाई कर्मी इस तरह सर से पैर तक ढके हुए थे जैसे आपकी चीड़फाड़ के लिए आपरेशन थेयटर में डाक्टर और मैडिकल स्टाफ़ हो ! पहले आपका मुस्कुराते हुए स्वागत होता था अब तो उनके तनावग्रस्त चेहरे बता रहें हैं कि कोरोना काल मे सब भयभीत हैं। हम भी प्लास्टिक की शील्ड और एन-95 मास्क में थे जो इंसान को वैसे ही तनावग्रस्त कर देता है। पर एक महीने के बाद जब हम वापिस लौटें तो ज़रूर नज़ारा बदला हुआ था और पहले वाली घबराहट नजर नही आती थी। हवाई कर्मियों का रवैया फिर दोस्ताना था। तब तक स्थिति सुधर चुकी थी।
अबूधाबी के हवाईअड्डे पर भी कोरोना टैस्ट करवाना पड़ा जिसमें एक घंटा लग गया। यह टैस्ट वहां के अलहौसन एप्प पर अपलोड किया जाता है। इसके चार और फिर आठ दिन के बाद फिर टैस्ट लिए गए जो फिर अपलोड किए गए। आप कहीं भी जाऐं, दुकान, रैसटोरैंट, होटल, सिनेमा, कल्ब, मॉल, आपको प्रवेश द्वार पर अपनी नैगेटिव रिपोर्ट दिखानी पड़ती है नही तो प्रवेश नही मिलता। इस मामले में पूरी सख़्ती थी, ढिलाई की गुंजाइश नही। दुबई में एक्स-पो के कारण बहुत विदेशी आ रहे थे पर इस सख़्ती के कारण सब कंट्रोल में रहा। सबने बाहर मास्क डाले हुए थे। मास्क से छूट केवल सैर, जॉगिंग या एक्सरसाइज़ के लिए दी जाती है। लगभग एक महीने के बाद हम वापिस दिल्ली लौटे तो बताया गया कि अड्डे पर फिर टैस्ट होगा। साथ बताया गया कि आपको अपनी जानकारी भारत सरकार के वैबसाइट पर अपलोड करनी है और स्व-जानकारी का फ़ार्म हवाईअड्डे पर जमा करवाना है और इसकी चार कापियाँ देनी है। जहाज़ के अन्दर भी बताया गया कि यह फार्म देना जरूरी है। उतरने पर टैस्ट हुआ पर यह चार कापियाँ किसी ने नही माँगी। हमारे दस दिन के बाद जो लोग आए उन्होने बताया कि उनका तो टैस्ट भी नही हुआ। हमारी चौकसी और संजीदगी कैसी है यह इसका प्रमाण है! देश भर में टेस्टिंग बहुत कम हो रही है। प्रभाव दिया जा रहा है कि जैसे हमने कोरोना पर फ़तह पा ली है। इसलिए जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि यात्रियों की ‘गहन जांच’ होगी तो शक होता है क्योंकि हमारी व्यवस्था बहुत जल्द ढीली हो जाती है और लोग लापरवाह हो जाते हैं। उड़ाने पूरी तरह से खुल जाने से आफ़त तो नही आजाएगी? दिल्ली से निकल कर हम जालंधर आगए। अगर अबूधाबी में 95 प्रतिशत लोगो ने मास्क डाले थे तो जालन्धर में 5 प्रतिशत ने भी नही डाले थे।
कॉमीडियन वीर दास को अमेरिका में ‘टू इंडिया’ शो को लेकर बहुत लताड़ा गया था, पर दो इंडिया और भी है। विदेश यात्रा से जब भी लौटता हूँ तो यह प्रभाव पक्का होता जाता है कि एक इंडिया हमारे जैसे अनुशासनहीन और कर्तव्य के प्रति लापरवाह लोगों की है जो आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं। पर देश के बाहर एक इंडिया और है जो अनुशासित है, प्रगतिशील है और बाकी दुनिया में अपना झंडा गाढ़ रहा है। यूएई में इस दूसरे इंडिया को मैंने खूब देखा है। यह वह इंडिया है जो इंडिया में इंडिया से भावनात्मक तौर पर जुड़ा अवश्य है, पर ख़ुद को इस इंडिया से अलग भी रखना चाहता है। इस पर कुछ चर्चा अगले लेख में।