पाकिस्तान डूब रहा है। केवल पानी में ही नहीं, वह आर्थिक, समाजिक और राजनीतिक तौर पर भी डूब रहा है। कई तो भविष्यवाणी कर रहें हैं कि वह अगला श्रीलंका बन सकता है। सारे मापदंड विनाश का संकेत दे रहें हैं। और मदद करने की इच्छा रखते हुए भी भारत कुछ नहीं कर सकता। इस समय पाकिस्तान उनकी मंत्री शैरी रहमान के मुताबिक़, ‘भीमकाय बाढ़’ में डूबा हुआ है। इंगलैंड के आकार से अधिक क्षेत्र पानी में डूबा हुआ है। डॉन अख़बार के अनुसार आधे से अधिक पाकिस्तान बाढ में डूबा हुआ है और लाखों लोग बेघर हो चुकें हैं। 1300 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है और यह संख्या बढ़ सकती है। 3 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। सामान्य से 780 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। देश की 45 प्रतिशत फसल योग्य ज़मीन बह गई है जिससे आने वाले सालों में बुरा आर्थिक शॉक लगेगा और भुखमरी की हालत बन सकती है। विशेषज्ञ बाढ़ के बाद विनाश की चेतावनी दे रहें हैं। प्राचीन विरासत स्थल मोहनजोदड़ो भी ख़तरे में है जहां लगातार दस दिन वर्षा हुई है।
पाकिस्तान की सरकार का अनुमान है कि 10 अरब डालर से अधिक का नुक़सान हुआ है जिसकी भरपाई करना पाकिस्तान के बस की बात नहीं है।संयुक्त राष्ट्र ने भी 1.50 अरब डालर की ही मदद की बात कही है। सिंध जो पाकिस्तान की फूड बास्केट है, की आधी उपजाऊ ज़मीन बह गई है। सिंध की कपास की फसल जो बहूमुल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करती है का 40 प्रतिशत बर्बाद हो गया है। असंख्य पुल, सड़कें,बिजली की लाइनें बह गई है। 14 लाख घर बह गए या ढह गए हैं और संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने चेतावनी दी है कि बेघर होने के कारण महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार बढ़ सकता है। बहुत जगह बिजली और गैस की सप्लाई रूक गई है।इंटरनेट ठप्प हो गया है। पाकिस्तान के उत्तर में बह रही स्वात नदी में आई बाढ़ के लिए सेनाध्यक्ष बाजवा ने नदी के किनारे हुए अवैध निर्माण को भी ज़िम्मेवार ठहराया है। इसमें हमारे लिए भी सबक़ है क्योंकि हमारे यहाँ भी नदियों के किनारे बहुत अवैध निर्माण है जिस कारण उत्तराखंड में कई बार हादसे हो चुके है। पर हम भी सावधान नहीं हुए।
पाकिस्तान पर यह बाढ़ का संकट उस वकत आया है जब वह बुरी तरह से आर्थिक संकट में फँसे हुए हैं। वह एक प्रकार से इंटरनैशनल भिखारी बन चुकें हैं। जो भी प्रधानमंत्री बनता है वह पैसे के लिए विशेष तौर पर रईस अरब देशों के चक्कर लगाना शुरू कर देता है। शाहबाज़ शरीफ़ भी यही कर रहे हैं। दो महीने पहले पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इक़बाल ने लोगों से अपील की थी कि वह कम चाय पीऐं। वह हर साल 60 करोड़ डालर की चाय पी जाते हैं और क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार ख़ौफ़नाक रफ़्तार से सिंकुड रहा है, इसलिए हर चाय का प्याला चुभ रहा है। पिछले साल अगस्त में उनका विदेशी मुद्रा भंडार 20 अरब डालर था जो एक साल के बाद गिर कर 9 अरब डालर के क़रीब रह गया है। पिछले साल जून में उनका विदेशी क़र्ज़ जो 86 अरब डालर था अब बढ़ कर 140 अरब डालर हो गया है। ख़राब शासन, अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, ग़लत प्राथमिकता, राजनीतिक अस्थिरता, डालर के सामने गिरता रूपया, अत्यधिक सैनिक खर्च, के कारण वह देश अब अपने घुटनों पर आ पहुँचा है। बाक़ी कसर कोविड, यूक्रेन और अब बाढ़ ने पूरी कर दी। पाकिस्तान के ग़म का प्याला छलक रहा है।
वहां पेट्रोल की क़ीमत 233 रूपए लीटर है, डीज़ल भी लगभग इतना ही है। बिजली बहुत महँगी कर दी गई है।महंगाई की दर रिकार्ड 27.3 प्रतिशत है। बाढ़ के कारण खाद्य सप्लाई में जो रूकावट आ रही है उससे महंगाई और बढ़ने की सम्भावना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि खाने की वस्तुओं और पेट्रोल-डीज़ल की ऊँची दरों के कारण देश में ‘प्रदर्शन और अस्थिरता’ फैल सकतें हैं और देश में भारी समाजिक-राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। इसके कुछ संकेत अभी से मिल रहे हैं। कई जगह भूखे लोगों द्वारा राशन के गोदाम और राशन ले जाते ट्रक लूटने के समाचार मिलें हैं। सब्ज़ियों के भाव आसमान को छू रहे हैं। टमाटर 480 रूपए किलो तक बिक रहा है। प्याज़ 200 रूपए किलो। बाक़ी सब्ज़ियों का भी यही हाल है। इसे देखते हुए यह माँग उठ रही है कि सस्ते भाव पर इनका भारत से आयात किया जाए। पर यह उस अभागे देश की त्रासदी का बड़ा कारण है कि कई बार चाहते हुए भी वह हम से मदद नहीं ले सकते।
पाकिस्तान की बाढ़ पर प्रधानमंत्री मोदी ने संवेदना का संदेश भेजा था जिसका धन्यवाद शाहबाज़ शरीफ़ ने भी किया। भारत हर प्रकार की मदद करने को तैयार हैं पर मामला पाकिस्तान की संकीर्ण राजनीति में फँस गया है। वहां एक राय है जो कहती है कि इस मुसीबत की घड़ी में भारत की मदद लेना या वहाँ से आयात करने में कोई बुरी बात नहीं है। कराची का डॉन अख़बार लिखता है, ‘पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ के कारण फसलें तबाह हो गई हैं…भारत से बेहतर मदद करने वाला नहीं मिलेगा’। शहबाज़ शरीफ़ की अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद ज़ुबैर ने कहा है कि इस स्थिति में ‘भारत से आयात न करना अपराध जैसा है’। लेकिन पाकिस्तान में उन मूर्खों की कमी नहीं भारत विरोध जिनके जीवन का मक़सद है।
इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने भारत से आयात के विचार पर ही शरीफ़ सरकार पर ज़बरदस्त हमला किया है कि वह ‘बाढ़ के बहाने’ भारत से आयात करना चाहते हैं। पूर्व मंत्री फाअद चौधरी का कहना है, ‘जब कश्मीर में इतने अत्याचार हो रहे हैं आप भारत से आयात करने की सोच भी कैसे सकते हो?’ और यह राय वहाँ काफ़ी प्रचलित है। विशेष तौर पर जो सुरक्षित और जिनके परिवार बाढ से प्रभावित नहीं, वह कश्मीर का बहाना बना भारत से सामान्य रिश्ते बनाने का विरोध कर रहें हैं। पत्रकार अमीर जिया लिखता है कि, ‘पाकिस्तान की सरकार बाढ़ की स्थिति का फ़ायदा उठा कर कश्मीर की क़ीमत पर भारत के साथ व्यापार खोलना चाहती है…पाकिस्तान ने समर्पण कर दिया’। इस सब का दबाव पाकिस्तान सरकार पर पड़ा है जो भारत से व्यापार खोलने का निर्णय लेकर मुकर गई है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफताह इस्माइल ने घोषणा की थी कि क़ीमतें पाँच गुना बढ़ गई है और इन्हें सम्भालने के लिए भारत से फल-सब्ज़ियों के आयात पर विचार हो रहा है। उनके व्यापार मंडल ने इस घोषणा का स्वागत किया था पर विरोधियों के डर से दो दिन के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने घोषणा कर दी कि ऐसा कोई विचार नहीं हो रहा, पहले कश्मीर पर विचार होगा फिर भारत से व्यापार खोला जाएगा। इन लोगों को अपनी कुर्सी की अधिक चिन्ता है जीवन मरन की स्थिति से जूझ रहे अपने अभागे लोगों की नही। ठीक कहा गया है कि देवता जिन्हें नष्ट करना चाहते हैं उन्हें पहले पागल बना देते हैं !
मार्च 2021 में भी ऐसा हुआ था जब इमरान खान की सरकार ने भारत से पाँच लाख टन चीनी आयात करने का फ़ैसला कुछ दिन बाद रद्द कर दिया था। और यह अजब स्थिति तब है जब पाकिस्तान हम से लगातार लाइफ़ सेविंग ड्रग्स आयात कर रहा है। एनेस्थीसिया जैसी दवाओं की क़िल्लत के कारण पाकिस्तान के कई शहरों, लाहौर समेत, में सर्जरी नहीं हो रही थी। तब उन्होंने एमरजैंसी हालत में भारत से दवाईऐं और टीके आयात किए थे। इस समय वह हमसे 150 दवा और टीके आयात कर रहें हैं। तब उनका कश्मीर प्रेम ख़तरे में नहीं पड़ा था पर टमाटर और प्याज़ ख़रीदने से कश्मीरियों के प्रति उनकी ममता खतरें में पड़ जाएगी! वह अफ़ग़ानिस्तान या ईरान से महँगी ख़रीददारी कर लेंगे पर भारत से दूर रहेंगे चाहे कितना भी नुक़सान हो। मंगलवार को वहाँ से जमाल अवान ने ट्वीट किया है कि उनके मित्र डा.आफ़ताब हैदर को अगले चार दिन में ‘थाईमोजिन’ इंजैकशन चाहिए जो पाकिस्तान में उपलब्ध नहीं है और वह भारत से आयात करना चाहतें हैं। उन्होंने दोनों सरकारों से अपील की है कि इसकी इजाज़त दी जाए। भारत से बहुत लोगों ने तत्काल मदद की पेशकश की है पर पाकिस्तान ख़ामोश है।
भारत की अर्थव्यवस्था यूके को पछाड़ कर पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डालर की हो चुकी है। बुद्धिमत्ता यही है कि पाकिस्तान भारत के साथ सम्बंध बेहतर कर खुद का उद्धार करें विशेष तौर पर जब चीन भी इस विपत्ति में उदारता से मदद नहीं कर रहा। लेकिन इसके लिए सही सोच की ज़रूरत है। अगर वहाँ के नेताओं में यह अकल होती तो वह इंटरनैशनल भिखारी न बनते। क्या पाकिस्तान अगला श्रीलंका बनने जा रहा है? बहुत समानता है। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है, विदेशी पूँजी धडाधड बाहर निकल रही है, अर्थव्यवस्था आयात पर निर्भर है जिसके लिए पैसे नहीं है, मुद्रा गिर रही है, कर- व्यवस्था कमजोर है। और उपर से राजनीतिक अस्थिरता है। यह घातक कॉकटेल है। पर फिर भी पाकिस्तान की अभी श्रीलंका जैसी हालत शायद न बने। बड़ा कारण है कि वह परमाणु हथियार सम्पन्न देश है और अंतराष्ट्रीय समुदाय ऐसे देश का पतन नहीं होने देगा क्योंकि तब इन हथियारों के ग़लत हाथों में पड़ने की सम्भावना है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष 22 बार पहले पैकेज दे कर पाकिस्तान को बचा चुका है और अब फिर पैकेज देने की तैयारी है।साउदी अरब, कतर और यूएई जैसे देश भी एक मुस्लिम देश का पतन नहीं होने देंगे।
इस सब से पाकिस्तान तत्काल डूबने से बच जाएगा पर इससे उनकी स्थाई मुसीबतों का अंत नहीं होगा। वह अगर सम्भले नहीं तो झटके खाते जाऐंगे और एक दिन श्रीलंका जैसा हश्र हो सकता है। इस मामले में हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वहाँ बहुत प्रभावशाली लोग हैं जिनका अस्तित्व भारत विरोध पर टिका है। लाहौर की अपनी यात्रा के दौरान एक प्रभावशाली भाषण में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि, ‘दोस्त बदल सकतें है पड़ोसी नहीं’। पर तब कारगिल हो गया और एक बार फिर भारत के नेतृत्व का हक़ीक़त से सामना हो गया। सही कहा गया है कि आप घोड़े को पानी तक तो ले जा सकते हो, उसे पीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। और इस मामले में तो घोड़ा न केवल अड़ियल है, बल्कि उद्दंड भी है।