कुछ नहीं तो ख़्वाब-ए- सहर देखा तो है, Yatra: Atleast A New Narrative
आज 26 जनवरी है जिस दिन ‘हम,भारत के लोग’ ने खुद को संविधान दिया था। एमरजैंसी के महीनों को छोड़ कर इस संविधान ने देश को सही दिशा में रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। आजकल ज़रूर संविधान के ‘बेसिक स्ट्रकचर’ को लेकर बहस चल रही है पर यह स्वस्थ बहस है और संविधान इसकी इजाज़त देता है। अगर सरकार जज नियुक्त करने के ‘कौलीजियम’ सिस्टम पर सवाल उठा रही है तो यह भी उसका अधिकार है, लोकतंत्र इसकी इजाज़त देता है। इन वर्षों में देश ने बहुत तरक़्क़ी की है और चर्चिल जैसे लोगों को झूठा करार दिया जो देश की आज़ादी के समय यह भविष्यवाणी कर रहे थे कि भारत का बिखराव कुछ ही समय की बात है। […]