पंजाब के औद्योगिक शहर लुधियाना में बड़ा अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स रैकेट पकड़ा गया है। शहर के ठीक बीच दो हेरोइन बनाने वाली फ़ैक्ट्री पकड़ी गई है। 18 लोग पकड़े गए हैं और 30 जायदाद सील कर दी गईं हैं। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार ड्रग्स का पैसा शराब व्यापार, राइस मिल,और यहाँ तक कि चंडीगढ़-मोहाली-पंचकुला के क्लबों और नाईट क्लब में निवेश किया गया है। दिलचस्प है कि जो पकड़े गए हैं वह सामान्य बिसनेसमैन है जिनका पिछला आपराधिक रिकार्ड नही है। अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान की मार्फ़त अफ़ीम आती है जिसे लुधियाना के ठीक बीच रिफ़ाइन किया जाता है। जिसे ‘ड्रग लार्ड’ कहा जाता है, अक्षय कुमार छाबड़ा, दो साल में चाय बेचने वाले से करोड़ोंपति बन गया था। बेहद जायदाद है, लग्ज़री कारें है। उसके सिंडिकेट के पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ सम्पर्क है। एक पूर्व बढ़ई अब महलनुमा मकान में रह रहा है। सब ड्रग्स-मनी की मेहरबानी है।
यह अच्छी खबर है कि बड़े ड्रग्स रैकेट का पर्दाफ़ाश हो गया है पर यह काम नारकौटिक कंट्रोल बोर्ड (एनसीबी) ने किया जबकि पंजाब पुलिस या प्रशासन को कानोकान खबर नहीं थी कि उनके सबसे बड़े और सबसे रईस शहर के ठीक बीच इंटरनैशनल ड्रग्स रैकेट चल रहा है। बहुत समय से शिकायत है कि पंजाब ड्रग्स का केन्द्र बनता जा रहा है। पंजाब जिसे गोल्डन क्रेसेंट (ईरान-पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान) तथा गोल्डन ट्राईएंगल (थाईलैण्ड-लेऔस-म्यांमार) कहतें हैं के बीच स्थित है। पाकिस्तान विशेष तौर पर सक्रिय हैं और लगातार उधर से ड्रोन द्वारा ड्रग्स गिराए जा रहें हैं। पर यह कारख़ाने तो लुधियाना शहर के ठीक बीच चल रहे थे और किसी को खबर नहीं हुई? ठीक है पाकिस्तान या दूसरे देशो पर हम नियंत्रण नहीं कर सकते पर अपना घर तो सही कर सकतें हैं? बहुत चिन्ताजनक है कि पंजाब पुलिस, स्पेशल टास्क फ़ोर्स, ख़ुफ़िया विभाग, कोई भी इस ड्रग्स युनिट और बड़े धंधे को पकड़ नहीं सका। 2013 से ही पंजाब को सबसे अधिक नशीले पदार्थों से ग्रस्त प्रदेश बताया जा रहा है लेकिन सभी सरकारें विफल रही है। अगर एनसीबी न पकड़ती तो यह रैकेट भी इत्मिनान से चलता जाता। हर एसएचओ को पता होता है कि उसके इलाक़े में क्या चल रहा है, पर लुधियाना के बीचोंबीच इन कारख़ानों के बारे न लुधियाना प्रशासन को पता चला और न ही चंडीगढ़ बैठी सरकार को। कार्रवाई दिल्ली से हुई। अकाली सरकार के समय राजनीतिक संरक्षण की बड़ी शिकायत मिलती रही। लोगों ने ग़ुस्से में सरकार बदल डाली पर हालात क्यों नहीं बदले?
आशा है कि मुख्यमंत्री लुधियाना के ड्रग्स रैकेट का पर्दाफ़ाश करने में नाकामी को गम्भीरता से लेंगे। यह प्रभाव अच्छा नहीं कि उनकी प्रशासन पर पकड़ कमजोर है। उनकी चेतावनी के बाद पीसीएस अफ़सर जो अपने एक साथी के भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ़्तारी के खिलाफ हड़ताल पर चले गए थे, काम पर लौट आए है। अपने दो मंत्रियों पर कार्रवाई कर भगवंत मान ने बता दिया कि वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस सब का स्वागत है। पर अभी तक उनके प्रशासन में जो कमजोरी का जो प्रभाव मिल रहा है के बारे वह कुछ नहीं कर सके। अपनी माँगो को लेकर 17 दिसम्बर से किसान 13 टोल प्लाज़ा बंद कर बैठें हैं। हाईकोर्ट कह चुका है कि इन्हें खुलवाओ पर किसानों से टक्कर लेने की हिम्मत सरकार की नहीं है। आज पंजाब की हालत यह है कि जिसे कोई शिकायत है वह हाईवे रोक कर बैठ जाता है। प्रदेश की बाहर बहुत बुरी छवि जा रही है। कौन निवेश करेगा अगर मालूम ही नहीं कि सड़कें खुली रहेंगी या बंद हो जाएँगी? किसान संगठनों को भी समझना चाहिए कि नकारात्मक माहौल से प्रदेश का बहुत नुक़सान होगा। निवेश नहीं आएगा और नौकरियाँ कम होती जाएँगी। और आने वाली पीढ़ियों को इसकी क़ीमत अदा करनी पड़ेगी।
पंजाब के लिए बहुत चिन्ताजनक है कि यहाँ ख़ाकी का खौफ और रोब ख़त्म हो रहा है। बार बार हो रही हत्याऐं, फ़रार होते अपराधी, फैलता गैंगस्टरवाद और कट्टरवाद, क़ानून और व्यवस्था पर गम्भीर सवाल खड़े करता है। पुलिस के पहरे में हुई हत्याऐं पुलिस प्रशासन को ही कटघरे में खड़ी करती हैं। जब से सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई है उसके बाद से लगातार टार्गेट किलिंग का सिलसिला जारी है। मूसेवाला की दिन दिहाडे हत्या और उसकी ज़िम्मेवारी लॉरेंस बिशनोई गैंग द्वारा सोशल मीडिया में लेने से पता चलता है कि गैंगस्टर कितने बेधड़क हो गए हैं। पुलिस की मौजूदगी में पहले शिवसेना के नेता सुधीर सूरी और फिर डेरा समर्थक प्रदीप सिंह की हत्या ने तो पुलिस प्रशासन की पोल खोल दी। इससे पहले जालन्धर में और फिर पटियाला में दो कबड्डी खिलाड़ियों की गोली मार कर हत्या कर दी गई। एक को कबड्डी मैच के दौरान तो दूसरे को यूनिवर्सिटी के बाहर मारा गया। दोनों वारदात दिन दिहाडे हुई। पुलिस हिरासत से सिद्धू मूसेवाला की हत्या में संलिप्त गैंगस्टर दीपक टीनू और ड्रग्स स्मगलर अमरीक सिंह का भाग निकलना भी बताता है कि क़ानून और व्यवस्था पर लगाम ढीली हो गई है।
पंजाब पुलिस की लाज दिल्ली पुलिस ने रख ली। दीपक टीनू को दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिया। तीन और संलिप्त भी दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिए। प्रदीप सिंह की हत्या में संलिप्त तीन को पटियाला में पकड़ लिया गया पर हैरानी यह है कि इन्हें भी दिल्ली पुलिस ने पकड़ा। वह 260 किलोमीटर पटियाला पहुँच कर अपराधियों को पकड़ने में सफल रहे पर पंजाब पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग को बिलकुल जानकारी नहीं थी। सुधीर सूरी के पुत्र का कहना है कि दो दिन पहले फ़ोन आया था कि ‘असीं तेरा कम्म कर देना’। इसके बावजूद उनकी हत्या तब की गई जब वह 16 गनमैन से घिरे मंदिर के बाहर धरने पर बैठे थे। प्रदीप कुमार के पास भी गनमैन थे उनकी दुकान खोलते समय हत्या कर दी गई। नवीनतम घटना फगवाड़ा से है जहां गाड़ी लूट कर भाग रहे बदमाशों का पीछा कर रहे पुलिस कांस्टेबल पर गोलीबारी की गई जिससे उसकी मौत हो गई। बदमाश पकड़े तो गए पर इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि पुलिस कांस्टेबल की ही हत्या कर दी? पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जो अब आप के विधायक हैं, कुंवर विजय प्रताप का कहना है कि प्रदेश में पुलिस तंत्र चरमरा गया है। पंजाब पुलिस को एक समय देश का सबसे प्रभावी और चुस्त पुलिस बल समझा जाता था। इसी पुलिस बल ने के पी एस गिल और जे एफ रिबेरो जैसे बढ़िया अफ़सरों के नेतृत्व में आतंकवाद को पराजित किया था पर अब इसके घेरे में बैठे लोग सुरक्षित नही और उसके अपने आदमियों पर हमले हो रहे हैं। तरनतारन के सरहाली पुलिस स्टेशन और मोहाली के इंटेलिजेंस मुख्यालय पर राकेट हमले हो चुकें हैं।
पंजाब का हाल का इतिहास अशांत रहा है। चिन्ताजनक है कि उग्रवाद अभी तक समाप्त नहीं हुआ जो संगरूर से सिमरनजीत सिंह मान की जीत से पता चलता है। कई नए उग्रवादी नेता उभरने की कोशिश कर रहें हैं। नई चुनौती गैंगस्टरवाद और जिसे गन-कलचर कहा जाता है, से मिल रही है। दोनों गैंगस्टर कलचर और गन-कलचर को ग्लैमराइज किया गया। पंजाबी के गायकों ने बहुत ग़लत भूमिका निभाई है। दर्जनों पंजाबी गीत है जो गन- कलचर को बढ़ावा देते हैं। वॉडका और ए के 47 का महिमागान बहुत महँगा पड़ा, पंजाब के लिए भी और उनके अपने लिए भी। मूसेवाला की हत्या के बाद अब सभी सिंगर सहम गए हैं। गैंगवार तो विदेशों तक पहुँच गया है। अब पंजाब में नहीं कनाडा और इंग्लैंड में इनके अल्बम की शूटिंग हो रहा है। पर पंजाब में तो ज़हर फैल चुका है। युवाओं में न केवल नशे बल्कि हथियारों का क्रेज़ बढ़ चुका है। दिल और दिमाग़ पर बहुत ग़लत असर पड़ता है। सरकार हथियारों की बढ़ती संख्या और उत्तेजित करने वाले गानों पर पाबंदी लगाने की कोशिश कर रही है लेकिन यह बहुत देर से उठाया गया कदम है। नकोदर में एक कपड़ा व्यापारी और उसके गनमैन को मार गिराया गया। उससे 30 लाख रूपए फरौती की माँग की गई। जब उसे गनमैन दिया गया तो उधर से फ़ोन आगया कि ‘पुलिस कद तक तैनू बचाएगी?’ उसकी दुकान के बाहर दो बाइक सवार बदमाशों ने उसकी हत्या कर दी। परिणाम है कि व्यापारी वर्ग बहुत घबराया है। कइयों को फिरौती की माँग को लेकर कॉल आरहे है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए चुनौती कई तरह की है। बड़ी समस्या आर्थिक है। क़र्ज़ा 3 लाख करोड़ रूपए से उपर चले गया है। फ़्रीबीज़ से लोग तो ख़ुश हैं पर प्रदेश की माली हालत तो और बिगड़ गई है। अनुमान है कि हर पंजाबी पर 1 लाख से अधिक का क़र्ज़ा है। खेती लाभदायक नहीं रही जो लम्बी किसान हड़ताल से भी पता चलता है। युवा धड़धड़ा विदेश भाग रहें है। घरों पर लटके ताले बताते हैं कि बड़ी समाजिक समस्या है। केन्द्र की नजर- ए- इनायत भी इधर नहीं है। भाखड़ा डैम और चंडीगढ़ के बाद कोई बिग-टिकट प्रोजैक्ट नहीं मिला।पर केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि पंजाब में टैकसटाइल पार्क लगना था पर पंजाब सरकार ने ज़मीन नहीं दी और आवेदन वापिस ले लिया। यह पार्क लुधियाना के नज़दीक सतलुज के किनारे रिसर्व फ़ारेस्ट में लगना था पर पर्यावरणवादियों की सही आपत्ति के बाद सरकार पीछे हट गई। पर सरकार वैकल्पिक जगह क्यों नहीं दे सकी? अगर हमें उद्योग चाहिए तो सक्रिय होना पड़ेगा क्योंकि प्रदेशों में ऐसे प्रोजैक्ट झपटने की होड़ लगी हुई है। आप सुस्त नहीं रह सकतें।
बहरहाल भगवंत मान और उनकी सरकार के लिए गिरती क़ानून और व्यवस्था की हालत नई चुनौती है। हर क्षेत्र में उन्हें प्रो-एक्टिव होना पड़ेगा। सब को खुश रखने के प्रयास में यह न हो कि वह किसी को भी संतुष्ट न रख सके। उन्हें अपनी नरम छवि को बदलना है। एकाध उपचुनाव हार गए तो चिन्ता नहीं उनके पास 92 विधायक है । कोई आंतरिक चुनौती नहीं। उन्हें वह करना है जो प्रदेश के हित में है, सब कुछ राजनीति नहीं है। पंजाब उनके दो प्रतिद्वंद्वियों को अजमा चुका है। अगर पंजाब का बेड़ागर्क हुआ तो इन्हीं दलों के कारण हुआ। हम वहाँ वापिस लौटना नहीं चाहते। भगवंत मान की ज़िम्मेवारी बहुत है। उनकी सरकार का सफल होना पंजाब के भविष्य के लिए बहुत लाज़मी है।