कुछ महीने पहले यह एसएमएस आया, ‘डीयर ग्राहक शाम 9.30 बजे आपकी बिजली काट दी जाएगी क्योंकि आपने पिछले महीने का बिल जमा नहीं करवाया। हमें इस नम्बर पर तत्काल फ़ोन करें’। बहुत परेशानी हुई क्योंकि सर्दियों के दिन थे और अगर रात को बिजली काट दी गई तो समस्या हो जाएगी। सब कुछ चेक कर लिया बिल तो जमा हो चुका था। सोचा किसी को बिजली दफ़्तर दौड़ाता हूँ। इतने में राहत हो गई। श्रीमती को भी वही एसएमएस आ गया कि बिजली का बिल न जमा करवाने के कारण रात 9.30 बजे आप की बिजली काट दी जाएगी नहीं तो तत्काल फ़लाँ नम्बर पर फ़ोन करें। दोनों मामलों में अंतर यह है कि श्रीमती के नाम पर बिजली कनेक्शन है ही नहीं। तब बात समझ आगई कि कोई फ़्राड करने की कोशिश कर रहा था। बाद में पता चला बिजली बिल का मामला देश भर में बहुत बड़ा स्कैम है। कोशिश यह है कि घबराहट में ग्राहक वापिस फ़ोन कर दे और फिर उसे फ्राड वेबसाइट पर ले ज़ाया जाएगा और उससे उसके बैंक खाते की सारी जानकारी निकला ली जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि न कनेक्शन का नम्बर बताया जाता है, न पैसे बताए जातें हैं। प्रयास केवल यह है कि किसी तरह असावधान ग्राहक के बैंक खाते तक पहुँचा जा सके।
और अब तो ऐसे मैसेज की बाढ़ आ गई है। पिछले कुछ दिनों में मुझे जो आए हैं अभी मैं उनकी चर्चा कर रहा हूँ। मैंने ब्लू डार्ट से मुम्बई एक पार्सल भेजा। उसी शाम ब्लू डार्ट के नाम से नक़ली मैसेज आ गया कि ‘ आपका बहुत धन्यवाद। बधाई। अब आप अपनी पसंद की फ़लाँ गिफ़्ट के अधिकारी है। अपना गिफ़्ट प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें’। सब फ्राड की जड़ यह ‘क्लिक’ है। आपने क्लिक किया नहीं कि आपके खाते का सारा खाना- पीना यह लोग निकाल लें जाएँगें। हैरानी है कि एक प्रतिष्ठित कुरियर कम्पनी से इतनी जल्दी मेरा टेलीफोन नम्बर इन फ्राड लोगों के पास कैसे आगया? एक और मैसेज आया, ‘डीयर एचडीएफ़सी के खाताधारी आपका खाता आज बलॉक कर दिया जाएगा। प्लीज़ नीचे वाले लिंक पर क्लिक कीजिए और अपना पैनकार्ड अपडेट कीजिए’। फिर वही क्लिक ! यह भी आया कि ‘आपके एचडीएफ़सी क्रेडिट कार्ड में आपको जो 8999 रूपए रिवार्ड मिलें हैं वह कल समाप्त हो जाएँगे। लेने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए’। मेरा न इस बैंक में खाता है न इनका क्रेडिट कार्ड ही मेरे पास है। कोई फँसाना की ट्राई ट्राई अगेन कर रहा था ! अब बार बार मैसेज आ रहे है कि आप अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड गवाने के बारे बिलकुल चिन्तित मत हो। हमारे एप्प पर उन्हें रजिस्टर करवा दीजिए हम सब ठीक रखेंगे। यानि तश्तरी में रख कर अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी हमसे सांझी कीजिए ताकि हम आपका खाता ख़ाली कर सकें।
सरकार बार बार साइबर सुरक्षा के बारे सावधान कर रही है पर सवाल तो है कि यह बड़ी बड़ी कम्पनियाँ अपने नाम पर लोगों से हो रहे फ्राड को रोक क्यों नहीं रहीं? उनके पास ग्राहक की जो जानकारी है वह लीक क्यों हो रही है? बार बार मैसेज आता है कि आपको फ़लाँ रिसॉर्ट में 2रात/तीन दिन ठहरने के लिए चुना गया है। फ़लाँ नम्बर पर फ़ोन कीजिए। ख़ुशी से उछलने और गोवा या गुलमर्ग के सपने देखने से पहले खुद से पूछना चाहिए कि मेरे में वह ख़ास क्या है कि अचानक सिलैक्ट कर लिया गया हूं? मैं ही क्यूं? लोगों को तरह तरह के प्रलोभन दे कर, किसी को नौकरी के लिए तो किसी को विदेश यात्रा का झाँसा दे कर तो किसी को खाता अपडेट करने के नाम पर फँसाया जाता है। नए से नए तरीक़े निकाले जाते है। मुम्बई से खबर है कि एक निजी बैंक के कम से कम 40 ग्राहकों के कई लाख रूपए उस वकत निकाल लिए गए जब उन्होंने उस लिंक पर क्लिक कर दिया जो जाली मैसेज के द्वारा भेजा गया कि वह अपनी KYC और PAN डीटेल को अपडेट कर दें।
सवाल तो यह है कि यह रूक क्यों नहीं रहा? यह तो कोरोनावायरस की तरह नियंत्रण से बाहर हो रहा है। और कैसे पता चले कि मैसेज जालसाज़ी है या असली है? अब तो यह भी हो सकता है कि सरकार कोई जानकारी माँगे तो अति सावधान नागरिक जवाब देने से इंकार कर दे। मैंने तो अज्ञात नम्बर के फ़ोन उठाने बंद कर दिए हैं। और यह केवल देश के अंदर तक ही सीमित नहीं है। मेरा एक और भी अनुभव है। मेरे एक प्रोफ़ेसर मित्र हैं जो ब्रिटिश हैं और कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी पढ़ा चुकें है। मेरा उनके साथ सम्पर्क फ़ेसबुक पर है। उनके नाम से मैसेज आया, ‘नैशनल साइंस फ़ाउंडेशन…ग्रांट देती है। क्या आप को मिल गई?’ हैरान मैंने जवाब दिया कि मैंने तो यह नाम नहीं सुना। फिर मैसेज आया कि ‘आप एजेंट को text कर दें’।साथ ही एजेंट का लिंक भेज दिया। फिर कुछ देर में मेसेज आया कि ‘ आपने क्लिक किया या नहीं’ ?तब तक मैं समझ गया कि माजरा क्या है। मैंने अपने मित्र को मेल भेजा कि तुम्हारे फ़ेसबुक का दुरूपयोग हो रहा है। उसने तो फ़ेसबुक को ही छोड़ दिया। सीआरपीएफ़ में कार्यरत एक शिकायतकर्ता ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि एक व्यक्ति खुद को बीमा कम्पनी का मैनेजर बता लोन देने का ऑफ़र देकर 1446662 रूपए ठग गया।
जब अचानक ऐसा कोई अवार्ड या गिफ़्ट या पैसा आए तो रूक कर खुद से पूछना चाहिए कि मेरे से यह मेहरबानी क्यों की जा रही है? लेकिन अचानक जब छप्पड फाड़ कर पैसा मिलने की सम्भावना बन जाती है तो इंसान सुबुद्धि खो बैठता है और यह साइबर ठग इंसान के लालच,बेवक़ूफ़ी और अज्ञानता का खूब फ़ायदा उठाते हैं। हाल ही में पाकिस्तान से एक सज्जन उजैर यूनुस, जिन्हें विदेश नीति विशेषज्ञ बताया जाता है, भारत यात्रा पर आए। वह यहाँ अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने के प्रयास से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि कैसे एक पान की दुकान में भी QR code स्कैनर लगा हुआ था। कैसे कचौड़ी खाने के बाद भी डिजिटल पेयमेंट हो सकती है। यह सही है कि हमने अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने में बहुत तरक़्क़ी की है पर उतना ही प्रयास आम लोगो को डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा पैदा उन साइबर डिकैतों से बचाने में नहीं लगाया जा रहा है। इस धंधे में बहुत गैंग लगे हुए है जो सोच समझ कर जाल बुनते है। बहुत मासूम इस ठगी का शिकार हो रहें है।
वैश्विक स्तर पर हर सेकेंड 190000 डालर का साइबर फ्राड होता है। वैश्विक स्तर पर लेन देन के मामलों में 2 से 4 प्रतिशत का फ्राड है जबकि भारत में यह 1 प्रतिशत के क़रीब बताया जाता है। पर अगर यह 1 प्रतिशत भी है तो भी बहुत है क्योंकि यहाँ बहुत आर्थिक तौर पर कमजोर लोग रहतें हैं जो बहुत पढ़े लिखे और जानकार नहीं होते जो बिलकुल टूट जाते हैं। चिन्तित पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि ‘सबसे ज़्यादा साइबर ठग हमारे देश में हैं’। पिछले साल साइबर क्राइम के दस लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। जो रिपोर्ट नहीं हुए वह अलग हैं। हरियाणा के पिछड़े मेवात इलाक़े में पुलिस ने साइबर क्राइम में लगे 5 लाख सिम ब्लॉक किए हैं। यह सिम कार्ड 40 गाँवों से बरामद किए गए जिनके द्वारा देश भर में फ्राड किया जाता था। पिछले साल मेवात के इन क्रिमिनल द्वारा 300 करोड़ रूपए का फ्राड किया गया। ज़रा सोचिए, 5 लाख सिम ब्लॉक ! 1000 लोग पकड़े गए! कितना बड़ा घोटाला है। यह भी सोचना की बात है कि अगर पिछड़े इलाक़े से यह हो सकता है तो बड़े शहर जहां युवा आईटी विशेषज्ञ भरे हुए है वहां से क्या हो रहा होगा? लेकिन यह ठगी हम आम लोगों से ही नही होती। दिल्ली के प्रसिद्ध AIIMS पर साइबर अटैक किया गया और हैकर उनकी सारी जानकारी उड़ा ले गए।उसके 24 घंटों के बीच ICMR पर 6000 हैकिंग प्रयास किए गए। कोविड के कारण डिजिटलाइजेशन में अचानक आई तेज़ी के कारण बड़ी बड़ी कम्पनियाँ भी असुरक्षित हैं।
बड़ी कम्पनियों तो अपने बचाव का प्रबंध करने में लगी है पर हमें तो खुद को बचाना है। हम क्या कर सकते हैं? विशेषज्ञ बार बार सावधान करतें हैं कि SMS या e-mail या WhatsApp पर किसी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें जिसे आप जानते न हो। कभी भी अपने PAN या आधार या बैंक खाते या क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी किसी से साँझा न करें। पासवर्ड, PIN, CVV, OTP के बारे किसी को न बताए। पासवर्ड ऐसा होना चाहिये जो ढूँढना आसान न हो। अधिकतर लोग जन्म तिथि या बच्चों के नाम के पासवर्ड रख लेते हैं ताकि याद रहे। इन्हें ढूँढना हैकर के लिए आसान रहता है। और बहुत ज़रूरी है कि अपने बैंक और क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट पर ध्यान दिया करें। अधिकतर लोगों के बैंक खाते अब मोबाइल से जुड़े हैं। कोई गड़बड़ है तो तत्काल बैंक से सम्पर्क करें और खाते और कार्ड को ब्लॉक करवा दें। सरकारों पर बहुत निर्भर नहीं रह सकते क्योंकि अभी वह इसे बहुत गम्भीरता से नहीं ले रहे लगते। पंजाब में केवल 2, हिमाचल में 1, हरियाणा में 8 साइबर पुलिस स्टेशन है जबकि हजारों फ्राड हो रहें है। इसलिए खुद बेहद सतर्क रहना पड़ेगा। फटाफट पैसे कमाने के लालच से बचना होगा नहीं तो कभी भी माली दुर्घटना हो सकती है। सड़कों पर लिखा होता है, ‘सावधानी गई दुर्घटना हुई’। अब कहा जा सकता है कि ‘सावधानी गई पैसा गया’! इसलिए बिना सोचो समझे या परख किए क्लिक पर क्लिक न कीजिए।
जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ तो ताज़ा एसएमएस आया है, ‘Hi Chander, तुम 200000 रूपए कीं क्रेडिट लिमिट के लिए अप्रूव किए गए हो। उपलब्ध फंड से निकालने के लिए तत्काल यहाँ क्लिक करें’। फिर वही कम्बख़्त क्लिक !