हमारी क्रिकेट को विराट कोहली के बाद अपना अगला सुपरस्टार मिल गया है। शुभमन गिल !आईपीएल में शुभमन गिल के पहले शतक के बाद विराट कोहली ने लिखा था, “भावी सम्भावना का नाम गिल है। आगे बढ़ो और नई पीढ़ी का नेतृत्व करो”। शुभमन गिल ने अपने आइडल की बात को गाँठ मार ली लगती है। आईपीएल में बैंक-टू-बैक तीन शतक बना कर शुभमन ने न केवल रोहित शर्मा की मुम्बई इंडियंस बल्कि उससे पहले विराट कोहली की आरसीबी को भी बाहर निकाल दिया। लग रहा है कि ‘क्राउन प्रिंस’ अब ‘किंग’ को गद्दी से उतारने जा रहा है !मैं क्रिकेट विशेषज्ञ नहीं हूँ। एक दर्शक को तौर पर मुझे शुभमन गिल में महेन्द्र सिंह धोनी का शांत खेल भी नज़र आता है। वहीं परिपक्वता है, दबाव के बीच ठहराव है। सचिन तेंदुलकर ने उसके ‘विलक्षण स्वभाव और और अविचल धीरज’ की प्रशंसा की है। कोहली से अलग गिल का अपनी भावना पर नियंत्रण है। जब वह क्रीज़ पर होता है तो किसी बात की जल्दी नहीं होती। न ही वह सूर्य कुमार यादव की तरह कठोर ताक़त का ही इस्तेमाल करता है। सब कुछ टाईमिंग है जिसने गिल को इस आईपीएल का सबसे सफल बैटर बना दिया है।
कपिल देव का कहना है कि शुभमन गिल सुनील गावस्कर या सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली के बराबर नहीं है उसे वहाँ पहुँचने के लिए अभी और खेलना है। कपिल की बात सही है पर इस वकत तो गिल क्रिकेट का सबसे चमकता सितारा नज़र आता है। रिंकू सिंह, यशस्वी जयसवाल, साईं सुदर्शन, शुभमन गिल जैसे खिलाड़ी यह आशा देते हैं कि हमारे क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है। संतोष है कि बॉलीवुड की ही तरह क्रिकेट प्रतिभा की कद्र करता है। यह बीसीसीआई का सकारात्मक योगदान है कि वह मज़हब, या वर्ग या प्रदेश या जाति नहीं देखते। मैंने कपिल देव का ज़िक्र किया जिन्होंने सुनील गावस्कर का भी ज़िक्र किया। इन दोनों को और वीरेन्द्र सहवाग को एक पान मसाला बनाने वाली कम्पनी के ‘सिल्वर कोटेड इलायची’ का विज्ञापन करते तकलीफ़ होती है। पुलेला गोपीचंद ने तो कोला ब्रैंड का विज्ञापन करने से इंकार कर दिया था क्योंकि यह खिलाड़ियों की सेहत के लिए हानिकारक है। फुटबॉल के सुपरस्टार क्रिस्टिआनो रोनाल्डो ने एक प्रैस कॉन्फ़्रेंस में अपने सामने रखी कोका कोला की दो बोतलें हटवा दी थी जिससे कम्पनी की मार्केट वैल्यू एकदम 4 अरब डॉलर गिर गई थी। पर यहाँ हमारी क्रिकेट के तीन ‘ग्रेट’ उस कम्पनी का विज्ञापन कर रहें है जिसके उत्पाद पर हैल्थ वार्निग लिखी जाती है। लाखों करोड़ों युवा जो क्रिकेट को लेकर दीवाने हैं को यह तीनों क्या संदेश दे रहें हैं?
पर यह कथित ‘इलायची’ मेरे आज के लेख का विषय नहीं है। मैं आज खेल से जो खिलवाड़ हो रहा है उसका वर्णन कर रहा हूँ। मेरा अभिप्राय सोशल मीडिया से है जो तेज़ी से ऐंटी- सोशल बनता जा रहा है और नफ़रत फैला रहा है। ऐसा प्रभाव मिलता है कि सार्वजनिक जीवन में आदाब ख़त्म हो रहा है और हमारी जो नीच प्रवृत्ति है वह सतह पर आ रही हैं। हम अभद्र बनते जा रहें हैं, संस्कार ख़त्म हो रहें हैं। जब शुभमन गिल के शतक ने विराट कोहली की टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया तो कुछ फ़ैन इतने बेलगाम और उत्तेजित हो गए कि उन्होंने गिल को सोशल मीडिया पर गालियाँ निकालनी शुरू कर दी। इतना ही नहीं उन्होंने गिल की बहन पर भी भद्दी टिप्पणियाँ करनी शुरू कर दी। उसके इंस्टाग्राम अकांउट शेयर करते हुए दूसरों को इस पर टिप्पणी करने के लिए उकसाया गया। एक ने ऋषभ पंत की दुर्घटना ग्रस्त कार की फ़ोटो शेयर करते हुए लिखा कि यह कार शुभमन गिल की होनी चाहिए थी।
बहुत कष्ट होता है कि एक होनहार खिलाड़ी की सफलता का जश्न मनाने का जो मौक़ा है वह कुछ लोगों के लिए ऑनलाइन गाली या अश्लीलता का अवसर बन गया। शुभमन गिल का यह अपराध कैसे हो गया कि वह अच्छा खेला ? इंग्लैंड और फ़्रांस के फुटबॉल फैनस के बारे सुना था कि हार के बाद वह बीयर पीकर सड़कों पर तबाही मचा देते हैं। कई सौ गिरफ़्तार किए जातें है। यहाँ वह स्थिति नहीं पर चिन्ता है के यह कथित सोशल मीडिया हमें वहाँ न पहुँचा दे। जो बर्ताव गिल के साथ किया गया ऐसा बर्ताव खुद विराट कोहली भी भुगत चुकें हैं। अक्तूबर 2021 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से हार के बाद न केवल शम्मी बल्कि विराट कोहली को भी ट्रोल किया गया। विराट ने शम्मी के मज़हब को लेकर उसके ख़िलाफ़ विद्वेषपूर्ण अभियान चलाने वालों की खूब खिंचाई की पर खुद भी ऐसे अभियान का शिकार हो गए। हैदराबाद के एक आईटी ग्रैजुएट साफटवेयर इंजीनियर ने उन्हें और उनकी पत्नी को अश्लील और भद्दे संदेश भेजने शुरू कर दिए यहाँ तक कि उनकी नन्ही बच्ची से बलात्कार करने की धमकी भी दे दी। यह तो विराट और अनुष्का की उदारता है कि उन्होंने उस घटिया बंदे को माफ़ कर दिया पर यह हो क्या रहा है कि पढ़े लिखे लोग ही बदतमीज़ हो रहे हैं ? याद आती है वह शर्मनाक घटना जब न्यूयार्क से दिल्ली आ रही उड़ान में एक व्यक्ति ने महिला यात्री पर पेशाब कर दिया था। वह शख़्स एक मल्टीनैशनल कम्पनी का वाइस प्रेसिडेंट था।
सोशल मीडिया का फ़ायदा है कि यह इंसानों को जोड़ता है। बहुत परिवार, मित्र, संस्थान, वाहटसअप के माध्यम से आपस में जुड़े हैं। पर इसी सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत साम्प्रदायिक ज़हर और नफ़रत फैलाई जाती है। इस साल अगर राम नवमी पर कई जगह हिंसा हुई है तो बड़ा योगदान इन व्हाटस अप ग्रुप का है जो ग़लत सूचना दे कर लोगों तो उत्तेजना देते रहते हैं। सोशल मीडिया इतना ख़तरनाक बनता जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है, “ सोशल मीडिया कंपनियों पर कोई नियंत्रण नही…यह बहुत बड़ी समस्या है”। सरकार भी महसूस करती हैं पर बेबस है और दूसरा, सरकार का रवैया एकपक्षीय है। जो अपने भक्त हैं उन पर कार्रवाई नहीं की जाती। मणिपुर में आग भड़काने में शुरू में बड़ा योगदान सोशल मीडिया का था। बढ़ती हिंसा, असहिष्णुता और उत्तेजना एक तेज़ी से बीमार हो रही समाजिक व्यवस्था के अशुभ संकेत हैं। हमारे देश में जहां दुनिया भर के मतभेद और भिन्नता है बेलगाम सोशल मीडिया तबाही मचा सकता है। कोई भी सुरक्षित नही यहाँ तक कि एक सुपरस्टार की कुछ महीनों की बच्ची और भावी सुपरस्टार की बहन को भी बख्शा नहीं गया।
राजधानी दिल्ली में अब तक जो कुछ भव्य था वह या तो मुग़ल छोड़ गए थे या अंग्रेजो ने बनवाया था। आज़ाद भारत ने कुछ प्रभावशाली नहीं बनाया था। अब तक। दो अढ़ाई साल में भव्य संसद भवन बनवा कर और सारे राजपथ, जिसे अब कर्तव्य पथ कहा जाता है, के क्षेत्र को बदल कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत बड़ा काम किया जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा। समय और ज़रूरत के अनुसार बदलाव आना चाहिए। यह फ़र्क़ नहीं पड़ता कि किसने नए भवन का उद्घाटन किया है पर देखना है कि यह नई नवेली संसद भारत की जनता के अरमानों पर खरा उतरती है या नहीं? अपने कर्तव्य पथ पर अविचलित चलेगी? इस सवाल को लेकर बहुत शंकाऐं हैं। इसी संसद के उद्घाटन के समय कुछ ही दूर अपने लिए न्याय माँग रही विश्व प्रसिद्ध महिला पहलवानों को सड़कों पर घसीट घसीट कर पुलिस के वाहनों में बैठाया गया। इस दृश्य ने बहुत कष्ट दिया है कि जैसे अपने यौन शोषण के खिलाफ शिकायत करने वाली लड़कियाँ ही अपराधी हैं। ठीक है निषेधाज्ञा लगने पर उन्हें उधर नहीं जाना चाहिए था पर ऐसी नौबत ही क्यों आए? आख़िर यह सात लडकियां जिनमें एक नाबालिग भी है, न्याय के सिवाय और माँग क्या रहीं है? और जिस व्यक्ति पर वह यौन शोषण का आरोप लगा रही है, भाजपा सांसद बृज भूषण सिंह, सजधज के नई संसद मे बैठा हुआ था। क्या उसकी उपस्थिति से नई संसद की मर्यादा भंग नहीं होती है? एक लेख में विनेश फोगाट ने बताया है, “कई और लड़कियों की तरह कई वर्ष मैंने भी इस आदमी के कारण चुपचाप यह बर्दाश्त किया। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था”। यह बात लिखने में वीनेश ने कितनी हिम्मत दिखाई है? पानी जब सर तक पहुँच जाए तो हिम्मत आजाती है। उसका और सवाल है, “ कितनी बार पीड़िता को बोलना पड़ेगा फिर उन्हें न्याय मिलेगा?” कौन देगा इसका जवाब? क्या नई भव्य संसद इसे जवाब देगी? सरकार की उदासीनता हैरान परेशान करने वाली है। इस मामले ने महिला स्पोर्ट्स को भारी धक्का पहुँचाया है। कौन माँ बाप अपनी बच्ची को खेलों के लिए प्रोत्साहित करेगा जहां वह सुरक्षित नही है? जहां जो रक्षक है वह ही भक्षक है ?
आईपीएल ख़त्म हो गया। कई नए युवा खिलाड़ी नज़र आए। यशस्वी जयसवाल, साईं सुदर्शन और रिंकू सिंह का मैं विशेष वर्णन करना चाहूँगा। जयसवाल जिसने 13 गेंदों में अर्ध शतक बनाया और 124 रन की धाकड़ पारी खेली ने अपनी संघर्ष की कहानी बताई कि किस तरह मुम्बई पहुँचने पर वह टेंट में सो जाता था जहां से पिटाई कर कई बार खदेड़ दिए गया था। वह गोलगप्पे भी बेच चुका है। साईं सुदर्शन जिसने फ़ाइनल में 96 रन बनाए थे चेन्नई के स्टेडियम के बाहर इडली बेच चुका है। रिंकू सिंह ने पाँच छकके लगा कर युवराज सिंह के छ: छिककों की याद ताज़ा कर दी। वह बताता है, “ मेरे पास कुछ भी नहीं था। न पैसा, न योग्यता, न पढ़ाई। मेरी माँ ने कहा कि तूं स्वीपर का काम ले लें ताकि परिवार के लिए कुछ पैसे बन सके”। आज यह लड़के भारतीय क्रिकेट की शोभा हैं। कैसा कठिन संघर्ष रहा होगा? कितनी बाधाओं को पार किया होगा? इनकी मिसाल असंख्य लड़कों को प्रेरित करेगी। पर इतना कुछ हासिल करने के बावजूद इनके पैर मज़बूती से ज़मीन पर हैं। रिंकू सिंह का कहना है, “ मुझे मालूम है कि मैं किधर से आया हूँ। यह दो मिनट की शोहरत है। यह लोग जो आज वाह वाह कर रहें हैं वह ही कल गाली भी देंगें”। यह साधारण पृष्ठभूमि का लड़का तो ज़िन्दगी का असाधारण सबक़ सिखा गया। क्या बड़े लोग भी जानकार है कि यह वाह वाह, यह शोहरत, यह आडम्बर, यह तालियाँ, सब अस्थायी हैं?