सफ़रनामा: संयुक्त अरब अमिरात, Travelogue: United Arab Emirates

दिल्ली से एयर इंडिया की उड़ान रात के पौने ग्यारह  बजे दुबई के हवाई अड्डे पर उतरी थी।  आधा घंटा हमें बाहर निकलते लग गया। हमारा गंतव्य डेढ़ घंटा दूर अबू धाबी था जो यू ए ई की राजधानी भी है। जब तक हम अबू धाबी पहुँचे, रात के लगभग एक बजे थे। उस समय यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि दो तीन जगह महिलाएँ काम से पैदल घर लौट रहीं थी। बेख़ौफ़। मैं कई बार अबू धाबी और दुबई गया हूँ वहाँ की सुरक्षा व्यवस्था को देख कर बहुत प्रभावित हुआ हूं। निर्भया जैसे कांड और जो दुर्व्यवहार यहाँ महिला पहलवानों के साथ हुआ है उसकी तो वहाँ कल्पना ही नहीं की जा सकती। किसी की जुर्रत नहीं किसी महिला को हाथ भी लगा जाए। हमें उनसे  बहुत कुछ सीखना है। हर जगह अनुशासन है। किसी वाहन चालक की हिम्मत नहीं कि वह लाल बत्ती पर निकल जाए। दिलचस्प है कि बहुत टैक्सी चालक भारत -पाकिस्तान से है। वहाँ वह पूरी सावधानी से नियमों का पालन करते हैं पर जब स्वदेश लौट जाते हैं तो पुराना उद्दण्ड लौट आता हैं। वहाँ भारतीय समुदाय को पसंद किया जाता है क्योंकि हमें शरीफ़ और शांत समझा जाता है। पाकिस्तानियों को बहुत पसंद नहीं किया जाता क्योंकि वह अपने देश के झमेले वहाँ लेकर आते हैं। अफ़सोस यह है कि हमारे लोग  अपने देश के हवाई अड्डों पर  उतरते ही अपने पुराने अनुशासनहीन स्वभाव में लौट आते हैं।

यूएई 1971 में अंग्रेजों से आज़ाद हुआ था। यह सात रियासत, अमीरात,  से बना हुआ है, अबू धाबी, दुबई, शारजाह,अजमान, उम्म अल कुवैन, फुजइराह और रास अल खैमा।  राजधानी अबू धाबी है जो सबसे बड़ा शहर भी है और सबसे समृद्ध अमीरात भी है क्योंकि इनके पास तेल है। दुबई के पास तेल नहीं पर वह  टूरिज़्म और बिसनेस हब के बल पर अत्यन्त आकर्षक जगह बन चुका है। जिस तरह दुबई ने तेल के अभाव में  दूरदर्शिता से खुद को खड़ा किया है वह दंग करने वाला है। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज ख़लीफ़ा जो 2716 फुट (828 मीटर) है दुबई में हैं। इसे बनाने में 39000 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया था।  वहाँ जब भी जाओ कुछ न कुछ नया देखने को मिलेगा। चाहे अबू धाबी हो या दुबई, सरकारें सृजनात्मक में विश्वास रखती है। पेरिस के प्रसिद्ध लूव्र म्यूज़ियम ने अबूधाबी में भी अपना म्यूज़ियम खोला है जो वास्तुकला की भव्य मिसाल है। क्योंकि कोई सरकार पर सवाल नहीं कर सकता इसलिए नई से नई चीजें बनाई जा रही है। हमारे यहाँ हर बात पर आपत्ति उठाई जाती है। नरेन्द्र मोदी ने नया संसद भवन बनाया है। यह उतना भव्य है कि हमें खुश होना  चाहिए कि किसी ने तो सुध ली है पर उल्टा इतना विरोध हुआ है कि जैसे अनर्थ हो गया हो।

अबू धाबी बहुत ख़ूबसूरत जगह है। चारों तरफ़ पानी है जिसके आस पास बहुत निर्माण किया गया है। बिलकुल शान्ति और व्यवस्था  है। कौरनिश का क्षेत्र जहां पैदल चलने के तीन अलग क़िस्म के रास्ते है, अत्यंत खूबसूरत है।सैर करने का आनन्द आता है। वहाँ शौर्टस में टहलती या जॉगिंग करती विदेशी महिलाएँ नज़र आएँगी। चाहे यह इस्लामी देश है पर विदेशियों के रहन सहन के बारे कोई आपत्ति नहीं करता। यूएई ने समझ लिया कि तरक़्क़ी के लिए अभी उन्हें विदेशियों की ज़रूरत है  और अगर विदेशी आएँगे  तो अपनी जीवन शैली भी साथ लेकर आएँगे। इसलिए उन्हें पूरी छूट है जब तक कोई बदतमीज़ी न हो। रेस्टोरेन्ट, होटलों, क्लबों या घरों में शराब के सेवन पर कोई पाबंदी नहीं। विदेशी महिलाएँ बिकनी डाल कर पानी में उतर सकती हैं। यूएई की सफलता को देखते हुए प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में साऊदी अरब भी बदलाव शुरू कर रहा है ताकि यूएई की तरह ही तेल पर निर्भरता कम हो जाए।

 यूएई की कुल जनसंख्या 93 लाख है जिनमें से 38 लाख भारतीय है।  दुबई को बनाने में हमारे लोगों का बड़ा हाथ है। इस साल जनवरी और अप्रैल के बीच 60 लाख टूरिस्ट ने दुबई की यात्रा की थी जो पिछले साल से 10 लाख अधिक है।सबसे अधिक टूरिस्ट भारत से 8 लाख और फिर रूस से 5 लाख थे। क्योंकि उन्हें टूरिस्ट का पैसा चाहिए इसलिए हवाई अड्डों पर बहुत सुविधाजनक हालत है। उल्टा हमारे हवाई अड्डों पर बहुत सवाल किए जातें हैं। क्यों जा रहे हो? क्या लेकर आए हो ? यह तो नहीं लाए? आदि। उनके हवाई अड्डों पर कोई सवाल नहीं किया जाता। सामान की चैकिंग भी न्यूनतम थी। अगर आप हमारे जैसे सीनियर सिटिज़न हो तो बिलकुल कुछ देखा-पूछा नहीं जाता। नौ साल से दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दुनिया में सबसे व्यस्त घोषित किया गया है।दुबई के 51000 फ़ाइव स्टार कमरों में से 78 प्रतिशत लगे हुए थे। दुबई के होटलों को पास कुल 150000 कमरे है। लेकिन दुबई और अबू धाबी बहुत महँगे शहर हैं। सिंगापुर दुनिया में सबसे महँगा शहर बताया जाता है, दुबई नम्बर सात पर है। माँग इतनी है कि सिंगापुर के बाद दुबई वह शहर है जहां किराए सबसे अधिक बढ़े हैं। दोनों दुबई और अबू धाबी में कॉसट ऑफ लिविंग अर्थात् रोज़मर्रा के जीवन का खर्चा बहुत बढ़ा है। सुपर मार्केट में  खाने की क़ीमतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगर वहां अच्छा रहना है तो अच्छा कमाना पड़ता है।

 इसके बावजूद यूएई और विशेष तौर पर दुबई का आकर्षण बरकरार है। न केवल टूरिस्ट बल्कि दुनिया के सुपर रिच भी यहाँ खूब अपना पैसा लगा रहें हैं। जिन देशों से रईस निकल रहें हैं उन में रूस के अतिरिक्त भारत और चीन भी प्रमुख  हैं। पिछले साल भारत से 10000 सुपर रिच देश छोड़  गए थे। अधिकतर दुबई, सिंगापुर और आस्ट्रेलिया जा रहे हैं। दुबई में  65000 डालर -मिलियनर हैं। कुछ लोग तो दुबई को सिंगापुर पर प्राथमिकता दे रहें हैं क्योंकि सिंगापुर में पाबन्दियाँ बहुत हैं। यूएई का बड़ा आकर्षण है कि यहाँ राजनीतिक स्थिरता है, टैक्स रेट कम है, बच्चों की शिक्षा के लिए और मेडिकल की विश्व स्तरीय संस्थाएँ हैं, रहने की सुविधा बेहतर है और सैक्यूरिटी है। बिसनेस करने की ‘ईज़’ अर्थात् सुविधा है। भारत से बिसनेस और रईसों का पलायन का कारण  है कि यहाँ माहौल में शान्ति नहीं है।  बाहर बेहतर ‘फ़ैसिलिटी’ है। न सरकार दखल देती है, न लोग। ईडी, आयकर, और सीबीआई के डर से भी बहुत लोग भाग रहे है। चिन्ताजनक  है कि जिसे ब्रेन ड्रेन कहा जाता है वह एक तरफीय क्यों हैं? यहाँ से लोग, चाहे छात्र हों या बिज़नेस मैन हो, वह बाहर क्यों जाना चाहते है? पंजाब के तो कालेजो को समस्या आ रही है क्योंकि अधिकतर छात्र विदेश भागना चाहते हैं। विदेश से हमारे  लोग पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वापिस क्यों नहीं आना चाहते? जो अमेरिका में ‘मोदी’ ‘मोदी’ नारे लगा  रहे था उनसे अगर पूछा जाए तो वह मातृभूमि को लौटने की लिए तैयार नहीं होंगे। वह 13568 किलोमीटर दूर से नारे लगाने और नाचने के लिए तैयार हैं पर न वह और न ही उनकी औलाद यहाँ बसने को तैयार होगी। हमारी अव्यवस्था, राजनीति, भ्रष्टाचार, गंदगी, से वह भागते है। जिस देश की राजधानी दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाए वह किसी और के लिए आकर्षक नहीं हो सकता।

अबूधाबी में कौरनिश का मनमोहक दृश्य

लेकिन इस वक़्त तो हमारे लोग यूएई और विशेष तौर पर दुबई पर लट्टू हो रहें हैं। मज़ाक़ में कहा जा रहा है कि दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई के बाद दुबई भारत का पाँचवाँ बड़ा शहर है ! यूएई में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। हर सप्ताह भारतीय शहरों के लिए 1000 उड़ाने है। माँग को देखते हुए दुबई की हवाई कम्पनी एमिरात भारत के लिए सीटें दोगुनी करना चाहती  है। सबसे अधिक लोग केरल से हैं। फिर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।  हमारे लोग वहाँ आसान जीवन व्यतीत करते हैं क्योंकि हिन्दी /उर्दू सब जानते है। बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी होने के कारण  भाषा को समझना या समझाना मुश्किल नहीं। एशियाई संस्कृति भी लगभग एक जैसी ही है। खाने की कोई समस्या नहीं है, पराँठे से डोसा तक सब मिलता है। योरूप में शाकाहारी लोगों को  कई बार दिक़्क़त आती है यूएई में कोई समस्या नहीं है। हाँ स्थानीय लोगों के साथ सोशल आना जाना बहुत कम है पर स्थानीय अरब लोग नस्ली नहीं है जैसे पश्चिम में कई बार शिकायतें मिलती है।

पहले वहाँ लेबर की ज़रूरत थी। यह अब भी है पर 1990 के बाद फैल रहे सर्विस सैक्टर के कारण प्रोफेशनलज और बिसनस की माँग बहुत बढ़ गई है। पिछले साल के अंत तक दुबई चेम्बर में 83000 भारतीय कम्पनियाँ रजिस्टर थी। दुबई की 30 प्रतिशत स्टार्टअप कम्पनियाँ भारत से हैं। भारत चीन के बाद यूएई का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है जबकि यूएई अमेरिका और चीन के बाद तीसरा हमारा सबसे बड़ा पार्टनर है। बहुत रईस भारतीय की वहाँ या तो जायदाद है या बिसनेस। आशा भोंसले का रैसटोरैंट है, सानिया मिर्ज़ा ने दो टेनिस अकादमी खोली है। उनका कहना है कि भारत के बाद दुबई उनका घर है। राखी सावंत का एक्टिंग स्कूल है, सुष्मिता सेन का दो मॉल में जयूलरी शो रूम है तो संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त ने अपना बिसनेस दुबई शिफ़्ट कर दिया है। निःसंदेह सबसे लोकप्रिय दो खान, शाहरुख़ और सलमान हैं। शाहरुख़ खान बहुत समय से दुबई में सक्रिय है जहां उनका बंगला भी है। वह अपनी पत्नी के साथ वहाँ रियल इस्टेट का बिसनेस चला रहें हैं। सूचि बहुत लम्बी है केवल यह बताना चाहूँगा कि भारतीयों ने 2022 मे 35000 करोड़ रूपए दुबई में घर ख़रीदने पर लगाए थे।  युक्रेन युद्ध के बाद बड़ी मात्रा में रूसी वहाँ निवेश कर रहें हैं।

अंत में: जिन दिनों हम वहाँ थे दुबई में एक 60000 वर्ग फुट के भव्य बंगले की सेल को लेकर अख़बारों में चर्चा थी। इतालवी मार्बल से बने इस बंगले में 15 कार गराज हैं। दो बैंक वाल्ट हैं।  700000 सुनहरी पतर लगे हैं। यह बंगला फ़्रांस के प्रसिद्ध वरसाइलस महल की तरह बनाया गया है। इसकी क़ीमत 75 करोड़ दिरहम जो 1675 करोड़ रूपया बनती है। इसको लेकर बहुत रईस उत्साहित हो रहें है। पर अख़बारों ने जिस सम्भावित ख़रीदार की चर्चा है वह हमारा देसी भाई है !

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About Chander Mohan 732 Articles
Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.