भारत और कैनेडा के रिश्ते इतने गिर गए हैं कि इन्हें सामान्य करने में वर्षों लग जाएँगे। कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की जून 18 को वहाँ एक गुरुद्वारे को सामने हत्या में भारत के एजेंटों का हाथ है। भारत ने इस आरोप को बेहूदा और प्रेरित कहते हुए सख़्त शब्दों में रद्द कर दिया है। दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता रोक दी गई है और भारत ने कैनेडा के नागरिकों को भारत का वीज़ा देने पर रोक लगा दी हैं। अर्थात् जिन दो देशों के बीच हज़ारों किलोमीटर का फ़ासला है, हितों में कोई टकराव नहीं उनके रिश्ते एक आतंकवादी की हत्या के कारण उस स्तर पर गिर गए हैं जैसे दुश्मन देशों के हो। ट्रूडो की सरकार वहाँ बैठे भारत विरोधी तत्वों को न केवल रोकती नहीं, बल्कि उन्हें पूरा समर्थन दे रही है यह भूलते हुए कि जून 1985 में जिस एयर इंडिया के ‘कनिष्क’ विमान को समुद्र के उपर बम से उड़ा दिया गया था वह कैनेडा में मॉनटरियाल से उड़ा था और विस्फोट करने वाले कैनेडा में छिपे खालिस्तान समर्थक आतंकवादी थे। इस हादसे में 329 यात्री मारे गए थे। बनावटी जाँच करने में 20 साल लगा दिए गए थे और आख़िर में केवल एक व्यक्ति को सजा दी गई थी। केवल एक ! इतना बड़ा हादसा हो, विमान में बम रखा गया हो, उसे हज़ारों फुट ऊँचाई पर समुद्र के उपर उड़ा दिया गया, पर एक ही व्यक्ति दोषी पाया गया। दो और आरोपी बरी कर दिए गए।
अगर कोई और देश होता तो ऐसी गतिविधियों पर सख़्ती से रोक लगा देता पर कैनेडा अजीब देश है। वहाँ खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों की इजाज़त दी जाती है। और अब तो एक प्रमुख अलगाववादी जो भारत विरोधी गतिविधियों का मास्टर माइंड है,गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे भारत सरकार टैरेरिस्ट घोषित कर चुकी है और जिसके ख़िलाफ़ यहाँ 20 आपराधिक मामले हैं, ने कैनेडा में बसे हिन्दुओं को वहाँ से निकल जाने की धमकी दी है। इस धमकी की आलोचना ज़रूर की गई है पर उल्लेखनीय है कि उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आख़िर वहाँ फ़्रीडम ऑफ एक्सप्रैश्न है ! पर ऐसी उत्तेजना तो वहाँ आम हो गई है। हमारे डिप्लोमैट के पोस्टर लगा कर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का बदला लेने के लिए उन्हें KILL करने की धमकी दी जा चुकी है। KILL INDIA के पोस्टर लगाए जाते हैं। हद तो तब हो गई जब 4 जून को ब्रैमप्टन में झांकी निकाली गई जिस में इंदिरा गांधी का पुतला खड़ा किया गया। सफ़ेद साड़ी पर खून दिखाया गया और पीछे दो बाडीगार्ड उन पर गोलियाँ चलाते दिखाए गए। इस घटना पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई। भारत में कैनेडा के हाई कमीशनर ने टिप्पणी की, “ कैनेडा में नफ़रत या हिंसा के महिमागान की कोई जगह नहीं है। मैं पूरी तरह से ऐसी गतिविधियों की निन्दा करता हूँ”। अच्छी बात है, पर फिर उल्लेखनीय है कि सिर्फ़ निन्दा कर मामला रफादफा कर दिया गया कोई कार्यवाही नहीं की गई। हर भारत विरोधी हरकत के बारे ऐसी ही निष्क्रियता दिखाई जाती है। वहाँ दर्जन के क़रीब मंदिरों में तोड़ फोड़ की गई है पर किसी अभियुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई।
भारत सरकार कैनेडा को वहाँ सुरक्षित पनाह पाए भारत विरोधी आतंकियों और दूसरे अपराधियों की गतिविधियों के कई डोसीयर सौंप चुकी है पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे यह शंका बल पकड़ गई है कि यह हमें परेशान करने की सोची समझी साज़िश का हिस्सा है। आख़िर पन्नू जैसे तत्वों के पास इतने साधन कहाँ से आगए? कौन उसे फंड कर रहा है? यह फटेहाल पाकिस्तान नही हो सकता। फिर कौनसी ताकतवार एजंसियां है जो इन्हें संरक्षण दे रही है और हमारी आपत्तियों को अनसुना कर रही है ? जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि उनके देश में “रूल ऑफ लॉ’ है। अगर सचमुच क़ानून का शासन है तो उन तत्वों के विरूद्ध एक भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई जो हमारे लोगों की हत्या का आह्वान करते हैं, या हिन्दुओं को वहाँ से निकल जाने की धमकी देते हैं, या मंदिरों पर हमले करतें हैं, या अपने विरोधियों की हत्या करते हैं, या ड्रग्स ट्रेंड में शामिल हैं? ट्रूडो की अपनी पार्टी के सांसद चन्द्र आर्य ने बताया है कि पन्नू की धमकी के बाद वहाँ बसें हिन्दुओं में भारी घबराहट है। उनका कहना है कि “ट्रूडो के भारत की एजेंसियों पर आरोप के बाद पन्नू और अधिक दुस्साहसी हो गया है। वह हिन्दुओं और सिखों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहा है”।
कैनेडा के प्रधानमंत्री का कहना है कि उन्होंने भारत के साथ हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बारे credible allegations साँझा की है। अर्थात् विश्वसनीय आरोप। सवाल है कि यह credible allegations होता क्या है? अभी तक तो हम credible proof या credible evidence सुनते रहें है। यह पहली बार हो रहा है कि आरोप को भी विश्वसनीय बताया जा रहा है कि हत्या के पीछे भारत का हाथ है। उनके अपने एक प्रदेश के एक प्रीमियर का कहना है कि यह सब जानकारी तो इंटरनेट पर उपलब्ध है। उनके रक्षामंत्री ने एक अख़बार को बताया है कि “अगर जो जानकारी हमें प्राप्त है वह सही साबित हो जाती है तो…”। अर्थात् उनके रक्षामंत्री जानकारी के बारे कह रहें हैं कि ‘अगर’ वह सही है तो…’ कुछ निश्चित नहीं और इस अप्रमाणित आधार पर आपने इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय बखेड़ा खड़ा कर दिया। एक लोकतंत्र द्वारा दूसरे लोकतंत्र पर ऐसा सीधा आरोप लगाना असमान्य है। निश्चित तौर पर माजरा कुछ और है।
हरदीप सिंह निज्जर कौन था ? निज्जर के खिलाफ यहाँ दस मामले थे जिनके बाद उसे आतंकवादी घोषित किया गया। बब्बर खालसा का यह आतंकवादी पंजाब में हत्याओं और हथियारों की तस्करी में संलिप्त था। कैनेडा जा कर वह उग्रवादी राजनेता जगमीत सिंह जो खालिस्तान का समर्थक है, की एनडीपी पार्टी में शामिल हो गया। इस पार्टी के 25 सासंदो के समर्थन पर ट्रूडो की सरकार टिकी हुई है। यह एक कारण है कि कैनेडा की सरकार ऐसे तत्वों को हाथ नहीं डालती। निज्जर के खिलाफ इंटरपोल का पहला रैड कार्नर नोटिस 2014 में पटियाला पुलिस द्वारा केस दर्ज करने के बाद निकाला गया। इसके बावजूद कुछ महीने बाद 2015 में उसे वहाँ की नागरिकता मिल गई। जब इंटरपोल द्वारा रैड कार्नर नोटिस निकाला जाता है तो उस देश को उस अपराधी को गिरफ़्तार कर वापिस भेजना पड़ता है पर कैनेडा जो इंटरनैशनल रूल ऑफ लॉ की बात करता है, ने उल्टा निज्जर को नागरिकता का पुरस्कार दे दिया। दूसरा रैड कार्नर नोटिस रोपड़ पुलिस द्वारा एफ़आइआर दर्ज करवाने के बाद 2016 में निकाला गया फिर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब मामला असुखद बन गया तो कैनेडा के इमीग्रेशन मंत्री ने कहा,” मैं इस बात की पुष्टि करता हूँ कि निज्जर मार्च 3, 2015 को कैनेडा का नागरिक बन गया था।आशा है कि इससे यह आधारहीन अफ़वाह ख़त्म हो जाएगी कि वह कैनेडा का नागरिक नहीं था”। लेकिन यह कह कर मंत्री महोदय फँस गए क्योंकि रैड कार्नर नोटिस तो पहले निकल चुका था। फिर अपने बयान को संशोधित करते हुए कह दिया कि “मेरे से गलती हो गई वह तो 25 मार्च 2007 में ही नागरिक बन गया था”। दूसरे दावे पर कोई विश्वास नहीं करता। समझा जा रहा है कि मुश्किल स्थिति से निकलने के लिए झूठ बोला गया।
निज्जर फ़रवरी 1997 में टोरोंटो नकली पासपोर्ट पर पहुँचा था। पासपोर्ट पर उसका नाम रवि शर्मा लिखा था। उसने अपने केश कटवा रखे थे। वहाँ उसने एक महिला जो कैनेडा की नागरिक थी, से शादी कर ली जिसने उसे स्पांसर कर दिया। इस महिला को कैनेडा में ‘अलग पति ने सपांसर किया था’ जिससे उसने तलाक़ ले लिया था। सवाल उठता है कि ऐसी संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को लेकर कैनेडा इतना परेशान क्यों है? तुम्हारा नागरिक बनने से पहले तो वह हमारा रैड कार्नर अभियुक्त था। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारी माईकल रुबेन का सही कहना है कि ‘निज्जर आम पलम्बर नहीं था। उसके हाथ खून से सने थे’। कैनेडा में हमारे दूतावासों के बाहर हिंसक प्रदर्शन हुए। हमारा राजदूत और दूसरे डिप्लोमैटिक स्टाफ़ का नाम लेकर और तस्वीरें लगा कर उनकी हत्या का आह्वान किया गया। और कैनेडा की ‘क़ानून की सरकार’ तमाशा देखती रही। क्या वियाना कनवैंशन इसकी इजाज़त देती है? वह देश भारत विरोधी तत्वों का पनाहगाह क्यों बन गया है? कैनेडा तो निर्लज्जता में पाकिस्तान से आगे निकल गया है। पाकिस्तान आतंकवादियों की मौजूदगी से ही इंकार करता है पर कैनेडा छाती ठोक कर कह रहा है, हमारा नागरिक ! हमारा नागरिक ! हमारे राजनयिक का नाम लेकर उसे निकाला गया जिससे उसके तथा उसके परिवार की ज़िन्दगी खतरें में डाल दी गई। ऐसा तो दुश्मन देश भी नहीं करते। भारत विरोधी हिंसक तत्वों के प्रति वह देश इतना मेहरबान क्यों है ?
इस सवाल का जवाब बहुत जटिल है। न्यूयार्क टाईम का कहना है कि कि अमेरिका ने कैनेडा को खालिस्तानी अलगावादी की हत्या के बारे गोपनीय सूचना दी है। अर्थात् मामला कैनेडा तक ही सीमित नहीं। कहीं भारत को दबाने की कोशिश हो रही है। कश्मीर लगभग सही रास्ते पर आगया है इसलिए खालिस्तान का भूत जीवित करने की कोशिश की जा रही है। हमारे उभार से बाहर कुछ लोगों को तकलीफ़ पहुँच रही है। इस पर अलग लेख बनता है। पर भारत सरकार को वीज़ा पर लगी रोक पर पुनर्विचार करना चाहिए। आगे दीवाली है, शादी का सीजन है, उन बेक़सूर लोगों को क्यों सजा दी जाए जिनका इस घटनाक्रम से कुछ लेना देना नहीं, जो उग्रवाद का समर्थन नहीं करते और चाहते हैं कि यह विवाद ख़त्म हो जाए ?