
जिस 22 जनवरी को भारत में राम मंदिर का जश्न मनाया जा रहा था पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आत्मघाती हमले की आशंका से स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटी बंद कर दिए गए। विशेष आशंका थी कि एक आत्मघाती महिला तीन सैनिक यूनिवर्सिटी में से किसी को निशाना बना सकती है। यह तीन हैं, नैशनल डिफ़ेंस यूनिवर्सिटी, बाहरिया यूनिवर्सिटी और एयर यूनिवर्सिटी जिन्हें क्रमश सेना, नौसेना और वायुसेना चलाती हैं। तब पुलिस ने बताया कि यह तीनों “संभावित ख़तरे को देखते हुए” बंद कर दिए गए हैं। पुलिस की विज्ञप्ति में कहा गया कि कि सुरक्षा कारणो से स्टाफ़ ‘वर्क फ़्रॉम होम’ करेगा। यह खबर जिओ टीवी ने भी प्रसारित की और एक विदेशी न्यूज़ एजंसी के रिपोर्टर ने इस बात की पुष्टि की कि उसने बाहरिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को भेजा संदेश पढ़ा है। पत्रकार कामरान हैदर ने रिपोर्ट किया कि, “इस्लामाबाद के स्कूल और यूनिवर्सिटी सोमवार को प्रतिबंधित मिलिटैंट ग्रुप के हमले की सम्भावना के बाद बंद कर दिए गए”।
पाकिस्तान की सरकार का घबराना स्वभाविक है। आतंकवादियों ने अपनी रणनीति बदल ली है। अब वह आम नागरिकों को कम, सैनिकों और पुलिसकर्मियों को अधिक निशाना बना रहें हैं। इसकी शुरूआतें दिसम्बर 2014 में हो गई थी जब तहरीक- ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के छ: आतंकियों ने पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 149 को मार डाला था जिनमें 132 बच्चे थे। सैनिक कार्रवाई में सभी छ: आतंकी मारे गए पर तब से अब तक पाकिस्तान की सेना और टीटीपी के बीच बाक़ायदा जंग चल रही है। 2023 में पाकिस्तान के अंदर 789 आतंकी हमले हो चुके हैं जिनमें 1524 लोग मारे गए। जब से पाकिस्तान के सक्रिय सहयोग से तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में सत्तारूढ़ हुआ है, उनकी सीमा पर हिंसा बहुत बढ़ गई है। कथित परमाणु शक्ति पाकिस्तान अब अपने घरेलू आतंकवादियों के निशाने पर है। नई सरदर्द आतंकियों की नई उभर रही शाखाएँ हैं जो देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं। पाकिस्तान इसके लिए टी.टी.पी.को ज़िम्मेवार ठहरा रही है, अर्थात् अफ़ग़ानिस्तान पर दोष मढ़ा जा रहा है जबकि पाकिस्तान ने अपने लिए खुद यह मुसीबत खड़ी की है। दशकों आतंकियों को दूध पिलाने की क़ीमत अदा करनी पड़ रही है। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की टिप्पणी याद आती है, “अगर आप अपने पिछवाड़े में साँप पालोगे तो यह आशा नहीं कर सकते कि वह पड़ोसियों को ही काटेंगे”।
हिलेरी क्लिंटन की यह टिप्पणी पाकिस्तान के हाकिमों को परेशान कर रही होगी। इस्लामाबाद के शिक्षा संस्थानों बारे जो चेतावनी दी गई उसका बाद में प्रतिवाद करने की कोशिश की गई पर यह खबर पहले ही प्रसारित और प्रकाशित हो चुकी है और यह हक़ीक़त नहीं बदल सकती कि पाकिस्तान अपनी ही पैदायश के निशाने पर है। बार बार दुनिया को दुहाई दी जा रही है कि हमें आतंकवाद से ख़तरा है पर जब मुम्बई पर हमला करवाया गया या हमारे सैनिकों पर हमले करवाए गए तब यह क्यों नहीं सोचा कि यह पासा उल्टा भी पड़ सकता है? तब तो वह भारत को अस्थिर करने और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की इत्मिनान से कोशिश में लगे थे। अब सेनाध्यक्ष जनरल असिम मुनीर जो एक प्रकार से पाकिस्तान के सर्वेसर्वा हैं का कहना है, “सशस्त्र सेना आतंकवाद से लड़ेंगी पर उन्हें सारे देश का सहयोग चाहिए”। जनरल मुनीर ने आतंकवाद का मुक़ाबला करने में “देश ने दी क़ुर्बानी” को भी याद किया। पर इससे पहले पाकिस्तान को एक और झटका मिला जब पाकिस्तान में आतंकी कैम्पों पर ‘बिरादराना’ ईरान ने मिसाइल हमला कर दिया।
पाकिस्तान और ईरान के सम्बंध भी अजीबोग़रीब है। दोनों पड़ोसी इस्लामी देश है जो सहयोग भी करते हैं पर एक दूसरे के खिलाफ आतंकवादियों को पालते भी है। पाकिस्तान सुन्नी मुस्लिम देश है तो ईरान शिया मुस्लिम देश जो तनाव का बड़ा कारण है। ईरान का कहना है कि उन्होंने बलूचिस्तान स्थित सुन्नी आतंकवादी संगठन जैश-अल-अदल के ठिकानों को निशाना बनाया है। दिसम्बर में ईरान के सिस्तान-ब्लूचिस्तान प्रांत में एक पुलिस थाने पर हमले में 11 पुलिस वाले मारे गए थे। ईरान के गृहमंत्री अहमद वहीदी का कहना था कि हमलावर पाकिस्तान से ईरान में दाखिल हुए थे। ईरान के मिसाइल हमले के बाद पहले तो पाकिस्तान ने अपना राजदूत वापिस बुला लिया पर फिर ईरान स्थित ‘आतंकवादी कैम्प जहां से पाकिस्तान पर हमले होते हैं’ पर मिसाइल से हमला कर दिया। हिसाब बराबर कर दोनों देश शांत हो गए है। पाकिस्तान रह चुके हमारे राजदूत टी.सी.ए. राघवन का लिखना है, “मतभेदों के बावजूद दोनों देश भाईचारे का लिबास डाले रखतें हैं ..पर ईरान के लिए ब्लूचिस्तान सुन्नी संगठनों का अड्डा है जो उनके सिस्तान- ब्लूचिस्तान की सुन्नी आबादी में शरारत करते रहते हैं”। पाकिस्तान की अपनी शिकायत है कि ब्लूच बाग़ी ग्रुप पाकिस्तान पर ईरान की भूमि से भारत की मदद से हमले करते हैं जिन्हें रोकने का ईरान कोई प्रयास नहीं करता।
यह सम्भव नहीं कि पाकिस्तान में कुछ हो जाए तो भारत को याद न किया जाए। ईरान के हमले से एक दिन पहले तेहरान में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी को दो जमा दो पाँच बनाया जा रहा है। ऐसे हमले बहुत तैयारी के बाद किए जातें हैं क्षणभर में नहीं हो जाते पर पाकिस्तान में असुरक्षा की इतनी भावना है कि हर बात को भारत के साथ जोड़ा जाता है। पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार द डॉन ने लिखा है, “क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी भारत के कारण स्थिति और जटिल बन गई है जो आतंकवाद का बहाना बना कर पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है”। पाकिस्तान ब्लूचिस्तान में ग्वाडार में चीन की मदद से बंदरगाह बना रहा है। इससे कुछ ही दूर भारत और ईरान मिल कर चाबहार में बंदरगाह बना रहे है। इससे पाकिस्तान में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है कि चाबहार का इस्तेमाल भारत पाक विरोधी गतिविधियों के लिए करेगा जिसमें ईरान सहयोग देगा।
इस वक़्त पाकिस्तान के अपना तीनों पड़ोसियों, भारत, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान जिनके साथ उसका इतिहास और संस्कृति सांझी है, के साथ टकराव वाले रिश्ते हैं। केवल चीन है जो कुछ स्थिरता देता है। ईरान पर स्ट्राइक कर पाकिस्तान ने यह संदेश तो दे दिया कि आंतरिक समस्याओं के बावजूद उनकी सेना अपनी संप्रभुता को चुनौती को चुपचाप सहन नहीं करेगी, पर यह भी कड़वी सच्चाई है कि कथित न्यूक्लियर पावर की अपनी हालत ख़राब है। उनका रूपया लगातार गिर रहा है और बताया जाता है कि हवाला में डालर के मुक़ाबले इसका रेट 300 है। अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाएँ या साऊदी अरब जैसे देश मदद नहीं करते तो यह देश दिवालिया हो जाएगा। मुद्रास्फीति 30 प्रतिशत पर है और उनकी एशिया ने सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्था है। विदेशी मुद्रा के भंडार में भारी गिरावट आ रही है।सरकार बेबस है और किसी तरह काम चला रही है। सैनिक जनरल देश चलाने की कोशिश कर रहें हैं जिन्हें इसका बिलकुल ज्ञान नहीं है। चीन सैनिक मदद करता है पर आर्थिक नही। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश क़ाज़ी फ़ैज़ ईसा का कहना है कि “ड्रग्स और कलिशनिकोव ने देश को बर्बाद कर दिया”।
इस बीच 8 फ़रवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव हो रहे है जिसके बारे रक्षा मामलों की विश्लेषक शालिनी चावला का कहना है कि यह सेना की मदद से “निर्धारित लोकतंत्र का एक और चरण होगा”। उनकी टिप्पणी सही है क्योंकि सब कुछ पहले से तय लगता है। सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान सलाख़ों के पीछे है और कई केसों का सामना कर रहें हैं। अभी उन्हें 10 साल की क़ैद की सजा सुनाई गई है। उन्हें सेना ने नवाज़ शरीफ़ को हटाने के लिए खड़ा किया था पर वह खुद को आज़ाद समझने की गलती कर गए। अब इमरान को एक तरफ़ करने के लिए नवाज शरीफ़ को आगे लाया जा रहा है। जहां इमरान खान के नामांकन पत्र रद्द हो चुकें हैं और उनकी पार्टी का सेना के दमन के बाद बिखराव हो रहा है, वहां लंडन से लाकर नवाज़ शरीफ़ पर सभी केस एक एक कर रद्द किए जा रहें। सेना समझती है कि इमरान खान के मुक़ाबले केवल नवाज़ शरीफ़ को लोकप्रिय समर्थन प्राप्त है, वह खाड़ी के देशों सें पैसा ला सकते हैं और देश को सम्भालने की उनमें क्षमता है। पर यह देखने की बात है कि नवाज शरीफ़ और सेना के बीच यह ख़ुशमिज़ाजी कितनी देर चलती है क्योंकि नवाज शरीफ़ अतीत में प्रदर्शित कर चुकें हैं किं वह किसी की कठपुतली बनने को तैयार नही और आज़ाद निर्णय ले सकते हैं।
नवाज़ शरीफ़ ने अभी से यह सवाल उठा लिया है कि, “ मुझे हथकड़ी लगा पहले जेल और फिर निर्वासन में क्यों भेजा गया? मुझे इसका जवाब चाहिए। मैं सारा सिस्टम बदलना चाहता हूँ”। यह उनके लिए बहुत ख़तरनाक हो सकता है क्योंकि उनके साथ जो हुआ वह सेना की सहमति से हुआ और जहां तक सिस्टम बदलने की बात है, अभी तक जिन्होंने प्रयास किया वह या तो फाँसी पर चढा दिए गए(ज़ुल्फ़िकार भुट्टो), या गोली से उड़ा दिए गए( बेनजीर भुट्टो), या जेल डाल दिए गए (इमरान खान) या विदेश धकेल दिए गए(नवाज शरीफ़)। पर नवाज शरीफ़ की बात सही है। जब तक वह देश अपनी दिशा सही नहीं करता तब तक कोई बचाव नही है और तब तक वह झटके खाते जाएँगे। लेकिन क्या सेना इसकी इजाज़त देगी?
अंत में: पाकिस्तान की अभिनेत्री सईदा इम्तियाज़ का कहना है कि वह पाकिस्तान में शादी नहीं करेगी। टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा के शोयब मलिक के साथ तलाक़ और शोयब मलिक की तीसरी शादी के बाद सईदा इम्तियाज़ का कहना है, “मैं यहाँ शादी नहीं करूँगी। यहाँ तो हर दो साल के बाद जैसे वजीर -ए -आज़म बदले जातें हैं वैसे मर्द बीवी बदल लेते हैं!”