यूएई पर लिखे मेरे पिछले लेख पर एक मित्र का मैसेज आया कि तुम तो यूएई के फ़ैन (प्रशंसक) बन गए हो। फिर मज़ाक़ में उसने पूछा, ‘आशा है तुम वहाँ बसने तो नहीं जा रहे?’ जहां तक बसने की बात है, मेरा जवाब राज कपूर की फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का गाना है, जीना यहाँ मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ! ‘यहाँ’ से अभिप्राय मेरा अपना देश है। जहां तक पसंद की बात है, मुझे कहने में बिल्कुल हिचक नहीं कि मैं यूएई जाना पसंद करता हूँ और साल में दो-तीन बार अबू धाबी या दुबई का चक्कर ज़रूर लगाता हूं। सिर्फ़ मैं ही नहीं पिछले साल मेरे 24.6 लाख हमवतन दुबई गए थे। कई काम के लिए, कई पारिवारिक कारणों से तो कई भ्रमण के लिए। कई बेहतर ज़िन्दगी और मौक़ों के लिए। वहाँ जाने वाली सबसे अधिक संख्या भारतीयों की है। हमारे 22 शहरों से यूएई के लिए सीधी उड़ानें है। 2022 में दुबई प्रशासन ने भारतीयों को घर बेच कर 35,500 करोड़ रूपए कमाए थे। न केवल भारतीय बल्कि युक्रेन के युद्ध के दुष्परिणामों से भागे रईस रूसी भी दुबई के पॉश इलाक़ों में जायदाद ख़रीद रहें हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी,फ़्रांस और इंग्लैंड जैसे देशों से भी निवेशक यूएई में टैक्स- फ़्री इनकम और निवेश पर बढ़िया मुनाफ़े का फ़ायदा उठाने के लिए वहाँ पहुँच रहे हैं। हमारे कई सेलिब्रिटी जैसे शाहरुख़ खान, आशा भोंसले, सानिया मिर्ज़ा, संजय दत्त तो बहुत पहले यहां पैसा लगा चुकें है।
कभी दुबई मछुआरों का छोटा सा गाँव होता था जहां लोग समुद्र में मोती ढूँढ कर भी पैसे बनाते थे। आज दुबई दुनिया के पाँच टॉप शहरों में से है। लंडन तो बहुत असुरक्षित शहर बन चुका है। सारा इंफ़्रास्ट्रक्चर चरमरा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड की सड़कों में 60 लाख गड्डे हैं पर सरकार के पास इन्हें भरने के लिए पैसे नहीं है। यह पुराने शहर दुबई और अबू धाबी जैसे चमकते और व्यवस्थित शहरों के सामने बहुत फीके पड़ रहें है। अबू धाबी में 1962 में तेल मिला था पर दुबई और शारजाह जैसे अमीरात के पास तेल नहीं है। इसलिए इन्होंने बड़े पैमाने पर निर्माण कर खुद को फ़ाइनैंस, ट्रेड,शिपिंग, एवियेशन और टूरिज़्म का केन्द्र बना लिया है। ग़ज़ब की सोच दिखाई है। ऐसा करने के लिए उन्हें बड़े पैमाने में दूसरे देशों से लोग खींचने पडे जिनमें सबसे प्रमुख हमारे लोग है। यूएई की कुल जनसंख्या 95 लाख के क़रीब बताई जाती हैं जिनमें से लगभग एक तिहाई हिस्सा भारतीयों का है। दुबई में घर या जायदाद ख़रीदने वालों में सबसे अधिक 20प्रतिशत भारतीय हैं। हमारे कारोबारी भी कहते हैं कि यहाँ ईडी, या सीबीआई या इनकम टैक्स विभाग के छापों का डर नहीं है।
भारतीयों को यूएई और विशेष तौर पर दुबई क्यों पसंद है? एक कारण है कि नज़दीक है। किसी भी भारतीय शहर से यूएई के शहर केवल 3-4 घंटे ही दूर हैं। बहुत लोग यहाँ हिन्दी या हिन्दुस्तानी जानते है। पाकिस्तानी या अफ़ग़ान या बांग्लादेशी या नेपाली तो समझते ही हैं, स्थानीय अरब भी कुछ कुछ समझतें हैं। मुझसे हवाई अड्डे पर पूछा गया, “किधर से आया?” माहौल प्रतिकूल नहीं है जैसा कई बार योरूप या पश्चिमी देशों में मिलता है। इंग्लैंड के बारे विशेष शिकायत रहती है कि लोग वहाँ नस्ली दुर्व्यवहार करते हैं। पिछले साल मैं मलेशिया भी गया था। दोनों यूएई और मलेशिया इस्लामी देश है पर नस्ली भेदभाव का कहीं अंश भी नज़र नहीं आया। मलेशिया में दीवाली पर सरकारी छुट्टी होती है। यूएई में तो बाक़ायदा ‘सहिष्णुता और सहअस्तित्व’ मंत्रालय है। यह विभिन्न लोगों के बीच भाईचारे और आपसी सम्मान को प्रेरित करता है। हमारे साथ इन देशों, चाहे वह मलेशिया हो या यूएई,का सदियों से समुद्र के रास्ते व्यापार और सम्पर्क चलता आ रहा है इसलिए हमारी सभ्यता और संस्कृति से यह वाक़िफ़ हैं।
यहाँ हर जगह भारतीय खाना मिलता है। एक ही दिन में मैंने ‘कृष्णा स्वीट्स’, ‘महाराजा भोग’,रंगला पंजाब’,’रोटी भाई’ देख लिए। ‘गोल्ड सूक’ अर्थात् ‘सोने का बाज़ार’जहां केवल सोने की दुकानें हैं और करोड़ों रुपए के हार शो- विनडो में लटक रहे थे, में भी ‘बीकानेर’ का रेस्टोरेंट देखा। अगले महीने आने वाले होली के त्योहार की भारतीय समुदाय अभी से तैयारी कर रहा है। कई पार्क बुक किए जा रहे है। पिछले महीने दुबई में जश्न- ए- रख्ता ने ग़ज़लों और संगीत के कार्यक्रम का आयोजन किया था जहां जावेद अख़्तर भी थे और आबिदा परवीन भी। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लोगों ने इसका आनंद उठाया। आपके दैनिक जीवन में सरकार की दखल न्यूनतम है जब तक आप उनके नियमों और क़ानून का उल्लंघन नहीं करते। ऐसा किया तो कोई लिहाज़ नही, एकदम जेल या अगली फ़्लाइट से वापिस भेज दिया जाते है। टूरिस्ट के आकर्षण के लिए बहुत कुछ है। गोलाकार ‘म्यूज़ियम ऑफ फ्यूचर’है तो दुनिया की सबसे ऊँची इमारत 828 मीटर (2716 फुट) बुर्ज ख़लीफ़ा यहाँ है। चारों तरफ़ पानी के कारण भी टूरिस्ट के लिए कई आकर्षण है। अगले साल से दुबई में एयर-टैक्सी चलनी शुरू हो जाएगी। ड्रोन जैसी मशीन में चार लोग बैठ सकेंगे। ट्रैवल का यह भविष्य है, नई दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
यूएई के आकर्षण का बड़ा कारण है कि यह जगह पूरी तरह सुरक्षित है। जैसे पहले हमारे गाँवों में होता था घर बंद करने की भी ज़रूरत नहीं और कई तो ताला नहीं लगाते। कार पार्क कर चाबी बीच में छोड देना आम है। कोई हाथ नहीं लगाएगा। चारों तरफ़ कैमरे लगे हैं इसलिए चोरी किया गया वाहन जल्द ट्रेस कर पकड़ा जा सकता है। टैक्सी के अन्दर कैमरे लगे हैं ताकि चालक कोई गड़बड़ न करे। अगर टैक्सी के अन्दर आपका बैग या पर्स रह गया है तो चालक उसे लौटा देगा। माहौल ही ऐसा बना दिया गया है कि सब सीधे चलते हैं।
इस माहौल का महिलाओं और बच्चों को सब से अधिक फ़ायदा है, वह पूरी तरह सुरक्षित हैं। यहां उन्हें वह आज़ादी मिलती है जिसकी दूसरे देशों में कल्पना भी नहीं की जा सकती। महिलाओं से दुर्व्यवहार का एक भी समाचार नहीं मिलता। रात के वक़्त घूम रही या काम से अकेली लौटती महिला सामान्य है। कोई उस ओर देखेगा तक नहीं। रात को बिना मर्द के रेस्टोरेंट में बैठी महिलाओं के ग्रुप सामान्य बात है। इसी तरह बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं। वह अकेले कहीं भी घूम फिर सकते हैं कोई परेशान नहीं करेगा। हमारे शहरों में यह माहौल नहीं रहा। परिवार को वहाँ जो सुरक्षा मिलती है वह बहुत लोगों के पलायन का बड़ा कारण है। विश्व स्तर की शिक्षा और मेडिकल सेवा उपलब्ध है। सीबीएसई के स्कूल है जिससे हमारे बच्चे अपनी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े रहते हैं। कई अमेरिकन यूनिवर्सिटी हैं, हारवर्ड मेडिकल स्कूल है। आईआईटी दिल्ली भी खुल रहा है। प्रदूषण नहीं है। सड़कों पर पूरा अनुशासन है। आप कई दिन रह जाओ एक हार्न नहीं सुनाई देगा। दुबई की मुख्य शेख़ ज़ायद रोड पर आप 120 किलोमीटर की रफ़्तार से गाड़ी चला सकते हैं। दुर्घटना नहीं होती क्योंकि सब अपनी अपनी लेन में रहतें है। जिस तरह हमारी सड़कों पर अराजकता देखी जा रही है उसकी तो वहाँ कल्पना ही नहीं की जा सकती।
सब यही बतातें हैं कि ‘क्वॉलिटी ऑफ लाइफ़’ बेहतर है। इसीलिए जो बाहर जाता है वह वापिस लौटना नहीं चाहता, औलाद जो विदेश में जन्मी पली है वह तो बिलकुल वापिस नहीं आना चाहती। न ही वह वापिस आकर एडजस्ट ही कर सकती है। आप यहाँ पैसा बना सकते हो और पैसा रख सकते हो। आयकर नही है। निवेश पर टैक्स नहीं लगता। अगर आप पढ़े लिखे और प्रतिभाशाली हो तो अच्छी नौकरी मिल सकती है। इसीलिए हमारे बहुत से प्रोफेशनल यहां आ रहे है। पर जगह महँगी है। अगर आप अच्छा लाइफ़ स्टाइल रखना चाहते हो तो कमाई भी मोटी चाहिए। हमारे बहुत लोग यहां लेबर करने आते है। अपने देश से अधिक आमदन मिलती है पर रहन सहन बहुत कठिन है। वापिस लौटे एक व्यक्ति जो अब चौकीदारी कर रहा है, ने बताया कि लेबर एक कमरे में चार चार पाँच पाँच रहते है। गर्मियाँ काटना मुश्किल हो जाता है। पर अगर आप के पास पैसा है तो यहाँ मौज है। हाँ, एक बड़ी समाजिक कमजोरी ज़रूर है। लोग सिगरेट और हुक्का बहुत पीतें हैं क्योंकि कोई पाबंदी नहीं। कई शीशा(हुक्का)-बार हैं जहां महिलाऐं भी शीशा पीते नज़र आजाऐंगी। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कैनेडा या यूके जैसे देशों से यूएई में महत्वपूर्ण अंतर यह है कि जहां बाक़ी देशों में आप किसी न किसी दिन नागरिक बनने की आशा रख सकते हो, यूएई नागरिकता नहीं देता। इस कमी को पूरा करने के लिए आंशिक कदम उठाया गया है। गोल्डन वीज़ा स्कीम शुरू की गई है जिसके अंतर्गत करोड़ों रूपए खर्च कर आपको दस साल रिहायश और कारोबार की सुविधा मिल जाती है। आप जितनी बार चाहो बेरोकटोक के आ जा सकते हो और जायदाद ख़रीद सकते हो। परिवार को बुला सकते हो। हमारे बहुत लोग यह गोल्डन वीज़ा ख़रीद रहें हैं।
जब हम दुबई उतरे तो जो व्यक्ति हमारा स्वागत करने आया था वह केरल से राकेश था। जिस पोर्टर ने सामान उठाया वह नेपाल से जय बहादुर था और हिन्दी फ़िल्मों के गाने बजाता एयरपोर्ट से जो टैक्सी वाला ले कर हमें गया वह पाकिस्तान से ज़ैन था। ऐसा अनोखा संगम और कहाँ मिलेगा? यूएई की राजधानी अबू धाबी को दुनिया का सबसे सुरक्षित शहर घोषित किया गया है। हैरानी क्यों हो कि हमारे लोग फ़्लाइट् भर भर कर वहाँ पहुँच रहें हैं?