नमो-नमो ही क्यों?

March 19, 2014 Chander Mohan 1

नमो-नमो ही क्यों? यह पहली बार नहीं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक ने भाजपा के राजनीतिक मामलों में सार्वजनिक दखल दिया हो। पहले भी के. सुदर्शन ने टीवी के कैमरे के आगे आकर कहा था कि वाजपेयी तथा आडवाणी को रिटायर हो जाना चाहिए। दोनों ने उनकी बात अनसुनी कर दी थी। अब फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी कि ‘हमारा काम नमो-नमो करना नहीं’, से बहस खड़ी हो गई है। जहां भाजपा असहज है वहां भाजपा और विशेष तौर पर नरेंद्र मोदी के विरोधी बाग बाग हैं। वामपंथी अतुल अंजान का कहना है कि ‘संघ सही कह रहा है। अब उन्हें लगने लगा है कि मोदी भस्मासुर बनते जा रहे हैं।’ दिग्विजय सिंह का भी कहना […]

जमाना बेताब है करवट बदलने को!

July 4, 2013 Chander Mohan 0

जमाना बेताब है करवट बदलने को! भाजपा के भीष्म पितामह ने अपना अंतिम बाण चला दिया। उन्होंने इस्तीफ दे दिया। लेकिन वे भी देख रहे होंगे कि यह बाण कहीं लगा नहीं। मीडिया में हलचल के बावजूद पार्टी अब अपनी दिशा बदलने के लिए तैयार नहीं। संसदीय बोर्ड ने भी उन्हें मार्गदर्शन तथा सलाह देने का आग्रह किया है किसी ने यह नहीं कहा कि पितामह! बाणशैय्या से उठिए और 2014 के युद्ध में हमारा नेतृत्व कीजिए! भाजपा ने अपना भविष्य तय कर लिया है, और आडवाणी उसका हिस्सा नहीं हैं। इस जगह तक पार्टी को पहुंचाने में आडवाणीजी की बड़ी भूमिका है। भाजपा के जितने नेता हैं, नरेंद्र मोदी समेत, उन सबको एक प्रकार से उन्होंने उंगली पकड़ कर […]

आडवाणी : समाधान या समस्या?

July 4, 2013 Chander Mohan 11

आडवाणी : समाधान या समस्या? हाल ही में देश में जो राजनीतिक सर्वेक्षण हुए हैं वे तीन बातें स्पष्ट करते हैं। एक, कांग्रेस निरंतर गिर रही है। वोट प्रतिशत 10 प्रतिशत या अधिक गिर रहा है। दूसरा, भाजपा को उतना फायदा नहीं हो रहा है जितना कांग्रेस के पतन से होना चाहिए और तीसरा, भाजपा तब ही सरकार बनाने के नजदीक पहुंचेगी अगर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। प्रधानमंत्री पद के भाजपा के जो दिल्ली वाले दावेदार हैं वे कितने ही अनुभवी तथा प्रभावशाली हों वे लोगों को उत्साहित नहीं करते। भाजपा के लिए यह खुशी और संतोष की बात होनी चाहिए कि निचले स्तर से शुरू हुए नरेन्द्र मोदी इतना ऊंचा पहुंचने की क्षमता […]

मनमोहन सिंह के बाद कौन?

July 4, 2013 Chander Mohan 1

मनमोहन सिंह के बाद कौन? अफसोस की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता जनता द्वारा सीधा चुना हुआ नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फिर राज्यसभा के लिए असम से नामांकन भरे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में ऐसा स्वीकार नहीं होगा। अब तो पाकिस्तान में भी प्रधानमंत्री सीधा जनता के द्वारा चुना गया है। हमारे देश में सभी बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी सीधे जनता द्वारा निर्वाचित थे। जब पी वी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने तो वे किसी सदन के सदस्य नहीं थे। वह तो सामान बांध कर अपने हैदराबाद लौट रहे थे कि उनके सर पर ताज रख दिया गया। वे भी छ: महीने के अंदर-अंदर लोकसभा के […]

कुछ न समझें खुदा करे कोई!

July 4, 2013 Chander Mohan 0

कुछ न समझें खुदा करे कोई! मुलायम सिंह यादव की राजनीति क्या है, सारा देश समझने की असफल कोशिश कर रहा है। हाल ही के दिनों में उन्होंने यूपीए तथा कांग्रेस पर बहुत पुष्पवर्षा की है। कांग्रेस धोखेबाज है, धमकीबाज है, घोटालाबाज है। कहा कि कांग्रेस डरा कर समर्थन हासिल करती है फिर धोखा देती है, सीबीआई को पीछे डाल देती है। लेकिन नहीं, अभी नेताजी समर्थन वापिस नहीं लेंगे क्योंकि इनका फायदा ‘सांप्रदायिक ताकतों’ को होगा। यह अलग बात है कि पिछले कुछ दिनों में जिन्हें वे ‘सांप्रदायिक ताकतें’ कहते हैं, उनकी वे खूब तारीफ भी कर चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज सब की मुलायम सिंह यादव या उनकी पार्टी के लोग किसी न […]

इकबाल खत्म हो रहा है

July 4, 2013 Chander Mohan 0

इकबाल खत्म हो रहा है श्रीलंका में मानवाधिकारों के उल्लंघन तथा तमिलों पर हुए अत्याचार को लेकर द्रमुक ने केन्द्रीय सरकार से समर्थन वापिस ले लिया है। इधर उधर से समर्थन इकट्ठा कर सरकार तो चला ली जाएगी लेकिन इस सरकार का इकबाल तो खत्म हो गया है। ठीक है इस वक्त कोई भी चुनाव नहीं चाहता। द्रमुक ने भी कहा है कि वे सरकार गिराना नहीं चाहते। भाजपा का कहना है कि वे अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएंगे। लेकिन सरकार तो अस्थिर हो गई। बजट पारित करवा लिया जाएगा पर बाकी योजनाएं, प्रस्ताव या कानून पारित करवाना मुश्किल होगा। सरकार बिल्कुल सपा तथा बसपा पर निर्भर हो गई है। ये दोनों पार्टियां अपनी-अपनी कीमत वसूल करेंगी। मुलायम सिंह यादव जैसे […]