Kaun Dalega Achkan

September 8, 2015 Chander Mohan 0

कौन डालेगा अचकन? 2017 के शुरू में पंजाब विधानसभा के चुनाव होने हैं जिसे देखते हुए सभी पार्टियों में मंथन तथा उठक-पटक शुरू हो गई है। महत्वाकांक्षाएं छलांग लगा रही हैं। कांग्रेस के नेता सुनील जाखड़ का कहना है कि ‘कईयों ने अचकन सिलवा ली है।’ लेकिन डालेगा कौन? प्रकाश सिंह बादल/सुखबीर बादल, कैप्टन अमरेन्द्र सिंह या कोई और कांग्रेस नेता, या आप का कोई प्रतिनिधि या खुद सुनील जाखड़? अरविंद केजरीवाल भी अचकन डालने (वह तो अभी तक बुशशर्ट ही डालते हैं) की दौड़ में शामिल हो सकते हैं, जैसी चर्चा पंजाब में शुरू हो चुकी है? आखिर दिल्ली में क्या रखा है छोटी सी आधी-अधूरी हुकूमत है? पंजाब पूरे अधिकार सम्पन्न विकसित राज्य है। तीनों बड़ी पार्टियों अकाली […]

Aks butt jayega tera bhi! -by Chander Mohan

March 31, 2015 Chander Mohan 0

अक्स बंट जाएगा तेरा भी! अरविंद केजरीवाल बेंगलुरू के जिंदल नेचर क्योर क्लिनिक से तंदरुस्त तथा तरोताज़ा होकर लौटे हैं पर यही हाल उनकी पार्टी का नहीं है। पार्टी में तो गंभीर फ्रैक्चर हो गया है। अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण तथा योगेन्द्र यादव वह त्रिमूर्ति है जिसने आप को बनाया था, इसे वैचारिक दिशा दी थी। अब भूषण तथा यादव को बाहर निकाला जा रहा है। जिन आदर्शों को लेकर पार्टी खड़ी की गई थी वह खत्म हो गए लगते हैं। लोकतंत्र, सुशासन, स्वराज, पारदर्शिता सब एक तरफ छोड़ कर अरविंद केजरीवाल एक मिनी तानाशाह बनते जा रहे हैं। सब कुछ ‘मैं’ है। प्रशांत भूषण तथा योगेन्द्र यादव का कसूर भी क्या है इसके सिवाय कि उन्होंने केजरीवाल के काम […]

Ninduk Niyre rakhie -by Chander Mohan

February 17, 2015 Chander Mohan 0

‘निंदक नियरे राखिए’ व्यक्तित्व की राजनीति अंतहीन नहीं हो सकती। दिल्ली का चुनाव परिणाम पहली चेतावनी है कि प्रधानमंत्री तथा उनके साथियों को उनके इमेज मेकर्स द्वारा निर्मित लोकप्रियता की धारणा से अतिशीघ्र बाहर आ जाना चाहिए और इस हकीकत का सामना करना चाहिए कि लोग असंतुष्ट हैं। अगर वह नाराज़ नहीं तो निराश जरूर हैं। दिल्ली का चुनाव नरेन्द्र मोदी के अपराजेय होने का मिथक भी तोड़ गया इसलिए आगे राजनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं। पहली परीक्षा तो बजट अधिवेशन में होगी। फिर बिहार के चुनाव हैं। नेताओं को खुद से पूछना चाहिए कि जमीन पर जो चल रहा था उसे भांपने में वह क्यों असफल रहे? आप सब तो दिल्ली में बैठे थे, आपको पता क्यों नहीं चला […]