इंसाफ़ या इंतक़ाम ( Justice or Revenge?)
निर्भया के क़ातिल बलात्कारियों को सात वर्ष के बाद आख़िर फाँसी पर चढ़ा दिया गया। हमारे समाजिक इतिहास का बहुत घिनौना अध्याय बंद हुआ। जिस मज़बूती से उसका परिवार विशेष तौर पर उसकी माता आशा रानी ने इस मामले का पीछा किया है वह क़ाबिले तारीफ़ है। अगर वह इतनी मज़बूती न दिखाते तो मामला अभी भी अदालतों में लटकता पड़ा होता। एक बार तो कई महीने कोई जज नहीं था जबकि यह हाई प्रोफ़ाइल मामला है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सही कहा है कि मृत्यु दंड के मामलों के ख़िलाफ़ अपील की सीमा होनी चाहिए और यह लड़ाई अंतहीन नहीं हो सकती। उनकी बात सही है पर यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि देश में बलात्कार […]