बुजुर्ग फालतू नहीं हैं!
बुजुर्ग फालतू नहीं हैं! उस दिन बुजुर्ग दिवस था। मैं आंखें चैकअप करवाने हस्पताल गया तो वहां एक बुजुर्ग भी थे जो नर्स से अपने आप्रेशन के बारे जानकारी प्राप्त कर रहे थे। जब नर्स ने बताया कि मोतियाबिंद के आप्रेशन के दो घंटे के बाद वे घर जा सकते हैं तो वे सज्जन निवेदन करने लगे कि ‘क्या मैं यहां दो दिन और नहीं रह सकता, घर में मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं।’ मुझे मालूम नहीं कि उस सज्जन के परिवार की क्या स्थिति है, बच्चे हैं या नहीं, लेकिन उनके शब्द ‘घर में मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं’, आज तक मुझे परेशान करते रहे हैं। उस सज्जन की क्या मजबूरी है? और उनके जैसे और कितने […]