‘द शो मस्ट गो ऑन’, रंग कैसा भी हो, The Show Must Go On Whatever It’s ‘Rang’
मुम्बई फ़िल्म उद्योग जिसे बॉलीवुड भी कहा जाता है जनकल्याण में लगा कोई समाज सेवी संगठन नही है। यह ‘उद्योग’ है जिसे नफ़ा नुक़सान की चिन्ता है। समय समय पर वह समाज की भावना को ज़रूर व्यक्त करते रहें हैं। ‘यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है’, जैसे गाने इंसान की परिस्थिति के सामने बेबसी को व्यक्त करते हैं। साहिर लुधियानवी की नज़्म ‘वो सुब्ह कभी तो आएगी’ बेहतर कल की उम्मीद जगाती है। अमिताभ बच्चन के ‘एंगरी यंग मैन’ व्यक्तित्व ने भी उस समय की भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी। पर बीच बीच में बॉलीवुड भटकता भी रहा। माफिया के पैसे की संलिप्तता से लेकर ‘कास्टिंग कोच’ की शिकायतें मिलती रहीं। लोगों की कमजोर […]