15 अगस्त :इस बार दोहरा जश्न, Double Celebration This Time

August 9, 2022 Chander Mohan 0

जब ब्रिटेन में भारत को आज़ाद करने पर चर्चा हो रही थी तो उनके पूर्व प्रधानमंत्री विंसेंट चर्चिल ने अपनी संसद में विलाप करते हुए चेतावनी दी थी, “अंग्रेजों के जाने के कुछ समय बाद भारत अपनी सदियों पुरानी रूढ़ियों के कारण मध्यकालीन और प्राचीन व्यवस्था में पहुँच जाएगा। ऐसे में अगर भारत 50 वर्ष भी आज़ाद रहे तो गनीमत होगी अन्यथा वह फिर गुलाम हो जाएगा…”। चर्चिल का कहना था कि “यह तिनकों से बने लोग हैं जिनका कुछ वर्षों के बाद नामोनिशान भी नहीं मिलेगा”। इस 15 अगस्त को जब हम जोश और आत्मविश्वास से अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं और हमारी अर्थव्यवस्था शीघ्र चर्चिल के देश से आगे निकलने वाली है, यह  संतोष है […]

सावरकर, गांधी और इतिहास के पन्ने, Gandhi, Savarkar and The Pages of History

October 21, 2021 Chander Mohan 0

यह देश वैचारिक रूप से इतना बँटता जा रहा है कि स्वतंत्रता सेनानियों को भी बक्शा नही जा रहा। समय समय पर गांधीजी और नेहरू जैसे महान् नेताओं पर कीचड़ उछालने का प्रयास हो चुका है। यह वह लोग हैं जिन्होने देश को आजाद करवाया था। यह हमारे आईकॉन अर्थात आदर्श हैं। हर देश हर समाज को ऐसे लोग चाहिए जिनकी जीवनी से आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा ले सकें। अमेरिका में लिंकन, इंग्लैंड में चर्चिल, फ़्रांस में डीगॉल, रूस में लेनिन, दक्षिण अफ़्रीका में मंडेला जैसे लोग आईकॉन है। यह नही कि इन्होंने ग़लतियाँ नही की पर इनके योगदान को याद किया जाता है ग़लतियों या कमज़ोरियों को नही। अफ़सोस है कि हमारे यहाँ तो गांधी को भी बख़्शा नही […]

खूनी बैसाखी पर माफी चाहिए (Apology for Jallianwala Needed)

March 28, 2019 Chander Mohan 0

इस साल 13 अप्रैल बैसाखी के दिन ब्रिटिश राज के सबसे नृशंस कांड की 100वीं वर्षगांठ है। 100 साल पहले उस दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में शांतमय ढंग से इकट्ठे हुए निहत्थे लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल डायर ने फायरिंग का आदेश दिया था। 1000 से उपर लोग मारे गए जिनमें गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मत प्रस्ताव पास कर ब्रिटिश सरकार से  “ब्रिटिश साम्राज्यवाद की सबसे भयंकर याद”  के लिए माफी की मांग की है। दूसरी तरफ ब्रिटिश संसद के हाऊस ऑफ लाडर्स में भारतीय मूल के लाडर्स ने इस नरसंहार पर बहस का प्रस्ताव रखा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1920 में हाऊस ऑफ लाडर्स ने इस पर बहस की थी और […]