लेकिन इन हवाओं को रोकिए (Stop This Madness)
इस देश की चाल बहुत बेढंगी हो रही है। यहां तो अब कोई मुसलमान विद्वान संस्कृत नहीं पढ़ा सकेगा। दिल्ली के जेएनयू पर नकाबपोश गुंडों ने जो हमला किया वह संस्था के बलात्कार से कम नहीं है। कैम्पस के अंदर ‘गोली मारो सालों को’ के नारे लगे और बाहर पुलिस तमाशबीन बनी रही। क्या शिक्षा को उजाडऩा है? क्या एक ही तरह की विचारधारा अब यहां स्वीकार्य होगी? देश के प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर में इस बात की जांच हो रही है कि क्या फैज अहमद फैज की प्रसिद्ध नज़म ‘हम देखेंगे’ में हिन्दू विरोधी टिप्पणी की गई है? वहां के कुछ छात्रों ने यह नज़म पढ़ी थी जो फैज ने पाकिस्तान के तानाशाह ज़िया उल हक के खिलाफ लिखी थी […]