दोस्ती और दूरियाँ : भारत और रूस, India -Russia : Distant Friends

April 22, 2021 Chander Mohan 0

एक समय भारत और सोवियत यूनियन के रिश्ते इतने घनिष्ठ थे कि उनके पूर्व प्रधानमंत्री निकिता क्रूश्चेवने हमे कहा था, ‘आप हिमालय से आवाज़ लगाओ हम तुरंत चले आएँगे’। यह उन्होंने चीन से हमे मिल रहे खतरे के संदर्भ में कहा था। तब उस देश की नीति इतनी स्पष्ट भारत पक्षीय थी कि पाकिस्तान की उन्होंने कोई परवाह नही की। अब संबंध इतने बदल चुकें हैं कि रूस के विदेश मंत्री सर्गोइ लावरोव अपनी भारत यात्रा के बाद सीधा इस्लामाबाद पहुँचे जहाँ हवाई अड्डे पर उनका स्वागत पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद क़ुरैशी ने किया। क़ुरैशी साहिब उस बिल्ली की तरह प्रसन्न नजर आ रहे थे जिसने दूध का कटोरा चाट लिया हो! लावरोव ने इमरान खान और जनरल […]

क्वैड: जाना कहाँ तक है? Quad: Past Present and Future

March 25, 2021 Chander Mohan 0

एशिया में ग्रेट गेम शुरू हो चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री योशिहीदे सुगा तथा आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच पहली वर्चुअल शिखिर वार्ता दुनिया और विशेष तौर पर एशिया में सामरिक संतुलन बदलने की क्षमता रखती है। ‘क्वाड’ अर्थात चतुष्कोण की बैठक में फ़ैसला लिया गया कि भारत वैक्सीन निर्यात का बड़ा केन्द्र बनेगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन तथा हिन्द-प्रशांत महासागर में जहाज़ों के निर्बाध आवागमन पर चारों देशों के बीच ज़बरदस्त सहमति बनी है। लेकिन असली सहमति उस देश की ब्लैकमेल को रोकने पर बनी है जिस का संयुक्त बयान मे नाम नही लिया गया, चीन। चीन के आक्रामक रवैया और हठधर्मिता से सब परेशान हैं यही […]

भारत-अमेरिका, 2+2 का गणित Arithmetic of 2+2

November 5, 2020 Chander Mohan 0

अपनी किताब ‘चॉयसेज़’ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे शिवशंकर मेनन मार्च 2006 में भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के औचित्य के बारे लिखतें हैं, “यह पहल इस धारणा पर आधारित थी कि भारत और अमेरिका के बीच सामरिक सांझेधारी बदली हुई परिस्थिति में हमारे हित में होगी। चाहे दोनों देश इसे खुलेआम स्वीकार नही करते कि उनकी यह सांझेधारी चीन का संतुलन क़ायम करने के लिए है, यह स्पष्ट है कि चीन का उत्थान इसकी प्रमुख प्रेरणा है”। शिवशंकर ने यह भी लिखा है कि भारत के विकास के लिए हमें अमरीकी टेक्नोलॉजी और बाज़ार की ज़रूरत है पर उनका ज़ोर उस बात पर अधिक है कि चीन का उत्थान यह जरूरी […]