अज़ दिल्ली ता पालम (Is Congress Sinking?)
शाह आलम द्वितीय डूब हो रहे मुगल साम्राज्य के 18वें बादशाह थे। उनकी ताकत इतनी क्षीण हो चुकी थी कि फारसी में किसी ने लिखा था, ‘सलतनत शाह आलम, अज़ दिल्ली ता पालम!’ अर्थात बादशाह शाह आलम की सलतनत केवल दिल्ली से पालम तक ही सीमित है। दिलचस्प है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पलायन के बाद फारसी की यह कहावत कांग्रेस के मुखर सांसद मनीष तिवारी को याद आ गई है। एक ट्वीट में उन्होंने इसके साथ दार्शनिक जार्ज संतायाना का यह कथन भी जोड़ दिया कि ‘जो इतिहास को भूल जाते हैं उनसे यह दोहराया जाता है।’ उस वक्त जब झटके खाती कांग्रेस पार्टी को ज्योतिरादित्य सिंधिया के दलबदल से एक और करंट पहुंचा है और मध्य प्रदेश में […]