इंसानियत अभी ज़िन्दा है, When State Fails Society Rises

May 13, 2021 Chander Mohan 0

चारों तरफ़ बेबसी का माहौल है। भविष्य के प्रति अनिश्चितता है। शिखिर पर सन्नाटा है। पहले जीने के लिए अस्पतालों के आगे क़तार लगती थी, अब मरने के बाद शमशानघाट के आगे क़तार लग रही है। भारी चिन्ता है कि ग्रामीण क्षेत्र, विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार, जो पहली लहर में बचे रहे थे वह अब प्रभावित हो रहें हैं। गाँव वाले खाँसी बुखार की बात कर रहें हैं, असलियत क्या है कोई जानता नही क्योंकि अधिकतर गाँवों में अंगरेज़ो के समय की हैल्थ व्यवस्था है। विदेशों से एनआरआई और सरकारें सहायता भेज रहीं हैं लेकिन बाबू मानसिकता यहां भी अड़चन डाल रही है। ग़ुस्से से भरे एक एनआरआई सज्जन ने शिकायत की है कि बाहर से भेजे सिलेंडर […]

लंगर का वरदान, The Blessings of Langar

February 11, 2021 Chander Mohan 0

सन् 1569 की बात है। दिल्ली से लाहौर जाते समय बादशाह अकबर गोईंदवाल साहिब तीसरे सिख गुरू अमर दास जी से मिलने पहुँचे। उन्होंने गुरूजी की बहुत ख्याति सुनी थी इसलिए उन्हें मिलने के लिए गोईंदवाल साहिब रूक गए। अकबर को दूसरे धर्मों के बारे बहुत दिलचस्पी थी इसलिए गुरू अमर दास के साथ वह वार्तालाप चाहते थे। उनके साथ राजा हरिपुर भी थे। लेकिन वार्तालाप से पहले गुरूजी ने बादशाह और राजा को लंगर में पंगत में  बैठा दिया जहाँ सबको जाति, धर्म, स्तर या वर्ग की भिन्नता के बिना एक साथ सादा भोजन करवाया जाता था। बादशाह भी तैयार हो गए और शायद पहली बार उन्होंने आम लोगों के साथ बैठ कर भोजन किया था। अकबर लंगर की […]