Andhera gum ka pighulne ko he

May 26, 2015 Chander Mohan 0

अंधेरा गम का पिघलने को है! एक साल पूरा हो गया, अच्छे दिन नहीं आए। इतनी जल्दी आ भी नहीं सकते थे। शंघाई में प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘दुख भरे दिन बीते रे भैय्या, सुख भरे दिन आयो रे।’ यह एकदम नहीं हो सकता था। नेतृत्व को अपने लोगों को न केवल ‘सुख भरे दिनों’ के लिए बल्कि मेहनत, तंगी, कुर्बानी के लिए भी तैयार रखना चाहिए कि अचानक परिवर्तन नहीं होगा। अगर इस सरकार के कामकाज का आंकलन करना है तो देखना होगा कि इनसे 12 महीने पहले हम कहां थे? हमारी तो हर नीति को लकवा मार गया था। मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत पर थी और विकास दर कम होकर 5 […]