लीक होता इंफ़्रास्ट्रक्चर, Leaking Infrastructure

August 8, 2024 Chander Mohan 0

यह वीडियो देखना बहुत कष्टदायक था। हमारी नई ख़ूबसूरत संसद की छत से पानी टपक रहा था। पानी गिर कर संसद के मकर द्वार तक पहुँच गया था। टपकते पानी के नीचे नीली बाल्टी रखी गई थी पर पानी बाल्टी भरने के बाद फ़र्श पर फैल गया था। पानी के नीचे बाल्टी रखना भारतीय घरों में सामान्य बात है। हमारी छतें बरसात में टपकती है। पर यह तो हमारी नई संसद है, आजाद भारत की आकांक्षाओं की प्रतीक है। इसकी भी छत टपकने लगी। लोकसभा के सचिवालय ने सफ़ाई दी कि भारी बारिश के कारण संसद की लॉबी के उपर लगे शीशे के गुंबद को फ़िक्स करने वाले एडहेसिव (चिपकाने वाले पदार्थ) के हट जाने से लॉबी में ‘पानी का […]

राहुल गांधी : ज़िम्मेवारी और अपेक्षा, Rahul Gandhi: Responsibility And Expectation

July 3, 2024 Chander Mohan 0

नई सरकार स्थापित हो गई। प्रधानमंत्री मोदी बता रहें हैं कि वह पुराने गियर में लौट आऐं है। गठबंधन सरकार होने के बावजूद सारे प्रमुख मंत्रालय भाजपा के पास हैं। सहयोगियों को झुनझुना दे कर संतुष्ट कर लिया गया है। स्पीकर भी ओम बिरला को बना कर संदेश है कि कुछ नहीं बदला। लेकिन नरेन्द्र मोदी को भी अहसास होगा कि चुनाव परिणाम ने बहुत कुछ बदल दिया है। विपक्ष का रूख तीखा है और देश का मूड बदल चुका है। लोग महंगाई और बेरोज़गारी पर केन्द्रित हैं और बता रहें हैं कि जो अब तक चलता रहा है उसे पसंद नहीं किया गया। इस सरकार का दुर्भाग्य है कि शुरू में ही गम्भीर शिकायतों के विस्फोट हो रहें हैं। […]

आशंका और आशा के बीच 2024, Anxiety and Hopes for 2024

January 4, 2024 Chander Mohan 0

दुनिया को किसी नास्त्रेदमस या ज्योतिषी के बताने की ज़रूरत नहीं कि 2024 तनावपूर्ण साल रहेगा। युक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा था कि हमास ने इज़राइल पर हमला कर दिया। इज़राइल का जवाब इतना खूनी है कि दुनिया स्तब्ध रह गई है। उन्हें रोकने की जगह बाइडेन का अमेरिका उन्हें लगातार और हथियार सप्लाई करता जा रहा है। दोनों बड़ी शक्तियाँ अमेरिका और रूस, दुनिया की लोकराय के कटघरे में खड़ी है। तीसरी महाशक्ति चीन अपने पड़ोसियों, भारत समेत,को दबाने की कोशिश कर रही है। इन तीनों देशों के नेतृत्व की नीतियों का बुरा प्रभाव पड़ेगा और दुनिया तनावग्रस्त और विभाजित रहेगी। हमें नए रोल मॉडल चाहिए जो इस दलदल से निकाल सकें पर बाइडेन, पुतिन या शी जिंपिंग में हमेंबौने नेता मिलें हैं। अगर हम देखें कि सबसे ताकतवार देश अमेरिका में चुनाव […]

संसद पर हमला, अब और तब,Attack On Parliament: Now, And Then

December 21, 2023 Chander Mohan 0

यह एक इमारत ज़रूर है पर उससे भी महत्वपूर्ण  यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है, उसका प्रतीक है।  इसकी पवित्रता पर आँच नहीं आनी चाहिए क्योंकि संसद है तो लोकतंत्र है। लेकिन इसी भवन में 13 दिसम्बर को दो नौजवान दर्शक गैलरी से लोकसभा के सदन के बीच कूद पड़े और पकडे जाने से पहले अंदर धुऐं के कनस्तर से पीला धुआँ फैलाने में सफल रहे। दो और साथी बाहर पकड़े गए। यह धुआँ हानिकारक नहीं था पर अगर उनके पास इसकी जगह बारूद होता तो क्या होता? उस दिन संसद ने 22 वर्ष  पहले हुए हमले में संसद की रक्षा करते मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। और इसी दिन ही खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने […]

मणिपुर की चीत्कार: क्या कोई सुन रहा है? The Pain Of Manipur: Is Anyone Listening?

July 27, 2023 Chander Mohan 0

इस देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार होते रहते हैं। यह केवल एक प्रदेश या एक क्षेत्र तक सीमित भी नहीं हैं पर  मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो हुआ वह तो पाशविकता और क्रूरता की हर हद  पार कर गया हैं। हम चरित्रहीनता के  सभी रिकॉर्ड पार कर गए हैं। 16 दिसम्बर 2012 का निर्भया कांड याद आता है अंतर यह है कि 4 मई को मणिपुर में जो घटा वह सारे देश ने देख लिया, और सारी दुनिया ने देख लिया। दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सरेआम घुमाया गया।  फिर एक के साथ खुलेआम गैंगरेप किया गया। एक पीड़िता ने बताया है कि पुलिस भीड़ के साथ थी और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया। एक […]

संसद चलनी चाहिए, Parliament Needs To Work

August 4, 2022 Chander Mohan 0

अच्छी बात है कि संसद की कार्यवाही पटरी पर लौट आई है। आशा है अब दुर्घटना नहीं होगी। पर पहले 15 दिन इधर उधर के तमाशों पर बर्बाद कर दिए गए।  महंगाई,जीएसटी, अग्निपथ, चीन का अतिक्रमण, बढ़ती बेरोज़गारी, रूपए की स्थिति, जैसे मामलों पर सार्थक बहस होनी चाहिए। अगर यह प्रभाव फैल गया कि संसद मसलों का हल करने में प्रभावहीन है या प्रासंगिक नहीं रही तो लोगों के पास सड़कों पर उतरने का ही विकल्प रह जाएगा। कई संकेत है कि धीरज कम हो रहा है। संसद में टकराव नफ़रत से भरा और व्यक्तिगत बनता जा रहा है। तू तू मैं मैं उन मसलों पर होती रही है जिनका आम जनता से कोई मतलब नहीं। दो दर्जन के क़रीब […]