जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है !, Where Are They Who Are Guardians Of India
10 साल बीत गए पर न स्थिति में परिवर्तन आया, न व्यवस्था ही सुधरी और न ही मानवीय संवेदना ही जागी। 16 दिसम्बर 2012 को राजधानी दिल्ली में चलती बस में निर्भया के साथ हैवानियत और बाद में उसकी मौत, से देश की आत्मा तड़प उठी थी। सख़्त क़ानून बनाया गया और समझा गया कि अब समाज में बदलाव आएगा। पर दस साल के बाद 31 दिसम्बर और 1 जनवरी की रात दिल्ली में ही जिस तरह ब्लैरो कार के नीचे 14-15 किलोमीटर घसीट कर अंजलि सिंह मारी गई, से पता चलता है कि कुछ नहीं बदला। दिल्ली की सड़कें पहले की तरह असुरक्षित हैं, और शासक पहले की तरह बेदर्द और बेसुध हैं। न व्यवस्था बदली, न ही मानवीय […]