टीकाकरण: हमारी अधूरी कहानी, Our Inexplicable Slow Vaccination Drive
एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा की थी। देश को केवल चार घंटे का नोटिस दिया गया था। भगदड़ मच गई थी। फिर हमने लाखों की तादाद में प्रवासी मज़दूरों को पैदल घर जाते देखा। बेसहारा, वह देश की लावारिस औलाद है, तब भी थी और अब भी है। भारत के अनियमित सेक्टर मे लगभग 50 करोड़ लोग काम करतें है जिनके पास कोई सुरक्षा कवच नही है। अचानक लॉकडाउन ने उनकी हालत दयनीय बना दी। काम ही नही रहा। बहुत समय न सरकारों ने परवाह की, न मालिक ने और न ही समाज ने। सबने आँखें बंद कर लीं जिस पर प्रमुख दार्शनिक नोम चेयस्की की टिप्पणी थी, “भारत […]